Difference between Shani's Dhaiyya and Sadesati: क्या है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या? जानें इनके बीच का अंतर

Difference between Shani's Dhaiyya and Sadesati: शनि देव जब भी किसी राशि में घूमते हैं, तो उस राशि में शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती की दशा बनती है. ऐसे में जातकों को परेशानियां उठानी पड़ती हैं.
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Difference between Shani's Dhaiyya and Sadesati: शनि देव जब भी किसी राशि में घूमते हैं, तो उस राशि में शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती की दशा बनती है. ऐसे में जातकों को परेशानियां उठानी पड़ती हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि साढ़ेसाती की अपेक्षा ढैय्या हमेशा कष्टदायक नहीं होती है. आइए जानते हैं कि दोनों के बीच में क्या अंतर होता है. 

Shani Jayanti 2024: शनिदेव का हिंदू धर्म में विशेष सम्मान है. उन्हें इस धर्म का न्यायाधीश कहा जाता है. कहा जाता है न्यायाधीश की उपाधि उन्हें भगवान भोलेनाथ ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दी थी. तब से वे इंसान के कर्मों के आधार पर उसे परिणाम देते हैं. हिंदू धर्म में उनका जितना ही सम्मान है, उससे कहीं ज्यादा लोग उनके प्रकोप से डरते हैं. क्योंकि शनिदेव ऐसे देवता हैं जो किसी के ऊपर प्रसन्न हो गए तो उसे मालामाल कर देते हैं लेकिन जिसके ऊपर वे नाराज हो जाते हैं, तो उसे फिर शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या दोष से कोई नहीं बचा पाता है. उससे निवारण का एकमात्र सहारा सिर्फ शनिदेव ही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या क्या है.ढैय्या और साढ़ेसाती बीच बीच में क्या अंतर होता है. ये कैसे अपना प्रभाव मानव जीवन में डालती हैं. 

शनि की साढ़ेसाती क्या है? 

Shani Ki Sadhesati: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनिदेव किसी राशि के बारहवें और दूसरे भाग में प्रवेश करते हैं, तभी शनि की साढ़ेसाती की दशा बनती है. बता दें कि शनि के साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं. प्रत्येक चरण ढाई वर्ष का होता है. तब जाकर साढ़े सात वर्ष पूरे होते हैं. इसीलिए इसे साढ़ेसाती कहा जाता है. 

शनि की ढैय्या

Shani Ki Dhaiyya: जब शनि किसी गोचर में जन्मकाल राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान होते हैं, तब इस ढैय्या का प्रभाव होता है. शनि की ढैय्या का समय ढाई वर्ष का होता है. कहा जाता है कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या मिलकर शनिदोष का निर्माण करती हैं. और दोनों की वजह से कष्ट होता है. लेकिन ऐसा नहीं है. देखा जाए तो जन्म कुंडली में शनि की दशा ही ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रभाव को शुभ और अशुभ बनाती है. 

कैसा होता है साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव

Shani Ki Sadhesati Aur Dhaiyya Ka Prabhav: शनि की साढ़साती और ढैय्या के बीच में अंतर ऐसा कि ढैय्या और साढ़ेसाती का समय अलग होता है. ज्योतिष के अनुसार जब साढ़ेसाती शुरू होता है, तो उसका समयकाल साढ़े सात वर्ष का होता है. जो कि ढाई-ढाई वर्ष के तीन भागों में बंटा होता है. ऐसे में साढ़ेसाती का पहला चरण ही शनि की ढैय्या का निर्माण करता है. लेकिन ढैय्या आपको नुकसान पहुंचाएगी यह बात आपकी जन्मकुंडली के आधार पर ही जाना जा सकता है. क्योंकि जन्मकाल के समय यदि शनि और चौथे या आठवे स्थान पर होंगे तभी ढैय्या का प्रभाव पड़ता है. तब ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव मनुष्य के जीवन में पड़ता है. लेकिन जब यह उस स्थान पर नहीं होता है, तब इसका प्रभाव नहीं पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार यह भी कहा जाता है कि शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण ही ढैय्या का निर्माण करता है. लेकिन ढैय्या अपना नकारात्मक प्रभाव डालेगा या नहीं, यह शनि की दशा पर निर्भर करता है. यानी कि शनि यदि चौथे और आठवें भाव में होंगे तो उस समय ढैय्या का नकारात्मक असर पड़ेगा। लेकिन यदि शनि का भाव बदला है तो उस समय ढैय्या का प्रभाव नहीं होगा। 

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