How Did Buddha Attain Enlightenment: बुद्ध को कैसे हुई ज्ञान की प्राप्ति? जानें पूरी घटना

How Did Buddha Attain Enlightenment: गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 484 में हुआ और उनका परिनिर्वाण करीब 563 ईसा पूर्व में हुआ था. बुद्ध के जन्म के समय ही राज पुरोहित ने उनकी कुंडली देखकर उनके पिता शुद्धोधन से कहा था कि यह एक दिन जरूर महान तपस्वी बनेगा।
Buddha Ko Gyan Prapti

How Did Buddha Attain Enlightenment: गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 484 में हुआ और उनका परिनिर्वाण करीब 563 ईसा पूर्व में हुआ था. बुद्ध के जन्म के समय ही राज पुरोहित ने उनकी कुंडली देखकर उनके पिता शुद्धोधन से कहा था कि यह एक दिन जरूर महान तपस्वी बनेगा। महज 29 वर्ष की आयु में राजकुमार सिद्धार्थ ने अपनी पत्नी, बेटे और राजशाही व्यवस्था को छोड़कर तपस्वी बन गए.

Buddha Ko GyanPrapti: गौतम बुद्ध का जीवन मानव जगत के लिए बहुत प्रेरणास्त्रोत के रूप में काम करता है. गौतम बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है. बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि इस धर्म की स्थापना उन्होंने जात-पात, छुआछूत, भेदवाव आदि से हटकर की थी ताकि सभी को समान माना जाए. गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 484 में हुआ और उनका परिनिर्वाण करीब 563 ईसा पूर्व में हुआ था. बुद्ध के जन्म के समय ही राज पुरोहित ने उनकी कुंडली देखकर उनके पिता शुद्धोधन से कहा था कि यह एक दिन जरूर महान तपस्वी बनेगा। महज 29 वर्ष की आयु में राजकुमार सिद्धार्थ ने अपनी पत्नी, बेटे और राजशाही व्यवस्था को छोड़कर तपस्वी बन गए. और ज्ञान की खोज में चले गए. आइए जानते हैं कि राजकुमार सिद्धार्थ कैसे बन गौतम बुद्ध।

राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में जीवन की शुरुआत

Buddha Ka Janm Kab Hua: कपिलवस्तु के नजदीकि क्षेत्र लुंबिनी (अब नेपाल) के राजा शुद्धोधन (Raja Shuddhodhan) और महारानी मायादेवी (Queen Mayadevi) के घर बैशाख मास की पूर्णिमा की उंजियारी में एक बालक का जन्म हुआ. उसके चेहरे का तेज ऐसा था मानों कि स्वयं पूर्णिमा के चंद्र उसके माथे पर विराजमान हों. बालक के जन्म से खुश राजा शुद्धोधन ने पूरे राज्य में मिठाई और आभूषण बंटवाए। लेकिन खुशियां ज्यादा दिन तक नहीं टिकीं बालक के जन्म के सात दिन बाद ही उसकी मां महारानी मायादेवी देहांत हो गया. इसके बाद उस बालक की देख-रेख के लिए मां का स्थान उसकी मौसी गौतमी (Gautami) ने (महारानी मायादेवी की छोटी बहन) लिया। कुछ दिन बाद जब राजा ने राज पुरोहित को बालक के नामकरण और उसकी कुंडली के लिए राजमहल बुलाया। पुरोहित ने कुंडली के अनुसार बालक का नाम सिद्धार्थ रखा. उस दिन से वह बालक राजकुमार सिद्धार्थ के नाम से जाना गया.

लेकिन पुरोहित ने राजकुमार की कुंडली देखकर कुछ ऐसा बताया जिससे राजा हैरान हो गए. पुरोहित ने कहा कि यह बालक आगे चलकर महान तपस्वी बनेगा, जो समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा। इस बात से राजा शुद्धोधन परेशान हो गए. कुछ समय बाद राजकुमार सिद्धार्थ बड़े हुए. उनकी शिक्षा की उम्र हुई राजा ने उनके लिए सिद्धार्थ के लिए में ब्राह्मण गुरु और खेलने के लिए मित्र मंडली की व्यवस्था की, ताकि वे बाहर निकलकर तपस्वियों के संगत में ना आएं. लेकिन होना तो वही था जो कुंडली में लिखा था. शिक्षा पूरी होने के बाद 16 साल की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा से हुआ. कुछ ही समय बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम राहुल रखा.

4 दृश्य जिससे हैरान हुए सिद्धार्थ

Buddha Ke Char Prashna: ये बात है जब सिद्धार्थ की उम्र लगभग 29 वर्ष की थी. एक दिन अचानक सिद्धार्थ कपिलवस्तु की गलियों से गुजर रहे थे. उन्होंने कुछ ऐसे दृश्य देखे जिससे वे परेशान हो गए, उनके मन में कई सवाल उठने लगे. उन्होंने देखा कि 4 बूढ़े व्यक्ति बैठे हैं. जिनमें से एक रोगी, दूसरा विकलांग, तीसरा असहाय जमीन पर लेटा हुआ और चौथा साधु थे. यहीं से सिद्धार्थ के मन में कई सारे सवाल उठे कि इस धरती पर जन्म लेने के बाद एक दिन हर व्यक्ति ऐसा ही होगा। इस बात से व्यथित होकर राजकुमार सिद्धार्थ राजमहल लौटे लेकिन उनके मन में अभी भी वही सवाल गूंज रहे थे. उन्होंने अचानक रात में ही बिना किसी से बताए राजमहल छोड़कर अपने सवालों की खोज में निकल गए.

सिद्धार्थ से कैसे बने गौतम बुद्ध

How Gautam Buddha became Siddhartha: मात्र 21 वर्ष की आयु में राजमहल की राजशाही जीवन छोड़कर एक भिक्षुक की वेशभूषा धारण किए हुए सिद्धार्थ घने वनों की ओर निकल गए. उन्होंने अपने सवालों के जवाब के लिए कई जगहों पर कठोर तपस्या की इसके लिए वे लंबे समय तक भूख-प्यास भी सहते रहे. इसके बाद भी उन्हें जवाब नहीं मिल रहे थे. कुछ दिनों बाद भूखे होने के कारण ऐसा भी समय आया जब उनके मन में अपने सवालों के जवाब न मिलने के कारण कुछ अन्य विचार पनपने लगे. लेकिन अपने मन को शांत करते हुए घने जंगल से निकल गांव की तरफ जा पहुंचे। गांव में उन्होंने एक बूढ़ी औरत भोजन मांगकर थोड़ा भोजन ग्रहण किया।

इसके बाद वे बाहर निकले उन्होंने देखा कि उनके सामने एक मोटे तने का एक बड़ा सा पीपल का वृक्ष है. वे उसी पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिज्ञा करते हुए बैठ गए और कहा कि अब वे सत्य की खोज के बाद ही यहां से उठेंगे।इसके बाद सिद्धार्थ ने पूरी रात तपस्या की, सुबह उन्हें पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई. लगभग 35 वर्ष की आयु में वे गौतम बुद्ध कहलाए। (जिस जगह सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्ति की वह अब बिहार के बोधगया में है. जिस वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई उसे अब बोधिवृक्ष के नाम से जाना जाता है.)

ब्रह्मा जी के आग्रह पर हुए सहमत

Who is Gautam Buddha: गौतम बुध को शाक्यमुनि के नाम से भी जाना जाता है. लगभग सात सप्ताह तक उन्होंने मुक्ति की स्वतंत्रता का आनंद लिया। लेकिन वे अपने ज्ञान दूसरों को नहीं देना चाहते थे. उनका मानना था कि यह किसी को समझाना आसान नहीं है. कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने उनसे आग्रह किया तभी वे इसके लिए राजी हुए. इसके बाद उन्होंने अपना पहला ज्ञान बनारस के सारनाथ में अपने मित्रों को दिया जो उनके प्रथम शिष्य कहलाए।

Share this story