बृहस्पतिवार का व्रत कब और कैसे शुरू करें, जानिए व्रत-कथा व पूजा विधि

बृहस्पतिवार का व्रत कब और कैसे शुरू करें, जानिए व्रत-कथा व पूजा विधि

बृहस्पतिवार का व्रत (brihaspativar vrat) उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी होता है, जिनकी कुंडली (kundali) में बृहस्पति ग्रह (Jupiter) की दशा खराब होती है. अगर कुंडली (kundali) में बृहस्पति ग्रह (Jupiter) की दशा ठीक नहीं होने से जातक को विवाह (marriage) में रुकावट, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और आर्थिक स्थिति ख़राब होने लगती है. मान्यता है कि संतान सुख की चाहत रखने वाले जातकों के लिए भी गुरुवार का व्रत (guruwar ka vrat) लाभकारी है। आगे जानते हैं कि बृहस्पतिवार का व्रत (brihaspativar vrat) कैसे शुरू करें, क्या है व्रत कथा (vrat katha) और पूजन विधि (puja vudhi)...

बृहस्पतिवार का व्रत क्यों किया जाता है? (brihaspativar ka vrat kyon kiya jata)

हिन्दू धर्म (hindu religion) में गुरुवार के व्रत (brihaspativar vrat) का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु (lord vishnu) को समर्पित होता है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु (Vishnu) प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही इस व्रत को करने से माँ लक्ष्मी (lakshmi) की भी कृपा बनी रहती है। इस व्रत को पुरुष या महिलाऐं, कोई भी रख सकता है। गुरुवार का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत को करने से दरिद्रता दूर होती है और धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। यदि किसी जातक की शादी में रुकावट आ रही हो तो गुरुवार का व्रत करने से जल्दी शादी होती है।

कब शुरू करें बृहस्पतिवार का व्रत? (When to start Thursday fast?)

बृहस्पतिवार का व्रत (brihaspativar vrat) कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए इसे एक खास मुहूर्त में ही शुरू करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार बृहस्पतिवार का व्रत (brihaspativar vrat) शुक्ल पक्ष (Shukla paksha) में गुरुवार व अनुराधा के योग से शुरू करना अच्छा माना जाता है। यह व्रत कितने समय तक रहना चाहिए इस भी कुछ नियम है। गुरुवार का व्रत 1, 3, 5, 7, 9, 11 या 1 से 3 साल या जीवन भर रख सकते हैं।

  • बृहस्पतिवार व्रत करने की विधि (brihaspativar vrat Vidhi)
  • बृहस्पतिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत करने का संकल्प करें।
  • उसके बाद स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करके बृहस्पति देव को पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके अलावा बृहस्पति देव को प्रसाद में पीले चने की दाल, मुनक्का, गुड़, हल्दी, पीला चावल और पीले पेड़े चढ़ाएं।
  • इस दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि केले के पेड़ में विष्णु भगवान का वास होता है इसलिए केले के पेड़ में जल अर्पित करें।
  • इस दिन भक्तिभाव से बृहस्पतिवार की व्रत कथा पढ़े और पूजा करें। इस व्रत में पीली चीज़ें खानी चाहिए। इस दिन आप फलाहार करें या रात में पीले चने की दाल या अन्य पीली चीज़ें खा कर व्रत पूरा करें।

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