गांधीजी से प्रेरित होकर शोभनाजी ने दलितों की मदद के लिए 60 साल समर्पित किये

Inspired by Gandhiji, Shobhanaji dedicated 60 years to help Dalits
Inspired by Gandhiji, Shobhanaji dedicated 60 years to help Dalits

पुणे( अंबरीष कुमार सक्सेना) गांधीवादी विचारों की प्रचारक, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, दूरदर्शी गांधीवादी, पद्मभूषण श्रीमती शोभना रानडे का 4 अगस्‍त 24 को प्रातः पुणे में निधन हो गया। पूना में जन्‍मीं शोभना ताई जीवन के अंतिम पड़ाव तक महिला सशक्तिकरण, बच्चों के व्यक्तित्व विकास और गांधी जी के विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहीं। भारत सरकार ने समाज के प्रति उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 2011 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

शौभना रानाडे का जन्म 1924 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के पूना में हुआ था। सन् 1942 में उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया, तब वह 18 वर्ष की थीं, जब उनकी मुलाकात पूना के आगा खान पैलेस में महात्मा गांधी से हुई, जिसके परिणामस्वरूप युवा शोभना ने अपने जीवन के बाकी समय में गांधीवादी आदर्शों को अपनाया । इसे प्रेरित होकर शांत और संयमित शोभनाताई ने अपने जीवन का आधा शताब्दी से अधिक समय दलित महिलाओं और बच्चों की बेहतरी के लिए समर्पित किया। उन्होंने 1979 में पुणे के आगा खान पैलेस में गांधी राष्ट्रीय स्मारक सोसायटी और राष्ट्रीय महिला प्रशिक्षण संस्थान की शुरुआत करने में मदद की।

महात्मा गांधी और विनोबा भावे के विचारों ने शोभना रानाडे को निराश्रित महिलाओं और वंचित बच्चों के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विनोबाजी के साथ स्त्री जागरण पवनार की संयोजक और महाराष्ट्र के भूदान और ग्रामदान बोर्ड की अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। 1955 में वे विनोबा भावे के साथ भूदान पदयात्रा में शामिल होकर असम के उत्तरी लखीमपुर गईं और मैत्रेयी आश्रम और शिशु निकेतन की स्थापना में मदद की,  जो उस क्षेत्र का पहला बाल कल्याण केंद्र था। उन्होंने आदिम जाति सेवा संघ नामक अभियान भी शुरू किया, जो नागा महिलाओं को चरखा बुनने का प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम था ।


कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय ट्रस्ट की ट्रस्टी के रूप में शोभना रानाडे ने महिला सशक्तिकरण, विकास, समानता और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन और ऊर्जा समर्पित कीं।  वे अपने जीवन के छह दशकों से अधिक समय अनाथ, वंचितों और सड़क पर रहने वाले बच्चों के समग्र विकास के लिए प्रयासरत रही। पुणे के शिवाजीनगर में स्थित हरमन गमीनर सोशल सेंटर सड़क पर रहने वाले बच्चों की शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, परामर्श और पुनर्वास हेतु सक्रिय है।

एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेज बालग्राम अनाथ और बेसहारा बच्चों को उनके परिवार का अधिकार दिलाने के लिए स्थापित एक और नेक प्रयास है। शोभना रानाडे संस्थापक सदस्यों में से एक रही, जिन्होंने महाराष्ट्र में एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेज की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महाराष्ट्र के पुणे में सासवड में शोभना रानाडे के नेतृत्व में स्थापित बालगृह और बालसदन 60 से अधिक वंचित लड़कियों की देखभाल करते है, उन्हें आश्रय, भोजन और शिक्षा प्रदान करता है ताकि वे एक खुशहाल और सार्थक जीवन जी सकें; इस प्रकार बालिकाओं के व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया जाता है। वे देश की जानी मानी गांधी विचारक संस्‍थाओं कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, केंद्रीय गांधी स्मारक निधि की ट्रस्‍टी रहीं। वे गांधी राष्ट्रीय स्मारक सोसायटी की सचिव, अखिल भारतीय समिति (एआईसीईआईडब्ल्यू) की अध्‍यक्षा, अखिल भारतीय महिला सम्मेलन, महाराष्ट्र भूदान ग्राम दान बोर्ड की लंबी समय तक अध्‍यक्ष रहीं।

6 दशक के सामाजिक जीवन में उनके उत्‍कृष्‍ट कार्यों के लिए विभिन्‍न पुरस्‍कारों और सम्‍मान से अभिनंदित किया गया जिसमें वर्ष 2011 में जमनालाल बजाज पुरस्कार, रिलायंस फाउंडेशन – सीएनएन आईबीएन रियल हीरोज 2012 लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, रवींद्रनाथ टैगोर पुरस्कार, राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार (2007),  पुणे गौरव पुरस्कार, बाल कल्याण कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (1983),  महात्मा गांधी पुरस्कार आदि उल्‍लेखनीय है।

शोभना ताई के निधन पर देश की अनेक गांधी विचारक संस्‍थाओं, सामाजिक संस्‍थाओं, रचनात्‍मक संस्‍थाओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।  कस्‍तूरबा गांधी राष्‍ट्रीय स्‍मारक ट्रस्‍ट के अध्‍यक्ष डॉ. करूणाकर त्रिवेदी ने कहा कि शोभना ताई का संपूर्ण सक्रिय जीवन रचनात्मक कार्य और संस्थाओ् के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिये समर्पित रहा। ट्रस्ट परिवार की कई पीढ़ियों. और अनगिनत कार्यकर्ताओं को उनका नेतृत्व, स्नेह और संबल प्राप्त हुआ। केंद्रीय गांधी स्‍मारक निधि, हरिजन सेवक संघ, गांधी शांति प्रतिष्‍ठान सहित सर्वोदय प्रेस समिति के अध्‍यक्ष राकेश दीवान, कुमार सिद्धार्थ, डॉ. सम्‍यक जैन, विनोबा सेवा आश्रम, शाहजहाँपुर के अधिष्ठाता रमेश भइया ने भी शोभना ताई के उल्‍लेखनीय कार्यों का स्‍मरण करते हुए उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया।

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