ज्योतिष में कैंसर कैसे देखें ? कुंडली के कौन से ग्रहों के कारण होता है कैंसर 

कैंसर के कारक ग्रह

 

कैंसर का रोग किस ग्रह के कारण होता है ।

कुंडली से यह जान जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में कहीं कैंसर के गुण तो नहीं है क्योंकि कैंसर ऐसा रोग है जो जानलेवा होता है और इसके पीछे जो कुंडली में कारण रहते हैं उसका ज्योतिषीय आकलन अगर किसी योग्य व्यक्ति के द्वारा किया जाता है तो उससे परिवाद जानकारी मिल जाती है कि किसी को क्या कैंसर का रोग हो सकता है और अगर कैंसर करो किसी को हो चुका है या उसका अंदेशा दिखता है तो उसके लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं और उसका उपचार करने के बाद से ही राहत मिलने लगती है.

कैंसर के लिए जो कोशिकाएं होती है उसमें ब्लड सेल्स की बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण एक जगह होती है कोशिकाओं में वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट होते हैं और वाइट ब्लड सेल्स के लिए चंद्रमा को जिम्मेदार बताया जाता है वहीं रेड ब्लड सेल्स के लिए मंगल ग्रह को जिम्मेदार बताया जाता है।

अगर बात कुंडली की करें तो कैंसर यानी की कर्क राशि इसका प्रतीक केकड़े के रूप में दिखाया जाता है और इसके बारे में बताया जाता है कि यह दूसरे स्थान पर रहता है उसको पूरी तरीके से होटल लेता है और उसको नुकसान करने लगता है इसलिए कैंसर के रोग के लिए इसको भी कारण माना जा सकता है साथी जिसके भी बॉडी में रेड ब्लड सेल की कमी हो जाती तो उसके अंदर की immunity कम हो जाती है।

आइए अब कुंडली का विश्लेषण करते हैं कि किस ग्रह के कारण और कौन से भाव के कारण कैंसर रोग होता है ।

बारहवें भाव मे कैंसर के कारक ग्रह 
शनि के साथ मे अगर मंगल राहु केतु  की युति स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है यही नहीं बारहवें भाव के साथ में ही अगर शनि मंगल राहु और केतु की युति कुंडली के छठे भाव में या आठवें भाव में होती है तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और गंभीर बीमारियों को जन्म देता है ।

पापक ग्रह का एक साथ होना 
कुंडली के छठे आठवें या बारहवें भाव में अगर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है और उसकी यदि चंद्रमा के साथ में होती है तो यह भी कारणों से होते हैं जिससे कैंसर का रोग हो सकता है ।

कुंडली का लग्न बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसी से शरीर की एक तरीके से आत्मा कहे तो कुंडली का लग्न सभी की आत्मा होती है और इस पर अगर पाप ग्रहों की दृष्टि होती है तो उसको अशुभ माना जाता है या लग्न का स्वामी अगर जाकर छठे आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाता है तो वह भी नुकसान ही करता है

कुंडली के चुनरी भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ती है और उस दृष्टि से अगर चंद्रमा दूषित हो रहा है उस भाव का स्वामी जो भी अंग होता है उस भाग में कैंसर रोग होने की प्रबल संभावना हो जाती है

कुंडली के जानकार बताते हैं कि चंद्रमा और मंगल ग्रह पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि होती है कृपा आप लोगों के साथ में चलना और मंगल की युति होती है तो ऐसे में ब्लड कैंसर होने की संभावना हो जाती है।

कैंसर के कारक ग्रह 
ज्योतिषीय आकलन में कैंसर के सबसे बड़े कारक जो ग्रह मंगल और चंद्रमा को माना गया है साथ ही कुंडली के छठे आठवें और बारहवें भाव का भी आकलन ज्योतिषियों द्वारा कैंसर के कार्यक्रमों को देखने के लिए किया जाता है इस पर यह भी देखा जाता है कि इन भाव पर तीसरी दृष्टि पड़ रही है और चंद्रमा और मंगल कहीं से दिए दूषित तो नहीं हो रहे हैं अगर दूषित होते हैं तो यह माना जा सकता है कि कैंसर जैसे खतरनाक रोगों की संभावना बढ़ जाती है।

कैंसर का ज्योतिषीय उपाय 
कैंसर रोग के लिए अगर ज्योतिषीय उपाय की बात करें तो उसके लिए महामृत्युंजय जाप को रामबाण माना गया है और कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि रामचरितमानस के उत्तरकांड की चौपाइयों को पढ़ते रहने से कैंसर जैसे रोग को भी दूर किया जा सकता है लेकिन साथ में यह भी जानकारों का कहना है कि यह सारे जितने भी उपाय हैं ज्योतिषीय उपाय हैं इसके साथ में दवाओं का उपयोग भी करते रहना चाहिए और विशेष मंत्रों के जाप से उन दवाओं का असर होने लगता है जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी खत्म हो सकती है।

कैंसर नाशक मंत्र
कैंसर जैसी गंभीर रोगों के इलाज के साथ में मंत्रों तेजाब से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे कि और उनका इलाज करने में इन मंत्रों की बहुत बड़ी भूमिका हो जाती है और दवाओं के साथ है मंत्रों के जाप करते रहने से व्यक्ति अंदरूनी तरीके से मानसिक रूप से अपने को तैयार करता है क्योंकि मानसिक रूप से मजबूत होने के साथ ही किसी भी प्रकार का रोग दूर होने लगता है।


 ॐ नम: शिवाय शंभवे कर्केशाय नमो नम:।

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