Chanakya Niti: ऐसे लोगों के पास कभी नहीं आती लक्ष्मी, क्या है चाणक्य नीति ?

Chanakya Niti: ऐसे लोगों के पास कभी नहीं आती लक्ष्मी, क्या है चाणक्य नीति ?

आचार्य चाणक्य (chanakya) भारत के महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री (Politician and Economist) के रूप में जाने जाते हैं. चाणक्य (chanakya niti in hindi) में जन्मजात नेतृत्वकर्ता के गुण मौजूद थे और वे अपनी उम्र के साथियों से ज्यादा बुद्धिमान और तार्किक थे. वहीं चाणक्य (chanakya) सत्य कहने से भी कभी नहीं चूकते थे. नीति शास्त्र (Chanakya Niti) में चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से लक्ष्मी जी की कृपा के बारे में बताया है. वो कहते हैं कि लक्ष्मी कुछ खास कारणों की वजह से ब्राह्मणों के पास नहीं जाती हैं. आइए जानते हैं चाणक्य नीति (Chanakya Niti In Hindi) में दिए गए उन कारणों के बारे में...

कपीत: क्रुद्धेन तातश्चरणतलहतो वल्लभेऽयेन रोषा

आबाल्याद्विप्रवर्यै : स्ववदनविरे धर्यते वैरिणी मे।

गेहं मे छेदयन्ति प्रतिदिवसममाकान्त पूजानिमित्तात्

तस्मात् खिन्ना सदाहं द्विज कुलनिलयं नाथ युक्‍तं त्‍यजामि।।

चाणक्य (chanakya) इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि लक्ष्मी जी (lakshmi ji) ने कहा, अगस्त ऋषि ने मेरे पिता यानी समुद्र को पी डाला था. मृगु ने मेरे पति के सीने पर लात मारी थी. सरस्वती (saraswati) से मेरा जन्मजात वैर है. साथ ही वो कहती हैं कि पूजा के लिए हमेशा कमल के फूल को तोड़ा जाता है, जो कि मेरे लिए घर के समान है. ऐसे में मुझे अनेक प्रकार से ब्राह्मणों ने हानि पहुंचाई है, इसलिए मैं उनके घरों में कभी नहीं जाऊंगी. दरअसल, भगवान् श्री हरी विष्णु (lord hari vishnu) ने मां लक्ष्मी से उनके ब्राह्मणों (brahmins) के प्रति नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, 'मैं ब्राह्मणों (brahman) के घर में इसलिए नहीं रहती क्योंकि, अगस्त्य ऋषि (agastya rishi) ने गुस्से में मेरे पिता समुद्र को पी लिया, भृगु ने आपकी छाती पर लात मारी, ब्राह्मण (brahman) सरस्वती के पुजारी हैं और कमल के फूल भगवान् शिव (lord shiv) को अर्पित करते हैं.' यही कारण है कि लक्ष्मी (lakshmi) ब्राह्मण लोगों के घर में वास नहीं करती हैं.

अपनी चाणक्य नीति (chanakya niti in hindi) के तीसरे अध्याय (third chapter) में वो इस बात का जिक्र करते हैं कि लक्ष्मी (lakshmi) कैसे घरों में रहना पसंद करती हैं. वो इस अध्याय के 21वें श्लोक में इसका उल्लेख करते हैं. मूर्खा यत्र न पुज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम् । दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।। इस श्लोक में चाणक्य ने कहा है कि लक्ष्मी जी ऐसे घर में नहीं रहती है जहां मुर्ख व्यक्ति का आदर-सम्मान होता हो.

चाणक्य मानते हैं कि ऐसे लोग जो बिना स्थिति को देखे और समझे बोलते हैं, हर समय नकारात्मकता से भरे होते हैं और बहस करते हैं, वो मुर्ख होते हैं. ऐसे लोग जिस भी घर में होते हैं वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता.चाणक्य नीति इसके अलावा श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में अन्न या अनाज का सम्मान होता है, लक्ष्मी वहां वास करती हैं. चाणक्य के मुताबिक अनाज का अच्छे से भंडारण किया जाना आवश्यक है, यह लक्ष्मी जी को भी भाता है. जिस घर में खाने चीजों का भंडारण नहीं किया जाता इस तरह के घर से लक्ष्मी जी हमेशा दूर ही रहती हैं.

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