Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा कब है? जानें इसका महत्व और कारण

Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा भगवान गौतम बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है. जो कि प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल की पूर्णिमा तिथि पर पड़ती है।
Buddha Purnima 2024

Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा भगवान गौतम बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है. जो कि प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल की पूर्णिमा तिथि पर पड़ती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष कब है बुद्ध पूर्णिमा और क्या महत्व है इसका।

Buddha Purnima: देखा जाए तो पूर्णिमा की तिथि प्रत्येक माह में पड़ती है. लेकिन वैशाख महीने की पूर्णिमा का बहुत महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यताएं हैं कि ये वही दिन है जब भगवान गौतम बुद्ध इस धरती पर जन्म लिए. और इसी तिथि पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस पूर्णिमा पर गंगा स्नान का बेहद महत्व है. इसके अलावा दान -पुण्य आदि का करने से लोगों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पितरों को शांति मिलती है. बता दें कि इस दिन को बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की जाती है और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपवास रखा जाता है. इस पर्व को हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म के लोग मनाते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं.

बुद्ध पूर्णिमा की तारीख

Buddha Purnima 2024 Date and Muhurat: इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 23 मई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान बुद्ध की 2586वीं जयंती है. इस तिथि की शुरुआत 22 मई की शाम 6 बजकर 47 मिनट पर होगी और और समापन 23 मई की शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

Buddha Purnima Ka Mahatwa: वैशाख महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस तिथि को कई नामों से जाना जाता है जैसे वैशाखी पूर्णिमा, पीपल पूर्णिमा, गंगा स्नान पूर्णिमा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान बुद्ध की भी आराधना की जाती है. पूर्णिमा के दिन पवित्र तीर्थों में स्नान दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. बहुत से लोग इस दिन गंगा स्नान करने जाते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास

History of Buddha Purnima: ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध का जन्म लगभग 2585 वर्ष पहले नेपाल के लुंबिनी में हुआ था. ऐसी किवदंतियां हैं कि सिद्धार्थ के जन्म के बाद, बुद्ध ने सात कदम उठाए, हर कदम के साथ उनके पैरों के नीचे एक कमल का फूल खिलने लगता था. बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुई इस घटना को बुद्ध के जन्म के रूप में मनाया जाता है. बुद्ध को ज्ञानप्राप्ति, उनकी सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया और आत्मज्ञान का प्राप्त किया। दुनिया भर के बौद्ध इस दिन को ध्यान, प्रार्थना और लोगों के प्रति दया दिखाकर मनाते हैं.

ऐसा भी कहा जाता है कि कुशीनगर वह स्थान है जहां बुद्ध का परिनिर्वाण हुआ था. ऐसा माना जाता है कि जन्म और मृत्यु के चक्र से उनको अंतिम मुक्ति उनके निधन के साथ ही मिली थी. बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूत्र पढ़ने, फूल और धूप चढ़ाने और मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.

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