Amavasya kab hai: अमावस्या पर इन उपायों को करने से नहीं रहेगी पैसों की किल्लत, ये है खास उपाय

अमावस्या तिथि (अमावस्या दान का महत्व) पर दान का विशेष महत्व बताया गया है।
Amavasya
अमावस्या के दिन शाम के समय कुछ खास उपायों को करने से पैसों की किल्लत से छुटकारा मिलता है।

अमावस्या क्या है (amavasya kya hai) जो इसे नहीं जानते हैं उनके मन में इस बात को जानने की चाहत होती है। वैदिक पंचांग के मुताबिक अमावस्या हर महीने पड़ती है। अमावस्या कब होती है? ज्योतिष के अनुसार शुक्लपक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की 15वीं को अमावस्या कहते हैं। अमावस्या तिथि (अमावस्या दान का महत्व) पर दान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई प्रकार की समस्या का हल निकल जाता है जिसमें से एक धन की समस्या भी है। कहते है कि इस दिन जितना हम दान करते हैं उससे कई गुना अधिक हमें प्राप्त हो जाता है। तो आगे जानते हैं कि अमावस्या पर दान के अलावा और क्या-क्या करने से जीवन में आ रही धन की बाधा को खत्म किया कर सकते हैं।

पैसों की तंगी को दूर करने के लिए (get rid of money problem)

अमावस्या की रात में आपको (10-1 बजे के बीच) आपको ये उपाय करना है। इस उपाय को करने के लिए ताँबे के बर्तन (लोटा, कटोरी या ग्लास) में कच्चा चावल (अरवा) भरें। इसके बाद उत्तर दिशा की ओर चेहरा कर के बैठ जाएं। फिर ताँबे का पात्र अपने सामने रखें। अब इसके दोनों तरफ घी का दीपक जलाकर रखें। अब ताँबे के पात्र पर अपना दाहिना हाथ रखकर धन प्राप्ति हेतु प्रर्थना करें।

बीमारी से छुटकारा और अच्छी सेहत के लिए उपाय (Remedy for disease and good health on Amavasya)

अगर आप बीमारी से परेशान हैं या अच्छी सेहत की कामना करते हैं तो इसके लिए आप सबसे पहले अमावस्या (सोमवती अमावस्या के उपाय) की रात्रि में खीर बनाकर शिव जी को अर्पित करें। इसके अलावा पितरों को भी खीर अर्पित करें।
शिव जी को अर्पित किए गए खीर को गरीबों में बांटें और पितरों के निमित्त अर्पित किया हुआ खीर पशु पक्षियों में बांटे।

अमावस्या की शाम को सफेद चंदन की लकड़ी को किसी नीले रंग के धागे से बांधकर गले में धारण कर लें या अपनी दाईं भुजा पर बांध लें। 

घरेलू समस्या को दूर करने के लिए (Measures to overcome the domestic problem on amavasya)

अमावस्या की शाम को क्या करें? अमावस्या के दिन शाम के समय स्नान करके नारंगी वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजन करें। ध्यान रखना है कि पूजन के समय 'ॐ गौरी शंकराय नमः' इस मंत्र का 11 माला जाप करें। 
 
इसके बाद बिना प्याज-लहसन का बना हुआ भोजन किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। फिर उस ताँबे के बर्तन को वहीं पर छोड़ दें। ध्यान रखें कि दीये को खुद से नहीं बुझाना है। 

दिया बुझ जाने के बाद ताँबे के बर्तन के मुंह पर लाल कपड़ा बांध दें। फिर इस बर्तन को अपने किचन में सुरक्षित स्थान पर रख दें।

पैसों की किल्लत जब दूर हो जाएं तो ऐसी दशा में बर्तन सहित चावल किसी जरूरतमंद को दान कर दें।

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