Chaitra Navratri Ka Mahtav : चैत्र नवरात्रि का महत्व और आज किस देवी की पूजा  जानिए 

Chaitra Navratri Ka Mahtav : Know the importance of Chaitra Navratri and which goddess is worshiped today
Chaitra Navratri Ka Mahtav : चैत्र नवरात्रि का महत्व और आज किस देवी की पूजा  जानिए 
Chaitra Navratri Ka Mahtav : चैत्र नवरात्रि भारतीय हिंदू पर्वों में से एक है और इसका महत्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों की आराधना के लिए होता है। यह नवरात्रि का एक प्रमुख रूप है जो हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने में मनाया जाता है, जो की मार्च और अप्रैल के बीच होता है।
 

भगवान राम और देवी सीता की विवाह की उत्सवी स्मृति को भी मनाया जाता है

चैत्र नवरात्रि के दौरान भगवान राम और देवी सीता की विवाह की उत्सवी स्मृति को भी मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान लोग नौ दिनों तक व्रत रखते है पूजा और भजन करते हैं और लोग  धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। इन नौ रूपों को भगवान शक्ति के नौ अभिन्न स्वरूपों के रूप में माना जाता है और इनकी पूजा का धार्मिक महत्व है।चैत्र नवरात्रि का महत्व है क्योंकि यह एक धार्मिक उत्सव है जो शक्ति की उपासना को बढ़ावा देता है, समाज में धर्मिक आत्मा को बढ़ावा देता है और सामाजिक एकता और भाईचारे को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, यह पर्व समृद्धि, सौभाग्य, और शांति के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है।

नवरात्रि में कौन-कौन देवी की पूजा होती है

शैलपुत्री - देवी पार्वती का प्रथम रूप।
ब्रह्मचारिणी - देवी का दूसरा रूप, जो तपस्या का प्रतिक है।
चंद्रघंटा - इस रूप में देवी के माथे पर चांद का चंद्रमा के समान आकार होता है।
कुष्मांडा - यह रूप मानवता के लिए उद्धारण करने वाली महाशक्ति का प्रतिक है।
स्कंदमाता - यह रूप देवी के पांचवें रूप का प्रतीक है, जब वे अपने बेटे स्कंद के साथ आप के पास आई थीं।
कात्यायनी - यह रूप कट्यायन ऋषि की पत्नी और देवी का छठा रूप है।
कालरात्रि - इस रूप में देवी काली की पूजा की जाती है, जो शिव की पत्नी हैं।
महागौरी - इस रूप में देवी के चेहरे का रंग सादा होता है।
सिद्धिदात्री - इस रूप में देवी सिद्धि को प्रदान करती हैं।

नवरात्रि के आज किस देवी की पूजा की जाती है?

आज के दिन शैलपुत्री देवी पार्वती का प्रथम रूप है जिसे नवरात्रि के पहले दिन पूजा जाता है। शैल का अर्थ है पहाड़ का पुत्री, जिससे यह नाम प्राप्त हुआ है। इस रूप में, देवी को पहाड़ों की रानी के रूप में पूजा जाता है। शैलपुत्री देवी की प्रतिमा में वह पहाड़ी रानी के रूप में प्रदर्शित की जाती हैं, जो अग्रणी, बलिदानी और प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त होती हैं। उनके चेहरे पर खाली उस्के होते हैं, उसके बाल सजे होते हैं, और उनके हाथ में त्रिशूल होता है। शैलपुत्री को गाजर, खीर या मिष्ठान्न समर्पित किया जाता है जैसे की भोग।
 

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