बाबा नीम करोली द्वारा स्थापित प्राचीन हनुमान मंदिर जो गोमती में बाढ़ भी नही बहा सकी

 बाबा नीम करौली द्वारा स्थापित मंदिर जिसके आगे सरकार भी हो गई थी नतमस्तक
Sankat mochan dham.mandir lucknow

लखनऊ में बाबा नीबकरोरी महाराज द्वारा स्थापित हैं  दो- दो  हनुमान मंदिर।


बाबा नीब करोरी महाराज द्वारा लखनऊ में हनुमान जी के दो विग्रह स्थापित हैं। द्वितीय विग्रह हनुमान सेतु मंदिर के नाम से है जो कि लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग पर है और प्रथम प्राचीन विग्रह मुख्य मार्ग से नीचे उतरकर गोमती तट पर स्थित है। आप दर्शन करने जाएंगे तो यहां की ऊर्जा का एक अलग ही स्तर अनुभव में आता है, मन करता है घंटों यहां बैठे रहें।

प्राचीन हनुमान सेतु मंदिर का इतिहास______


50 के दशक में लखनऊ में बाबा नीबकरोरी महाराज ने तत्कालीन सरकार के मंशा के विपरीत गोमती तट के किनारे हनुमान जी महाराज की स्थापना की और बाबा जी की कुटिया के रूप में एक कमरे का भी निर्माण हुआ।
बाबा महाराज यही गोमती नदी के किनारे भक्तों को दर्शन और प्रसाद देते थे  ।


कुछ समय पश्चात गोमती नदी में बाढ़ आ गई। आसपास का पूरा इलाका जलमग्न हो गया। सरकार ने सर्वे कराया और अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि बाबा नीबकरोरी महाराज के हनुमान मंदिर के कारण गोमती के धारा अवरुद्ध होकर दो भागों में बंट गई है आसपास के सरकारी भवनों और गोमती तट के उस पार की प्राचीन मुगलकालीन छतर मंजिल, शहंशाह कोठी, मोती महल आदि पुरातात्विक भवनों को खतरा है। तत्कालीन सरकार ने भरसक प्रयास किया कि यह मंदिर यहां से हट जाए। बाबा जी ने कहा कि मंदिर यहां से नहीं हटेगा, हनुमान जी यहां से कहीं नहीं जाएंगे गोमती चाहें तो  ले जाएं। बाबा जी ने भक्तों से कहा हनुमान जी को बाढ़  से कुछ नहीं होगा। समय-समय पर दो-तीन बार गोमती में भयंकर बाढ़ आई और शहर के आसपास का पूरा इलाका जलमग्न हो गया। लेकिन बाबा महाराज की भविष्यवाणी के अनुसार भयंकर बाढ़ में भी हनुमान जी महाराज को कुछ नहीं हुआ। हनुमान जी महाराज वैसे ही खड़े रहे।

गोमती नदी तट पर प्राचीन मंदिर

गोमती नदी के किनारे बाबा नरम करोली द्वारा निर्मित हनुमान  मंदिर 

 अंततः बाबा महाराज की लीला और उनके भक्तों के सामने सरकार की एक न चली और सरकार ने हनुमान जी महाराज के मंदिर को विस्थापित करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने मुख्य मार्ग पर सरकारी जमीन और उस समय ₹25000 समझौते के रूप में दिया।


 इस बीच गोमती नदी के ऊपर प्राचीन जर्जर पुल से हटकर नए  सेतु का निर्माण प्रारंभ हुआ। इसका ठेका मुंबई के श्री एस बी जोशी को मिला। कंपनी द्वारा नए पुल के निर्माण के समय गोमती नदी में पुल के जो भी स्तंभ खड़े किए जाते थे वह दूसरे दिन  नष्ट हो जाते थे। इससे पुल का निर्माण भी बाधित था और कंपनी को भी काफी क्षति उठानी पड़ रही थी। उधर जोशी जी के पुत्र की तबीयत काफी खराब हो गई थी वह बहुत परेशान थे। इस बीच उन्हें बाबा नीब करोरी महाराज जी के पास जाने की कुछ लोगों ने सलाह दी और वह महाराज जी के समक्ष उपस्थित हुए।

महाराज जी ने कहा ऊपर जो जमीन मिली उस पर हनुमान मंदिर बनवा दे और जो ₹25000 मिला है यह भी ले  लो। जोशी जी ने महाराज जी की बात सहर्ष स्वीकार किया। उधर पुल के निर्माण में आने वाली बाधा दूर हो गई और उनके बेटे की तबीयत भी ठीक होने लगी।जोशी जी ने उक्त धनराशि के साथ-साथ अपना पैसा भी लगाकर भव्य  मंदिर निर्माण कराया। आज यह भव्य मंदिर लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने मुख्य मार्ग पर हनुमान सेतु मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और लाखों भक्त देश-विदेश से इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।


बाबा महाराज की लीला देखिए कि मुख्य मार्ग पर भव्य नए हनुमान सेतु मंदिर का निर्माण हो गया और उधर हनुमान जी महाराज का प्राचीन विग्रह जो गोमती तट पर स्थापित था वह भी स्थापित ही रहा सरकार चाहकर भी कुछ न कर सकी और बाबा जी महाराज की लीला के आगे मंदिर को विस्थापित ना कर सके।


तब से आज तक हनुमान जी महाराज सीना तानकर गोमती मां की गोद में खड़े हैं और आज भी हनुमान जी महाराज और बाबा महाराज के भक्त गोमती तट के किनारे प्राचीन हनुमान सेतु मंदिर में हनुमान जी महाराज का दर्शन करने जाते हैं। महाराज जी के समय में पंडित गया प्रसाद पांडे जी यहां पर पुजारी के रूप में हनुमान जी की सेवा में रहे। लगभग दस वर्षों तक पंडित गया प्रसाद पांडे जी को बाबा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ।वर्तमान में इनके सुपुत्र पंडित श्याम पांडेय मंदिर के पुजारी हैं जो हनुमान जी महाराज सेवा में रत रहते हैं और मंदिर की व्यवस्था देखते हैं। अतः जब भी लखनऊ में हनुमान सेतु मंदिर का दर्शन करने जाएं तो बाबा नीबकरोरी महाराज जी द्वारा स्थापित प्रथम प्राचीन हनुमान सेतु मंदिर गोमती तट में भी दर्शन करने अवश्य जाएं।


 यह मंदिर बाबा नीबकरोरी महाराज की लखनऊ की लंबे समय तक लीला स्थली रही है। 
प्रमोद शुक्ल,शिक्षक लखनऊ

Share this story