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Mangala gauri vrat 2022 इस सावन में सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ेगा मंगल गौरी व्रत जानिए मंगला गौरी व्रत क्यों मनाया जाता है ?

मंगला गौरी व्रत कब मनाया जाता है ?
सावन के सोमवार को जहां भगवान शंकर की पूजा की जाती जी वहीं मंगलवार को पार्वती जी की पूजा मंगल गौरी के रूप में की जाती है मन जाता है कि ऐसा करने से पार्वती जी का आशीर्वाद मिलता है और आशीर्वाद मिलता है । शादी शुदा महिलाओं को जहां सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं वहीं जिन लड़कियों की शादी अभी नही हुई है उनको अच्छे वर की कामना पूरी होती है ।
कुंवारी लड़कियां क्यों रहती हैं मंगला गौरी व्रत
कुंवारी लड़कियों के लिए मंगला गौरी का व्रत उनके सौभाग्य में वृद्धि करता है और जिन लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है और उनको अच्छे वर की तलाश है ऐसे व्यक्तियों को सुयोग्य वर पाने के लिए मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए वही उनकी शादी हो चुकी है उनके दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए।
मंगला गौरी व्रत कैसे करें ?
मंगला गौरी व्रत करने के लिए मंगलवार के दिन माँ पार्वती का सोलह श्रृंगार करके उन्हें 5 मेवे का भोग लगाना चाहिए । जिससे मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है । जिनकी शादियां हो चुकी हैं और संतान प्राप्ति नही हो रही है उन्हें भी मंगला गौरी का व्रत रहना चाहिए ।
मंगला गौरी मंत्र
मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।
मंगला गौरी स्त्रोतम
ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके ।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके ॥
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके ।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके ॥
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले ।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये ॥
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते ।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम् ॥
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् ॥
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे ॥
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम् ।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने ॥
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले ।
॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ॥