रोज पूजा करने पर भी नही मिल रहा हो पूजा के फायदे तो जानिए पूजा करने के "नियम" और सही समय
पूजा करने की सही "विधि"

Puja karne ki sahi vidhi
 रोजाना पूजा पाठ करने के बाद भी अगर उसका लाभ नहीं मिल रहा है तो इसका मतलब आप की पूजा व्यर्थ है और यह भी देखा जाता है कि कई लोग घंटो पूजा करते रहते हैं लेकिन वह हमेशा ही गरीब बने रहते हैं और दरिद्रता उनके घर में बनी रहती है जो भी काम करते हैं उसमें कभी भी सफल नहीं होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पूजा करने का अगर सही नियम आपको नहीं मालूम है सही तरीके से और सही समय पर पूजा नहीं की गई है तो उस पूजा का लाभ आपको नहीं मिलना है उल्टा उस पूजा का और नुकसान ही होता है ऐसे में पूजा का सही नियम क्या है यह जान लेना बहुत ही आवश्यक है।

पूजा करने का सही समय 

पूजा करने का सही समय माना जाता है कि सूर्योदय के बाद 1 घंटे के अंदर की गई पूजा का पूरी तरीके से लाभ मिलता है और प्रातः काल किए गए पूजा को ईश्वर पूरी तरीके से स्वीकार करते हैं पूजा करने में सबसे बड़ा अनुशासन यह होता है कि एक जो उसका सही समय है वह फिक्स होना चाहिए और जिस समय भी देर से देश 8:00 बजे के आसपास पूजा करने और अगर ब्रह्म काल में यानी कि 5:00 बजे के बाद अगर पूजा की जाए तो उसका अलार्म बहुत मिलता है अगर किसी लाभ के के लिए पूजा की जा रही है तो उसके लिए समय निर्धारित करना होगा और किसी भी प्रकार का अगर अनुष्ठान किया जा रहा है तो वह प्रातः काल ही होना चाहिए क्योंकि उसके बाद की गई पूजा का कोई बहुत लाभ नहीं है प्रार्थना अगर की जा रही है तो वह किसी भी समय की जा सकती है और प्रातः के बाद अगर पूजा का सही समय माना गया है तो हर संध्याकाल होता है और जिस समय सूर्य अस्त होता रहता है उस समय पूजा किए गए कल आप ज्यादा मिलता है इसलिए एक समय निर्धारित करके उसी समय पूजा की जानी चाहिए।

पूजा करने के नियम ,प्रतिदिन पूजा कैसे करनी चाहिए ?

पूजा करने का नियम यह है कि पूजा करने से पहले स्नान करके शुद्ध रूप से जिस भी ईश्वर की आप प्रार्थना कर रहे हैं जरा अपने घर में अपने मंदिर बना रखा है तो वहां बैठकर एक आसन पर पूजा करें और आपके सामने मूर्ति होनी चाहिए सही नियम यह है कि पूरब और उत्तर के कोने पर अगर आपने मूर्ति स्थापित कर रखी है या उस जगह बैठकर ईश्वर का ध्यान करते हुए जिसकी आप पूजा करने जा रहे हैं पूर्व उत्तर के कोने में ज्यादा लाभ होता है और साफ सफाई से मूर्ति सामने तांबे के लोटे में जल रखते हुए उससे जल का छिड़काव करें जिससे शुद्धता और पवित्रता आती है कुछ पुष्प भी अर्पित करें जिससे सुगंधित वातावरण बनाने में और ईश्वर के साथ आत्मसात करने में सफलता मिलती है धूप एवं अगरबत्ती का आवश्यक रूप से इस्तेमाल करें जिससे वातावरण काफी पॉजिटिव रहता है और आपका ध्यान पूजा करने में लगता है पूजा करने के नियम में यह है कि स्वस्थ  और शुद्ध रूप से पूजा करनी चाहिए जिससे ईश्वर की आराधना में आपका मन लगे और पूरी निष्ठा के साथ ही पूजा करनी चाहिए अगर पूजा करते हैं मैं आपका मन नहीं लग रहा है तो मात्र ईश्वर का ध्यान करते हुए आप अपनी प्रार्थना कर सकते हैं और अपनी बातों को कह सकते हैं किसी भी मंत्र का जाप करने से पहले ईश्वर की आराधना करें और शांतिपूर्ण बैठते हुए ध्यान करें ध्यान में आप ईश्वर के प्रतिबिंब को पूर्ति को और जो सांसे आपकी बाहर निकल रही है और अंदर जा रही उस पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रार्थना करें और ईश्वर से कहें कि मैं आपकी पूजा जिस भी मनोकामना से आप कर रहे हो उस बात को कहें और उसके बाद में जो भी आप मंत्रों का जाप करते हैं उसके बाद ही करें।

ज्यादा पूजा पाठ करने से क्या होता है ?

अधिकतर देखा गया है कि लोग बहुत अधिक पूजा करते हैं और उनका जो काम का समय है जिस समय उनको कर्म करना चाहिए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए अपने ऑफिस के काम करना चाहिए व्यापार के काम में ध्यान लगाना चाहिए उस समय वह पूजा-पाठ में ही व्यस्त रहते हैं पूजा के समय ही पूजा करनी चाहिए और उसके बाद अपने काम पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर आपके पास कर्म नहीं है आपने कोई कर्म नहीं किया है आप अपने व्यापार में ध्यान नहीं दे रहे हैं आप अपने रोजी रोजगार में ध्यान नहीं दे रहे हैं तो कोई भी पूजा आपको किसी भी प्रकार से फलीभूत नहीं हो सकती इसके लिए आप अपने कार्यक्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान दें और पूजा करने के बाद अपने काम को अच्छी से अच्छी तरीके से काम करने का प्रयास करें क्योंकि आपके कर्म में जब भाग्य भी साथ देने लगता है तभी सफलता मिलती है और ऐसा नहीं हो सकता कि आप भाग्य के भरोसे बैठे रहे और मंत्रों का जाप करते हैं पूजा-पाठ दिन भर करते रहे तो आपको उसका कोई भी लाभ मिलने वाला नहीं है।

पूजाके बाद क्या करना चाहिए?


पूजा करने के बाद ईश्वर का धन्यवाद अवश्य करना चाहिए क्योंकि कई बार हमारे पास जो है उस पर हम ध्यान नहीं देते हैं जो हमारे पास नहीं है उसके लिए लगातार परेशान रहते हैं लेकिन अगर शांत मन से इस पर विचार किया जाए कि हमारे पास क्या है ईश्वर ने हमें बहुत कुछ दिया है आप ईश्वर को उसके लिए धन्यवाद देना शुरू कर दें और यकीन मानिए कि जिस दिन से आपने यह आदत डाल ली और ईश्वर को धन्यवाद देना शुरू कर दिया तो आप यह मानिए कि आप को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा क्योंकि हम अगर इस चीज को ध्यान में रखें कि जो कुछ भी जिस लायक भी हम नहीं है ईश्वर ने हमें वह बहुत कुछ दिया है लेकिन उस पर ध्यान हमारा नहीं जाता है ध्यान में उस पर अवश्य देना चाहिए और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान की प्रवृति को जरूर अपने आदतों में शामिल करें क्योंकि दान देने से ही धन के आगमन के स्त्रोत खुलते हैं आप चाहे तुझको कुछ दिन करके भी देख सकते हैं और दान देने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप कोई बहुत बड़ा कोई दान दे रहे हो जो भी आपकी सामर्थ है उसके अनुसार आप दान दे सकते हैं किसी का भी भला कर सकते हैं क्योंकि आप जैसे ही लोगों का भला करते हैं आपको देर सवेर कहीं ना कहीं आपको रिटर्न उसका मिलता है और दान देने की जो प्रवृत्ति है उसमें धन ही नहीं आता है अगर आप किसी की सहायता के लिए उसको समय दे रहे हैं उसको कोई राय दे रहे हैं और उससे उसका काम अगर बनता है तो वह भी एक दान की श्रेणी में ही आता है तो इसको अपनी आदत में शामिल करें और लोगों की मदद करना शुरू कर दें आप जितना ही लोगों की मदद करें एंगे कई बार आप देखते होंगे कि आपको भी कहीं ना कहीं से मदद मिल जाती है जब प्लीज आपको उसकी कोई उम्मीद नहीं रहती तो जब आपको कहीं ना कहीं से मदद मिल रही है तो यह उसी का परिणाम है जो आपने कहीं ना कहीं किसी की मदद की है निस्वार्थ रूप से आपको मदद करनी चाहिए ऐसा नहीं कि आपने जिसकी मदद की उस से कोई उम्मीद भी करें आप उससे भी बिल्कुल उम्मीद ना करें और यह मानकर चलें कि यह आप का करम है और आपकी जिम्मेदारी है इसलिए दान की प्रवृति को लोगों की मदद करने की आदत आपको डालनी चाहिए

Share this story