घन-धान्य से भरा रहेगा घर-परिवार, ऐसे करें 16 शुक्रवार का व्रत-आरती

घन-धान्य से भरा रहेगा घर-परिवार, ऐसे करें 16 शुक्रवार का व्रत-आरती

16 shukrawar vrat katha in Hindi:हफ्ते के सातों दिन ज्योतिष विद्या के मुताबिक खास महत्व रखते हैं। हिंदू धर्म में धन की देवी मां लक्ष्मी हैं। मां लक्ष्मी संतोषी माता का ही रुप हैं, शुक्रवार को मां संतोषी का विधि विधान से व्रत रखने और कथा पढ़ने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती हैं। सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर कोई भक्त 16 शु्क्रवार माता का व्रत कर लेता हैं, तो मान्यता हैं कि उसके घर कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती हैं। सुख और संतोष की दाता देवी मां संतोषी के पिता श्रीगणेश और माता रिद्धि-सिद्धि हैं, रिद्धि-सिद्धि धन, धान्य, सोना, चांदी, मूंगा, रत्नों से भरा परिवार है। जिससे प्रसन्नता, सुख-शांति और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली देवी भी माना गया हैं। मां के वृत और कथा वाचन से सारी परेशानियां खत्म होती हैं और चिंताओं से छुटकारा मिलता है। उपवास के लिए इस प्रकार की विधि अपनाएं-

संतोषी माता के व्रत की विधि (santoshi mata vrat katha in hindi)

सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की सफाई करें व स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।

घर में पवित्र स्थल पर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और पूजन सामग्री व किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भर लें।

जल भरे पात्र पर गुड़ व चने से भरा दूसरा पात्र रख दें और मां की विधिविधान से पूजन शुरु करें।

पूजन के बाद मां के व्रत की कथा वाचन करें या सुनें इसके बाद आरती कर सभी को गुड़ व चने का प्रसाद बाटें।

जल को घर में छिडक़ दें और तुलसी के पौधे को अर्पित कर दें।

यह व्रत 16 शुक्रवार करने से मां प्रसन्न होकर सारी मनोकामना पूरी करती हैं, अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करना न भूलें।

व्रत विसर्जन /उद्यापन के दिन व्रत की विधि से मां की पूजन करें और 8 बच्चों को खीर-पुरी का भोजन कराएं और दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर विदा करें फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।

शुक्रवार व्रतकथा (16 shukrawar vrat katha in hindi)

एक वृद्ध महिला का एक ही बेटा थाा, जिसका विवाह सुशील कन्या से हुआ था। तीनों एक ही घर में साथ रहते थे। सास बहू से घर के सारे काम करवाती, लेकिन बहू को भोजन भी नहीं देती थी। सास के अत्याचार के आगे बहू और बेटा बेबस थे, वे सिर्फ सहते जा रहे थे। बहू दिनभर घर के काम में ही खत्म हो जाता। घर की स्थिति देखकर बेटे ने मां से आज्ञा मांगी कि मैं परदेस कमाने जाना चाहता हूं।

मां ने हां कर दी और अनुमति दे दी। पत्नी से कहा कि मैं कमाने जा रहा हूं, तुम्हारी कोई निशानी मुझे दे दो। पत्नी बोली मेरे पास तो कुछ नहीं हैं, ऐसा बोलकर वह रोते हुए पति के पैरों में गिर गई। इससे पति के जूतों पर गोबर लगे हाथों की छाप पड़ गई। यही निशानी बन गई। इधर पति चला गया और सास के अत्याचार बहू पर दिनोंदिन बढऩे लगे। बहू परेशान होकर एक दिन मंदिर गई, वहां कई महिलाएं संतोषी माता का व्रत की पूजा कर रहीं थी, बहू ने भी पूछा तो पता लगा कि माता का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

महिलाओं ने उसे कहा, कि शुक्रवार को विधिविधान से मां की पूजन और व्रत करने से मां प्रसन्न होती हैं। व्रत के दौरान भूलकर भी खटाई न तो किसी को देना और न खाना। एक वक्त का भोजन करना। व्रत किया तो पति का पत्र आया और कुछ समय बाद पति ने पैसा भी भेजा। वह प्रसन्न होकर मंदिर गई और सभी महिलाओं को खुश खबर बताई। मां से कहा कि मेरा पति आएगा तब आपके व्रत का उद्यापन करुंगी। लेकिन पति नहीं आया मां पति के स्वप्न में आई और बोली घर क्यों नहीं जा रहे, उसने कहा सेठ का काम अधूरा हैं, इसलिए अनुमति नहीं मिल रही। मां की कृपा से सेठ का सारा काम पूरा हो गया और अवकाश भी मिल गया।

इधर पति के आने पर पत्नी ने मां के व्रत का उद्यापन शुरु किया। पड़ौसन ने जलसी भावना से अपने बच्चों को सिखा कर भेजा कि भोजन में खटाई मांगना। बच्चों ने यही किया तो बहू ने बच्चों को समझाते हुए कुछ पैसे दे दिए। बच्चों ने उन पैसों से इमली खटाई खाई, तो मां ने कोप किया। कुछ ही देर में पति को राजा के दूत पकडक़र ले गए। फिर पत्नी ने फिर से व्रत के उद्यापन का संकल्प किया। कुछ ही देर में पति वापस आ गया, बोला कि जो धन कमाया है, राजा ने उसमें कर मांगा हैं। अगले शुक्रवार को फिर विधिविधान से संतोषी मां के व्रत का उद्यापन किया। मां प्रसन्न हुई। बहू को नौ माह बाद चांद-सा सुंदर पुत्र हुआ। अब सास, बहू, बेटा और उनका बच्चा मां की कृपा आनंद से रहने लगे।

व्रत वाले दिन भूलकर भी न करें यह (don't do thids on santoshi mata fast time)

  • गुड़ और चने का प्रसाद व्रत करने वाले नहीं खाएं।
  • भोजन में किसी भी खटाई वाली चीज, अचार और खट्टा फल नहीं हों।
  • व्रत करने वाले परिवार के लोग भी उस दिन कोई भी खट्टा पदार्थ न खाएं।

यह फल मिलता है मां के व्रत का (santoshi mata vrat benefits)

  1. स्त्री-पुरुषों की सभी कामनाएं पूरी होती हैं।
  2. परीक्षा में सफलता, न्याय के कार्यों में विजय, धंधे में कामयाबी, घर में सुख-समृद्धि।
  3. अविवाहित लड़कियों को सुयोग्य वर शीघ्र मिलता है।

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