Bali Pratha In Hnduism : क्या हिंदू धर्म पशु बलि की अनुमति देता है?

What Does Hinduism Say About Killing Animals?

 देवी देवताओं को बलि क्यों दी जाती है

Bali Pratha In India

क्या बलि प्रथा सही है?

Animal Sacrifice In Hinduism

 धर्म ज्योतिष डेस्क इंदौर ,(दीपिका तिवारी)

पहले यह जानना जरूरी:-

वेदों में प्रयुक्त भाषा वैदिक भाषा है , और समय के साथ अपनी सुविधा अनुसार मनुष्य इस भाषा को अपने स्पष्टीकरण के आधार पर नए अर्थों के साथ अपने ज्ञान में पिरोता गया। मान्यता अनुसार पशु बलि वैदिक सभ्यता के बलिदानों का हिस्सा थी पर यज्ञों के द्वारा समर्पित होकर...

देवी देवताओं को बलि क्यों दी जाती है?

वैदिक साहित्य में यज्ञ का पर्याय है अधंवर जिसका अर्थ है 'हिंसा से मुक्त..' इसलिए यज्ञ कोई साधारण मानव जीव ना होकर ऋषियों द्वारा किया जाता था। जिसमें व्यक्ति को अपने 'स्वार्थ' अपने 'मैं' को त्यागना होता था।
किसी को अपने अंदर के क्रूर या पशु का वध या बलि देनी होती थी अभिप्राय पशु बलि करनी होती थी। यज्ञ में मनुष्य के अंदर का 'स्वयंभू' जानवर को आध्यात्मिक ज्ञान व भलाई के लिए नियंत्रित करके उसे जानवर का वध किया गया।

 देवी देवताओं को बलि क्यों दी जाती है?

संस्कृत में 'अश्व 'का तात्पर्य है 'घोड़ा' परंतु वैदिक भाषा में इसके दो अर्थ हैं 'आत्मा' और 'राष्ट्र' अभिप्राय : अश्वमेध बलि/ यज्ञ का तात्पर्य हुआ आत्मा का शुद्धीकरण व राष्ट्र का नवीकरण करने वाला यज्ञ/ बलि।
अफसोस कुछ अंतराल बाद बलि जैसे विशाल कार्य को निर्दोष और प्राणियों के वध के समीकरण में ढाल दिया गया।
अपितु सच्चाई यह भी है कि हम मध्य युग में भारत व दुनिया के कई हिस्सों में जानवरों की बलि दी जाती थी लेकिन वेदों द्वारा बलि की परिभाषा यह नहीं ।

सवाल यह है कि , क्या बलि प्रथा हिंदू धर्म का हिस्सा है?

वेद, उपनिषद और गीता एकमात्र धर्मशास्त्र है । पुराण या अन्य शास्त्र नहीं अपितु एकयदि वेद ,उपनिषद और गीता इसकी इजाजत नहीं देती तो फिर यह प्रथा क्यों?

बलि प्रथा का उल्लेख तांत्रिकों के समुदाय में देखने को मिलता है लेकिन इसका कोई धार्मिक आधार नहीं है।  वेदों में धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार की बलि प्रथा की इजाजत नहीं दी गई है । यदि आप मांसाहारी है तो आप मांस खा सकते हैं ,पर धर्म का आश्रय लेकर नहीं । हमारा दुर्भाग्य यह है कि लोग धर्म के अनुसार ना चलकर अपनी सुविधा के अनुसार धर्म के मायने बदलते रहते हैं।  वेदों में कई मंत्र उल्लेखनीय है जो इस बात को प्रमाण करते हैं कि हिंदू धर्म में बलि प्रथा निषेध है, और यह प्रथा हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं है।

ऋग्वेद में वर्णन है," मा नो गोषु मा नो अश्वेसु रीरिष:।

अर्थात 

हमारे गाय व घोड़े को ना मारा जाए।

पशु बलि प्रथा का वर्णन हमारे ग्रंथो में मिलता है लेकिन यह भी सत्य है कि यह उस समय के काल ,समय और अवधि के हिसाब से था पर वर्तमान अवधि पूरी तरह से बदल चुकी है, ऐसे में पशु बलि प्रथा किसी भी मायने में बेहतर नहीं कहीं जा सकती. "महावीर" और "बुद्ध "जैसे महान संत जिन्होंने पशु बलि/ यज्ञ के खिलाफ विद्रोह किया और सभी को जीवन के प्रति सम्मान और सेवा की ओर अग्रसर किया।  बलि का अर्थ है, "क्रोध"," वासना" और" मैं "को मुक्त करना ।
इसलिए ,यह अहम् है कि हम लोगों को जागरूक करें कि पशु बलि किसी भी तरह से" वेदों" द्वारा समर्थित नहीं थी, ना है, ना होगी।

Dipika tiwari astrologer jyotish

लेखिका दीपिका तिवारी

ज्योतिषी हैं और टैरो कार्ड ,न्यूमेरोलॉजी की एक्सपर्ट है ।

 

Share this story