Chitragupat Praktotsav 2024: जानें चित्रगुप्त प्रकटोत्सव का महत्व, कथा और मंत्र 

Chitragupat Praktotsav 2024: Know the importance, story and mantra of Chitragupt Prakatotsav
Chitragupat Praktotsav 2024: जानें चित्रगुप्त प्रकटोत्सव का महत्व, कथा और मंत्र 
Chitragupat Praktotsav 2024: वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान चित्रगुप्त का जनमोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 14 मई को मनाया जाएगा। इस पर्व को कायस्थ समाज के लोग मनाते हैं.

कौन हैं भगवान चित्रगुप्त

Chitragupat Bhagwan Kaun Hain: कहा जाता है कि भगवान चित्रगुप्त इंसान के कर्मों का लेखा-जोखा करते हैं. पुराणों के अनुसार भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के अंश से हुआ है. उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है  के रूप में भी जाना जाता है. चित्रगुप्त जी का कार्य मानव के अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब रखना है. हिंदू धर्म के अनुसार कहा जाता है कि इंसान को उसके कर्मों के आधार पर ही फल मिलता है. साथ ही उनके जीवन और मृत्यु के समय का हिसाब-किताब भी कर्मों के अनुसार ही लिखा जाता है. ये लेखा-जोखा भी भगवान चित्रगुप्त ही रखते हैं.और उसी के आधार पर लोगों का दंड विधान भी तय करते हैं . वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान चित्रगुप्त का जनमोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 14 मई को मनाया जाएगा।

भगवान चित्रगुप्त की पूजा का महत्व:

Bhagwan Chitrgupt Ki Pooja Kyon Ki Jati Hai: भगवान चित्रगुप्त मुख्य रूप से लेखा-जोखा रखने का कार्य करते हैं. इसलिए इनका मुख्य कार्य लेखनी से जोड़कर देखा जाता है. यही वजह है कि उनकी पूजा के लिए प्रतिरूप के तौर पर कलम को रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से बुद्धि, वाणी और लेखनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बता दें चित्रगुप्त जी की पूजा कायस्थ समाज के लोगों द्वारा की जाती है. यह भी कहा जाता है कि कायस्थ कुल के लोग भगवान चित्रगुप्त के वंशज हैं.

भगवान चित्रगुप्त की कथा

Bhagwan Chitrgupt Ki Katha: भगवान चित्रगुप्त की कथा बड़ी रोचक है. जब यमराज ने अपने सहयोगी की मांग की, तो ब्रह्मा जी ध्यान में लीन हो गए. उनकी 11 हजार  हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरुष उत्पन्न हुआ. इस पुरुष का जन्म ब्रह्मा जी के काया से हुआ था. इसलिए ये कायस्थ कहलाए और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा. भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम और स्याही दी गई. वे अपनी सूझबूझ से कुशल लेखक बने. इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है. कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से मनुष्य को नरक का द्वार नहीं देखना पड़ता है. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के 17वें और अंतिम मानस पुत्र माने जाते हैं.

भगवान चित्रगुप्त का पूजा मंत्र- मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम।

लेखनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम।।

भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि

Bhagwan Chitrgupt Ki Pooja Vidhi सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर चौकी बनाएं। उस पर एक कपड़ा बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर व कलम रखें। परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम आदि की पूजा करें। और भगवान के सामने रखें। सभी सदस्य एक सफेद कागज पर चावल का आटा, हल्दी, घी, पानी व रोली से स्वास्तिक बनाएं। उसके नीचे विभिन्न देवी-देवताओं का नाम लिखें- श्री गणेशाय नमः, श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः, श्री सर्वदेवाय सहाय नमः. इन प्रक्रियाओं के बाद कागज में एक तरफ अपना नाम लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय-व्यय और अपने द्वारा किए गए अच्छे बुरे कर्मों का विवरण दें. अंत में भगवान से अपने बुरे कर्मों के लिए माफ़ी मांगे और उनसे जीवन में समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त करें।  

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