इस मंदिर में भोले बाबा देते हैं साक्षात् दर्शन

इस मंदिर में भोले बाबा देते हैं साक्षात् दर्शन
कानपुर -इतिहास के पन्नों में कानपुर का नाम सुनहरे अक्षरों में आता है,लेकिन यहां पर बने मन्दिर, तीर्थस्थलों की और भी मान्यताएं है।ऐसा ही कानपुर शहर में बीचोंबीच बना परमट का आनन्देश्वर मन्दिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शंकर सावन के हर सोमवार को भक्तों को दर्शन देते है।उनके एकमात्र दर्शन से सारे कलेश व द्वेश पल भर में ही समाप्त हो जाते है। यहां पर दर्शन करने के लिए शहर तो शहर विदेशों से भी लोग आते है। भक्तों के लिए 24 घंटे सावन भर मन्दिर का पट खुला रहता है।मन्दिर में भीड़ को देखकर जिला व पुलिस प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किया है। कहां पर है मंदिर- उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर सिविल लाइंस के परमट स्थित आन्देश्वर मन्दिर कई एकड़ में बना हुआ है। गंगा के किनारे स्थापित यहां मन्दिर का दृश्य बहुत ही सुहाना और मनभावक है। भगवान शिव के दर्शन करने के लिए सुबह चार बजे से भक्तों की भीड़ जुटने लगती है। मन्दिर के महंत बताते है कि यहां पर स्वयं भगवान भोलेनाथ विराजमान है। सावन के प्रत्येक सोमवार को वह साक्षात भक्तों को दर्शन देते है। महाभारत के इतिहास से जुड़ा परमट मन्दिर - मन्दिर के महंत रमेशपुरी ने बताया कि यह परमट मन्दिर महाभारत के इतिहास से जाना जाता है। उस काल में गंगा के किनारे दानवीर कर्ण पूजा करने आते थे। पूजा करने के दौरान एक गाय आती थी, जहां कर्ण पूजा करते थे वहीं वह गाय अपना थन का दूध रिसाव कर देती थी। गाय के दूध ऐसे गिराने पर मालिक काफी परेशान हुआ। जिसके बाद मालिक व गांव के ही ग्रामीणों ने दूध वाले जगह पर खुदाई की, जिसके बाद भगवान शंकर का शिवलिंग निकला। उसके बाद पुर्वर्जों ने इस मन्दिर को बाबा आन्देश्वर नाम दिया है। यहां आने वाले भक्तों का क्या कहना है- एक निजीं कंपनी के मैनेजर दीपक शर्मा ने बताया कि वह अपनी नौकरी व परिवार की समस्याओं से धिरे रहते थे। इन समस्याओं से कभी तो यह लगता था कि वह अपनी जान दे दे। लेकिन एक दोस्त के साथ वह पहली बार जब बाबा आन्देश्वर के दर्शन किए तो उन्हें बहुत शान्ति मिली। जिसके बाद वह रोज दर्शन करने मन्दिर आते है। आज वह एक अच्छी कंपनी में मैनजर है और परिवार में सुख शान्ति है। ऐसे करे पूजा होगी मनोकामना पुरी - सावन मास में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति सावन में प्रतिदिन पूजा नहीं कर सकते है, उन्हे सोमवार के दिन शिव पूजा और व्रत रखना चाहिए। सावन में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व बतलाया गया है। श्रावण मास में जितने सोमवार पड़ते है,उन सब में यदि व्रत रखकर विधिवत पूजन किया तो मनोकामनायें पूर्ण हो सकती है। सावन के मास में सोमवार को इतना महत्पूर्ण क्यों बताया गया है, सोमवार का अंक 2 होता है जो चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है। जो किसी देवता को नहीं चढ़ती,उससे प्रसन्न होते शिव भोलेनाथ को देवों के देव यानी महादेव भी कहा जाता है। कहते हैं कि शिव आदि और अनंत हैं। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनकी लिंग रूप में भी पूजा जाता है। शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अनेक ऐसी चीजें पूजा में अर्पित की जाती हैं जो और किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती। जैसे आंक, बेलपत्र, भांग आदि।

Share this story