Akshay tritiya: अक्षय तृतीया पर यह 3 उपाय दिलाएंगे लक्ष्मी की कृपा

Akshaya tritiya 2021 date : अक्षय तृतीया पर केवल इन 3 उपाय को करने मिलेगी लक्ष्मी की कृपा
Akshay tritiya: अक्षय तृतीया पर यह 3 उपाय दिलाएंगे लक्ष्मी की कृपा
Akahaya tritiya upay: अक्षय तृतीया (akshaya tritiya date) वह तिथि है जिसका क्षय नहीं किया जा सकता है।

Akahaya tritiya upay: अक्षय तृतीया (akshaya tritiya date) वह तिथि है जिसका क्षय नहीं किया जा सकता है। इसलिए मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में जो कुछ भी खरीदा जाता है उनका क्षय नहीं होता है। हालांकि शास्त्रों की माने तो कर्म को को छोड़कर बाकी सभी चीजों का क्षय होता है। इसलिए हम आपको ऐसे तीन कर्मों के बारे में बात रहे हैं। इन तीन काम को अक्षय तृतीया के दिन करने से लाभ मिलेगा। साथ ही साथ धन की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। आगे जानते हैं इस बारे में 


अक्षय तृतीया के दिन क्या करना चाहिए? 

पहला उपाय (akshaya tritiya upay 1) - अक्षय तृतीया की तिथि को शाम के समय शुभ मुहूर्त में घर के पूजा स्थल पर स्थापित देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को गुलाबी फूल की माला अर्पित करें। फिर उनके सामने घी का दीपक जलाकर 'ॐ ॐ श्रीं श्रियै नमः' इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। ऐसा करते समय एक बात का ध्यान रखें कि निष्ठा और समर्पण बना रहे। 

दूसरा उपाय (akshaya tritiya upay 2)- लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष बैठकर एक चौमुखी घी का दीपक जला लें। इसके बाद श्री शूक्त के 16 मंत्रों पाठ करें। श्री शूक्त के पाठ में भाषा की बाध्यता नहीं है। सहजता से जिस भाषा (संस्कृत, हिंदी या अंग्रेजी) कर सकें, करें। पाठ करने के बाद मां लक्ष्मी से हाथ जोड़कर विनती करें कि आपके धन की समस्या दूर हो जाए। 

तीसरा उपाय (akshaya tritiya upay 3) घर के पूजा स्थल पर विराजमान गणेश और लक्ष्मी की पूजा करें। पहले गणेश जी की पूजा के समय 'ॐ गं गणपतये नमः' इस मंत्र का जाप करना है। इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा 'ॐ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' इस मंत्र से करने के बाद  गणेश और लक्ष्मी से अपनी मनोकामना के बारे में कहें। 

श्री सूक्त- (shri sakta) क्या है ?

 ॐ ॥ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥ १॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्

॥ २॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् । श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवीर्जुषताम्

॥ ३॥ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥ ४॥ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् । तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे

॥ ५॥ आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः

॥ ६॥ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे

॥ ७॥ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात्

॥ ८॥ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीꣳ सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्

॥ ९॥ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि । पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥ १०॥ कर्दमेन प्रजाभूता मयि सम्भव कर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्

॥ ११॥ आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे । नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले

॥ १२॥ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह

॥ १३॥ आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् । सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह

॥ १४॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान्विन्देयं पुरुषानहम्

॥ १५॥ यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्य मन्वहम् । श्रियः पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥ १६॥

अक्षय तृतीया कब है? (Akshay tritiya shubh muhurat)

अक्षय तृतीया के दिन पूजा के लिए सबसे अच्छा समय 5 बजकर 38 मिनट से लेकर 12 बजकर 17 मिनट तक है। वहीं तृतीया तिथि का आरंभ 14 मई को 38 मिनट पर हो रहा है। जबकि तृतीया तिथि का समापन 15 मई को 07 बजकर 59 मिनट पर है।

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