भगवान जगन्नाथ की यात्रा वृतांत ,कैसा रहा दर्शन बता रहे रूपक श्रीवास्तव

भगवान जगन्नाथ की यात्रा वृतांत ,कैसा रहा दर्शन बता रहे रूपक श्रीवास्तव




Dharm Desk -भगवान जगन्नाथ यात्रा वृतांत रूपक श्रीवास्तव द्वारा


आज का दिन मेरे लिए बहुत ही बड़ा दिन था मेरे जीवन मे बहुत ही सुखद अनुभव वाला दिन था आज हम और हमारे प्रिय मित्र प्रशान्त पहुचे चारो धामो में से एक धाम जगन्नाथ पुरी।

उड़ीसा राज्य में स्थित जगन्नाथ पुरी धाम भगवान विष्णु के रूप भगवान कृष्ण जी का धाम है । हम लोग शाम को लगभग 6:30pm पे पूरी स्टेशन पहुच गए उसके बाद तुरन्त ऑटो करके मंदिर के पास एक रूम लिया रूम लेते समय बातो बातो में पता चला कि आज एकादशी है आज भगवान का दिन है आज का दर्शन बहुत शुभ है।

हम लोग तुरन्त रूम में आये और नहा के जल्दी जल्दी तैयार हो गये मंदिर जाने के लिए। होटल वाले कि मदद से एक पंडित जी मिले जो हम लोगो को मंदिर लेके गए मंदिर हम लोग जब पहुचे तो मंदिर बन्द होने वाला था जल्दी से हम लोग मन्दिर के अंदर गए हम लोगो का टाइम थोड़ा कम लगा क्यों कि हम लोग कोविड टेस्ट अयोध्या से ही करवा के आये थे । मन्दिर के अंदर जैसे जैसे जा रहे थे भगवान को देखने की लालसा बढ़ती जा रही थी साथ मे पंडित जी मंदिर के बारे में बताते चल रहे थे धीरे धीरे हम लोग मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुच गए वाह अद्भुत दृश्य था भगवान जगन्नाथ जी हमारे सामने थे दिल एक दम प्रसन्न हो गया ।

आज संयोगवश जो शुभ क्षण हम लोगो के पास था वो बहुत ही यादगार बन गया पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है।




रूपक श्रीवास्तव अपने मित्र के साथ

जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।

मंदिर से गर्भगृह से हम लोग प्रांगड़ में आये हम लोगो के साथ आये पंडित जी ने हर एक मंदिर का इतिहास बताया फिर हम लोग विमला देवी का दर्शन किये ये मंदिर माता रानी के शक्तिपीठ में आता है वहा के पुजारी ने बताया कि सती मा का यह पैर गिरा था फिर धीरे धीरे हम लोग आगे बढ़ते गए और फिर जाते जाते एक बार और जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए अंदर गए जब वहां पहुचे तो 9 बजे का समय रहा होगा हम लोगो ने देखा कि भगवान का सिंगार फूलो से हो रहा है हम लोग वहां रुक गए और फिर सुर हुआ अद्धभुत क्षण हम लोगो के सामने ही भगवान जगन्नाथ जी का श्रृंगार शुरू हुआ देखते देखते रात के 10:30 बज गए और पता भी न चला भगवान के श्रृंगार देख मन बहुत ही प्रभुलित हुआ जो कि बया न किया जा सकता फिर भोग लगा आरती हुई फिर भगवान का पलंग लगाया गया मंदिर के लाइट बन्द की गई कपाट बंद हुआ यह सब होते होते रात के लगभग 11 बज गए फिर भगवान का लगा भोग का प्रशाद भी मिला ।





आज का दर्शन बहुत ही किस्मत वाला था ।हम लोग किस्मत वाले भी थे क्यों कि भगवान जगन्नाथ जी के सामने लगभग 2 से ढाई घण्टे तक रहना किस्मत की बात थी और बहुत सी बातें है जो आगे के पोस्ट में लाऊंगा । भगवान जगन्नाथ की कृपा सब पे बनी रहे।

#पूरी_यात्रा

#भगवानजगन्नाथजी_की_जय_हो

Share this story