रुका हुआ धन भी मिलेगा और पारिवारिक क्लेश से मिलेगा छुटकारा जानिए क्या हैं एकादशी व्रत के फायदे ? और पूजा विधि 

Nirjala ekadashi vrat ke fayde

 निर्जला एकादशी क्यों मनाया जाता है ?

विष्णु भगवान की कृपा पाने के लिए निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है । इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है । ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है । इस एकादशी की मान्यता है कि केवल एक एकादशी का व्रत रखने से सभी 26 एकादशी का लाभ मिलता है । 

 

2022 में निर्जला एकादशी कब है ?

2022 में निर्जला एकादशी 10 जून को शुरू होकर 11 जून को समाप्त होगी । 

कौन सी एकादशी है निर्जला एकादशी ?
जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है । 
निर्जला एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए ?
निर्जला एकादशी के दिन छाता ,जूता और कपड़े दान करने का प्रावधान है । गुड़ चना भी दान किया जा सकता है ।

साल भर में पड़ने वाले एकादशी व्रत 

1-उत्पन्ना एकादशी-मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष

2-मोक्षदा एकादशी-मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष

3-सफल एकादशी -पौष कृष्ण पक्ष

4 -पुत्रदा एकादशी- पौष शुक्ल पक्ष

5-षटतिला एकादशी-माघ कृष्ण पक्ष

6 -जया एकादशी-माघ शुक्ल पक्ष

7 -विजया एकादशी-फाल्गुन कृष्ण पक्ष

8 -आमलकी एकादशी-फाल्गुन शुक्ल पक्ष

9 -पापमोचिनी एकादशी-चैत्र कृष्ण पक्ष

10 -कामदा एकादशी-चैत्र शुक्ल पक्ष

11 -वरुथिनी एकादशी-वैशाख कृष्ण पक्ष

12 -मोहिनी एकादशी-वैशाख शुक्ल पक्ष

13 -अपरा एकादशी- ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष

14 -निर्जला एकादशी- ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष

15 -योगिनी एकादशी-आषाढ़ कृष्ण पक्ष

16-हरिशयनी एकादशी-आषाढ़ शुक्ल पक्ष

17 -कामिका एकादशी-श्रावण कृष्ण पक्ष

18 -पवित्रा एकादशी-श्रावण शुक्ल पक्ष

19-अजा एकादशी-भाद्रपद कृष्ण पक्ष

20 -पद्मा एकादशी-भाद्रपद शुक्ल पक्ष

21-इन्दिरा एकादशी-आश्विन शुक्ल पक्ष

22-पापांकुशा एकादशी-अश्विन शुक्ल पक्ष

23 -रमा एकादशी-कार्तिक कृष्ण पक्ष

24-हरिप्रबोधिनी एकादशी-कार्तिक शुक्ल पक्ष

25-पुरुषोत्तमा एकादशी-अधिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष

26 -पुरुषोत्तमा एकादशी-अधिक ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष

निर्जला एकादशी व्रत के फायदे

जिला एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। अगर धन की कमी हो रही है तो विष्णु जी की कृपा से धन की प्राप्ति होती है घर में अगर पारिवारिक क्लेश बना रहता है जो निर्जला एकादशी व्रत रहने से जहां मनोकामना पूर्ण होती है वही घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।

निर्जला एकादशी व्रत की विधि 

निर्जला एकादशी व्रत रहने के लिए 10 जून से पहले यानी कि 9 जून की रात को ही अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है और सुबह सूर्योदय होने से पहले की उठ कर नित्य कर्म करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए विष्णु जी की मूर्ति के सामने दीया जलाकर मंत्रों का जाप किया जाता है विष्णु सहस्त्रनाम जाप करना सबसे नीचे माना जाता है और अगर विष्णु सहस्त्रनाम जाप करने में कोई समस्या आती है तो ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। पूरे दिन जल ग्रहण नहीं करना है और यही रही दूसरे दिन यानी कि 11 जून को सूर्योदय के बाद पूजा करने के बाद एक अन्न जल ग्रहण करना है।
भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण करनी चाहिए और पीले फूलों का अर्पण करना चाहिए भूख लगाने के लिए जो मिठाई है वह भी पीली होनी चाहिए और पीले मिठाई से ही विष्णु जी का भोग लगाना चाहिए पूजन करने के लिए पीले रंग के आसन पर बैठकर ही पूजन करना चाहिए।

निर्जला एकादशी का व्रत रहने से एक दिन पहले ही बहुत ही सात्विक भोजन करना चाहिए लहसुन प्याज का प्रयोग नही होना चाहिए।

मंत्रों का जाप करने के लिए citrine की माला या हल्दी की माला पर जाप करना चाहिए । भगवान विष्णु को पीले रंग पसंद है इसलिए पीले रंग की ही माला पर जाप करना चाहिए।
पूजन स्थल पर एक भोजपत्र पर पीले रंग केसर से ॐ नमो भगवते वासुदेव मंत्र लिख कर रख दे और जब मंत्रों का जाप समाप्त हो जाये तो भोजपत्र को सुरक्षित रखकर अपने पर्स में अपने साथ में रखें जिससे धन आगमन लगातार बना रहेगा आपके पास पैसे भी कभी कोई भी कमी नहीं होगी। यही नही अगर आपका कोई भी धन कहीं रुक हुआ है तो वह धन भी मिलने का स्रोत बन जायेगा ।

भीमेसन निर्जला एकादशी व्रत कथा

पांचों पांडव सारे एकादशी के व्रत करते थे लेकिन  भीम को चूंकि भूख बहुत लगती थी इस वजह से वह कोई भी व्रत नही रह पाते थे । भीम ने महर्षि व्यास से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं कौन सा व्रत रह सकता हूँ ।तब महर्षि व्यास ने भीम को एकादशी का व्रत रहने की सलाह दी ।

 व्यास जी ने कहा- ‘कुंतीनंदन, धर्म की यही विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, बल्कि सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की लचीली व्यवस्था भी करता है। ज्येष्ठ मास में सूर्य के वृष या मिथुन राशि में रहने पर शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को तुम व्रत करो। श्री कृष्ण ने मुझे इस बारे में बताया था। इसे करने से तुम्हें वर्ष की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होगा और सुख, यश प्राप्त करने के बाद स्वर्ग भी मिलेगा।' भीम ने बडे़ साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया, लेकिन इस कठिन व्रत के कारण सुबह होने तक वह बेहोश हो गए। तब गंगाजल, तुलसी चरणामृत, प्रसाद देकर अन्य पांडव उन्हें होश में लाए। भीम ने द्वादशी को स्नान आदि कर भगवान केशव की पूजा कर व्रत सम्पन्न किया। इसी कारण इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। निर्जल रह कर ब्राह्मण या जरूरतमंद आदमी को हर हाल में शुद्ध पानी से भरा घड़ा इस मंत्र के साथ दान करना चाहिए-
देवदेव हृषीकेश संसारार्णवतारक। उदकुम्भप्रदानेन नय मां परमां गतिम् ।।
अर्थात संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषीकेश! इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति की प्राप्ति कराइए।.
व्रती को ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप दिन-रात करते रहना चाहिए। साथ ही सामर्थ्य हो तो गर्मी में काम आने वाली वस्तुओं- वस्त्र, छाता, जूता, फल आदि का दान भी दक्षिणा सहित जरूर करना चाहिए।

 

Share this story