बच्चे के जन्म के लिए सबसे अच्छा नक्षत्र कौन सा है | Mool Me Bachhe Ke Paida Hone Se Kya Hoga?

संतान जन्म के लिए कौन सा नक्षत्र भाग्यशाली है | Mool Nakshatra Me Janme Log Kaise Hote Hain?

what is the effect of gandmool nakshatra

सबसे भाग्यशाली नक्षत्र कौन सा होता है?

Gandmool Nakshatra Kya Hota Hai?

मूल में पैदा होने से क्या होता है?

बच्चे के जन्म के बाद, कुंडली में सबसे पहले गंडमूल देखा जाता हैं और यह विचार उस समय उत्पन्न होता है जब बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में होता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें से छह नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र माने जाते हैं: ज्येष्ठा, आश्लेषा, रेवती, मूल, मघा, और अश्विनी। ज्येष्ठा, आश्लेषा, और रेवती का स्वामी बुध होता है, जबकि मूल, मघा, और अश्विनी का स्वामी केतु होता है।

कष्ट दे सकता हैं इस नक्षत्र में जन्मा बच्चा, जरूर करे ये ज्योतिष उपाए

जन्म नक्षत्र में गंडमूल दोष के कारण बच्चे और परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद, यह विश्वास अंधविश्वास के रूप में भी जाना जाता है, और इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यदि इसे सही ढंग से समझा जाए तो बच्चे के भविष्य पर इसका कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते है, और इन 27 नक्षत्रों को पदों में विभाजित किया जाता है, मतलब हर एक नक्षत्र के 4 पद होते है। अब इसे थोडा सा और विस्तृत तरीके से समझते हैं। आप सभी जानते हैं ज्योतिष गणना में 12 राशियाँ होती है और राशिओं का नक्षत्रों से बहुत गहरा सम्भन्ध हैं। हर एक राशि, नक्षत्र के 9 पदों से बनती हैं, या हम ये भी कह सकते हैं की एक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं, अर्थात 4 पदों से एक नक्षत्र बनता है. और 9  पदों से एक राशि बनती है. जिस भी नक्षत्र में एक नई राशि समाप्त होती है या आरम्भ होती हैं वह नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहलाते है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र है जिनमे से 6 नक्षत्र ज्येष्ठा, आश्लेषा, रेवती, मूल, मघा और अश्विनी नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र होते हैं। अब बात आती हैं गंडमूल नक्षत्र की तो जिस भी नक्षत्र में एक नई राशि समाप्त होती है या आरम्भ होती हैं वह नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहलाते है, जैसे की कर्क राशि के 9 पद और आश्लेशा नक्षत्र के 4 पद यहाँ खत्म हो रहे हैं और इसी तरह वृचिक राशि का समापन ज्येष्ठा नक्षत्र के साथ हो रहा हैं और ऐसे ही मीन राशि और रेवती नक्षत्र दोनों एकसाथ समाप्त हो रहे हैं. लेकिन हर जगह ऐसा नहीं है. जैसे की मिथुन राशि के समाप्त होने पर  पुनर्वसु नक्षत्र नही खत्म हुआ। ऐसे ही जब एक नई राशी और नक्षत्र एक साथ आरम्भ होते है तो वह नक्षत्र भी गंडमूल नक्षत्र कहलाता हैं जैसे की सिंह राशि के साथ माघ नक्षत्र, धनु राशि के साथ के साथ मूल नक्षत्र, मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र जैसे 6 नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र बन जाते हैं. 

mool me bachhe ke paida hone se kya hoga

गंडमूल नक्षत्र कब अनिष्टकारी होता है ?

ज्योतिषी रजत सिंगल (RAJAT SINGAL) के अनुसार यह भी महत्वपूर्ण होता है की गंडमूल नक्षत्र में भी बच्चे का जन्म कौन से चरण में हुआ है, जैसे रेवती नक्षत्र का प्रथम चरण, अश्लेषा का चतुर्थ चरण, मघा एवं मूल का प्रथम चरण ज्येष्ठा का चतुर्थ चरण अधिक अनिष्ठ कारक है। लेकिन इन मूल नक्षत्र के साथ-साथ अगर बच्चे का जन्म मंगलवार या शनिवार को हो तो अधिक खराब स्तिथि रहती है, फिर भी घबराये नहीं क्योकि कुंडली में अनेक परिहार योग बनते है जिनमे अधिकतर कुंडली में मूल नक्षत्र दोष का परिहार हो जाता है, आप भी किसी अच्छे ज्योतिष की सहायता से इसका निवारत करा सकते हैं, जैसे की.
1. अगर कन्या का जन्म दिन के समय हुआ है और लड़के का जन्म रात्रि के समय हुआ हो, तो ऐसे में भी मूल नक्षत्र का प्रभाव काम होता है. 
2. अगर आपकी कुंडली में लग्न राशि वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ है तो मूल नक्षत्र दोष परिहार हो सकता है.

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गंडमूल पूजन कब करायें ?

गंडमूल नक्षत्र में उत्पन्न बच्चे की विद्वान एवम योग्य ब्राह्मण द्वारा शांति पूजन जरूर करा लेना चाहिए, यह शांति पूजन जन्म के 27 दिन बाद उसी नक्षत्र में पूरे विधि विधान से ही करना चाहिए जिस नक्षत्र में बच्चे का जन्म हुआ हो. 
लेकिन अगर आपने मूल शांति नहीं कराई है तो बच्चे के जन्मदिन पर किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह से दान पूजन करना चाहिए ऐसा करने से भी मूल शांत होते हैं.

कुछ सरल उपायों को अपनाकर आप भी गंड मूल दोष ख़त्म कर सकते हैं 
गंड मूल दोष के बुरे प्रभावों का उपाए जन्म के समय नहीं किया गया है तो नीचे दिए गये उपाए करके आप इसके बुरे प्रभाव को कम जरूर कर सकते हैं। 
1. अगर आपका चन्द्रमा बुध नक्षत्र में है तो बुध और चन्द्रमा के मन्त्र का जाप करना चाहिए । जिसमे चंद्रमा का मंत्र है “ॐ श्री सोमाय नमः” और बुध का मंत्र है “ॐ श्री बुधाय नमः” जिसमे से इन दोनों मंत्रो का 108 बार जाप करना चाहिए ।
2. अगर चन्द्रमा केतु नक्षत्र में है तो केतु और चन्द्रमा के मंत्र का जाप करना चाहिए। 
3. सोमवार या बुधवार के दिन यदि चंद्रमा बुध के नक्षत्र में हो तो हरे रंग के कपड़े पहनें।
4. अगर चंद्रमा केतु नक्षत्र में हो तो सोमवार और बुधवार को भूरे रंग के वस्त्र पहनें।
5. सोमवार के दिन गौशाला में गायों को पालक और घास खिलाएं।
6. अगर चन्द्रमा केतु नक्षत्र में है तो सुख की खोज करने से बचना चाहिए, इसके साथ ही बुधवार और सोमवार की आध्यात्मिक गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दें।
7. अगर चंद्रमा गंड मूल में है,  तो प्रतिदिन गणेश जी के मंत्र “ओम गं गणपतये नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। 

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