पुराणों के अनुसार राधा अष्टमी  का महत्तव

Importance of Radha Ashtami according to Puranas
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। राधा अष्टमी, देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। पुराणों के अनुसार, राधा जी को भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतम और उनकी परम भक्त माना जाता है। इस दिन को प्रेम, भक्ति, और श्रद्धा का विशेष पर्व माना गया है। 


उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। राधा अष्टमी, देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। पुराणों के अनुसार, राधा जी को भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतम और उनकी परम भक्त माना जाता है। इस दिन को प्रेम, भक्ति, और श्रद्धा का विशेष पर्व माना गया है। 

राधा अष्टमी का महत्व:
1. भविष्य पुराण के अनुसार, देवी राधा स्वयं लक्ष्मी जी का अवतार मानी जाती हैं, और इस दिन उनका पूजन करने से भक्तों को प्रेम, समर्पण, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
   
2. ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णन है कि राधा और श्रीकृष्ण की प्रेम लीला अनंत है। राधा जी को कृष्ण भक्ति का सर्वोच्च प्रतीक माना गया है, और राधा अष्टमी पर उनके पूजन से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

3. पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण का पूजन करता है, उसे सांसारिक कष्टों से मुक्ति और दिव्य प्रेम की प्राप्ति होती है। 

राधा अष्टमी पर पूजन विधि:
- इस दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान करके राधा जी का पूजन करते हैं। 
- राधा-कृष्ण की प्रतिमा पर फूल, धूप, दीप और भोग अर्पित करते हैं।
- विशेष रूप से, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ और राधा नाम का कीर्तन किया जाता है।
- उपवास रखने वाले भक्त दिनभर फलाहार करते हैं और रात में जागरण कर भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी का गुणगान करते हैं।

ज्योतिषायन की विशेष सलाह:
राधा अष्टमी के दिन विशेष रूप से राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। आर्थिक उन्नति और प्रेम जीवन में सुखद परिणाम के लिए इस दिन देवी राधा की पूजा अत्यधिक फलदायी होती है। ज्योतिषायन के विशेषज्ञ, पंडित दीपक मालवीय जी से विशेष पूजन विधि और उपाय जानने के लिए संपर्क करें।

इस दिन पूजा से धन, प्रेम, और समृद्धि में वृद्धि होती है। राधा अष्टमी के पर्व का पूर्ण लाभ उठाने के लिए ज्योतिषायन से जुड़ें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।

संपर्क करें: 
ज्योतिषायन - पं. दीपक मालवीय 
9452849130

राधा अष्टमी का महत्व:
1. भविष्य पुराण के अनुसार, देवी राधा स्वयं लक्ष्मी जी का अवतार मानी जाती हैं, और इस दिन उनका पूजन करने से भक्तों को प्रेम, समर्पण, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
   
2. ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णन है कि राधा और श्रीकृष्ण की प्रेम लीला अनंत है। राधा जी को कृष्ण भक्ति का सर्वोच्च प्रतीक माना गया है, और राधा अष्टमी पर उनके पूजन से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

3. पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण का पूजन करता है, उसे सांसारिक कष्टों से मुक्ति और दिव्य प्रेम की प्राप्ति होती है। 

राधा अष्टमी पर पूजन विधि:
- इस दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान करके राधा जी का पूजन करते हैं। 
- राधा-कृष्ण की प्रतिमा पर फूल, धूप, दीप और भोग अर्पित करते हैं।
- विशेष रूप से, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ और राधा नाम का कीर्तन किया जाता है।
- उपवास रखने वाले भक्त दिनभर फलाहार करते हैं और रात में जागरण कर भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी का गुणगान करते हैं।

ज्योतिषायन की विशेष सलाह:
राधा अष्टमी के दिन विशेष रूप से राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। आर्थिक उन्नति और प्रेम जीवन में सुखद परिणाम के लिए इस दिन देवी राधा की पूजा अत्यधिक फलदायी होती है। ज्योतिषायन के विशेषज्ञ, पंडित दीपक मालवीय जी से विशेष पूजन विधि और उपाय जानने के लिए संपर्क करें।

इस दिन पूजा से धन, प्रेम, और समृद्धि में वृद्धि होती है। राधा अष्टमी के पर्व का पूर्ण लाभ उठाने के लिए ज्योतिषायन से जुड़ें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।

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ज्योतिषायन - पं. दीपक मालवीय 
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