कर्ज से परेशान लोगों के लिए रामबाण उपाय कर्ज मुक्ति के लिए क्या करे ? मंगलवार के दिन ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पढ़ने से उतार जाएगा कर्ज 

Rinmochan strot se karj mukti

 कर्ज मुक्ति के उपाय 

भक्तों के संकट को हरने वाले राम भक्त हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार का दिन महत्वपूर्ण माना जाता है और कहा जाता है कि इस दिन हनुमान जी की आराधना से बड़े से बड़ा कष्ट भी निपट जाता है । किसी भी प्रकार का दुख हो कष्ट हो  दरिद्रता, कर्ज की समस्या, मानसिक और शारीरिक समस्या  से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जी की मंगलवार के दिन पूजा  करनी चाहिए।
दरिद्रता से छुटकारा पाने के उपाय 

 हनुमान जी  की कृपा पाने के लिए लोग कई उपाय करते हैं लेकिन कहते हैं कि मंगलवार के दिन हनुमान जी का ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने से कर्ज से संबंधित कई परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है । कहा जाता है कि इस उपाय से बड़ा से बड़ा कर्ज भी उतर जाता है ।
इसलिए कहा जाता है कि 
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जी के ऋणामोचक मंगल स्तोत्र का पाठ बेहद फलदायी माना जाता है।
कई बार लोगों की कुंडली मे ही दोष होता है और  मंगल ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा है तो ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

ऋणमोचन मंगल स्त्रोत पाठ कैसे करें 
वैसे तो ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन कर सकते हैं। अगर आप रोजाना पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो मंगलवार को करें। इस पाठ को करने के लिए स्नान आदि के बाद लाल वस्त्र पहनें और आसन लगाकर हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष घी का दीपक जलाकर पाठ की शुरुआत करें।
पाठ शुरू करने से पहले दीपक जलाएं और धूपबत्ती जलाकर लोटे के जल से आचमन करें और अपनी प्रार्थना को हनुमान जी से कहें । निवेदन के साथ संकल्प ले कि आप ऋणमोचन मंगल स्त्रोत का पाठ कर्ज मुक्ति के लिए कर रहे हैं और जिसे स्वीकार करके आपके कष्ट का निवारण करें ।


ऋणमोचन मंगल स्त्रोत 
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठमङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥6॥
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥7॥
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥ 8 ||
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥9॥
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥10॥
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥11॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥12॥
|| इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ||
ऋणमोचन मंगल स्त्रोत का पाठ करने के बाद हनुमान जी से कृपा करने का निवेदन करें और धरती को प्रणाम करके पूजा समाप्त करें।

 



डिस्क्लेमर -यह जानकारी मान्यताओं पर आधारित है किसी भी प्रकार की पूजा से पहले अपने ज्योतिष या धर्म गुरु की सलाह अवश्य ले लें।

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