Republic Day 2021: UP की झांकी में भव्य राम मंदिर की झलक, जानें रोचक तथ्य

Republic Day 2021: UP की झांकी में भव्य राम मंदिर की झलक, जानें रोचक तथ्य

Republic Day Parade 2021: देश में गणतंत्र दिवस की तैयारियां पूरी हो गई हैं। हालांकि इस बार 26 जनवरी के जश्न पर कोरोना गाइडलाइन का साफ़ असर देखा जा सकता है। राजधानी दिल्ली में सबसे बड़ा आयोजन होगा। यहां राजपथन पर होने वाली परेड और झाकियां की रिहर्सल भी की जा चुकी है। इस गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश की झांकी में राम मंदिर का भव्य और दिव्या नजारा देखा जा सकता है। श्रीराम मंदिर पर प्रदशित झांकी में उप्र के कलाकार ही प्रस्तुति देंगे। आइए जानते हैं राम मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य....

राम मंदिर इतिहास एवं रोचक तथ्य की जानकारी अयोध्या नगरी का इतिहास काफी पुराना है यह नगरी अपने ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिरों के लिए जानी जाती है। यहां के मंदिर काफी पुराने हैं परंतु यदि हम इसके इतिहास को देखें तो यह नगरी मुगल साम्राज्य के महत्वपूर्ण नगरों में से एक है। सन 1528 में बाबर जो कि एक मुगल शहंशाह था, भारत आया और अयोध्या में स्थित राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराने का आदेश दिया। बाबर ने उस भव्य राम मंदिर को इसलिए थोड़ा क्योंकि वह चाहता था कि भारत में मुग़लिया पहचान कायम हो। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे भारत की परिस्थितियां भी बदलती गयी। मुग़ल शासकों का दौर भी समाप्त हुआ और उदय हुआ ब्रिटिश साम्राज्य का राम मंदिर एवं बाबरी मस्जिद की कहानी व इतिहास को यूँ संछिप्त में पूरा कर देना संभव ही नहीं।

एक नज़र बाबरी मस्जिद पर

1526 में ज़ाहिर-उद्दीन मुहम्मद बाबर पहली बार भारत आया और पहला मुग़ल बादशाह कहलाया। 26 दिसंबर 1530 में बाबर की मौत हो गयी, यदि आप गौर करें तो बाबर ने केवल 4 साल तक ही शासन किया। 1528 में 'मीर बाक़ी' जो बाबर की सेना का सेनापति कहलाता था उसने बाबर के कहने पर अयोध्या में मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया।

भारत में अंग्रेज़ों का आना

बाबरी मस्जिद का निर्माण की कहानी 300 साल आगे बढ़ गयी। वक़्त आ गया 1855 जब हनुमान गढ़ी में हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए। अयोध्या में हनुमान गढ़ी एक मंदिर है, जिसे वहां के मुसलमान कहते हैं की यहाँ पहले मस्जिद हुआ करता था। इस दावे से हिन्दू मुस्लिम में तनाव और विद्रोह उत्पन्न हुआ जो आगे चलकर एक बड़े दंगे का कारण बना।

ये हनुमान गढ़ी दंगा बाबरी मस्जिद तक पहुँच गया

बाबरी मस्जिद के ठीक सामने राम चबूतरा था अतः एक तरफ मुस्लिम नमाज पढ़ते तो दूसरी तरफ हिन्दू राम चबूतरे पर पूजा-पाठ करते। नमाज़ और पूजा पाठ का यह सिलसिला अंग्रेज़ों के दौर में जारी रहा। किन्तु 1856 में अंग्रेज़ों ने बाबरी मस्जिद और राम चबूतरे के बीच एक दीवार बना दी।

अब आते हैं 1877 में, बाबरी मस्जिद और राम चबूतरा एक ही प्रांगण में था और बीच में दीवार थी। इस प्रांगण में घुसने का केवल एक दरवाजा था, मगर अंग्रेज़ों ने 1877 में एक दूसरा दरवाजा बना दिया ताकि हिन्दू मुस्लिम के त्यौहारों में कोई विवाद उत्पन्न ना हो।

सन 1885, महंत रघुवर दास

ये राम चबूतरे पर पूजा किया करते थे। 1885 में महंत रघुवर दास कोर्ट जा पहुंचे अपनी दलील लेकर की गर्मी के दिनों में खुले आकाश के नीचे और बारिश के दिनों में खुले आकाश के नीचे पूजा करना संभव नहीं। राम चबूतरे पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कत होती है अतः राम चबूतरे पर ईमारत बना देनी चाहिए ताकि पूजा अर्चना करने में परेशानी ना हो। लेकिन जज साहब ने सांप्रदायिक दंगे की संभावना के तहत महंत रघुवर दास का राम चबूतरे पर ईमारत बनाने प्रस्ताव ठुकरा दिया।

अगले 50 सालों के बाद

हालांकि अगले 50 साल तक अयोध्या में किसी भी प्रकार का हिन्दू मुस्लिम दंगा नहीं हुआ। किन्तु 1934 में दुबारा दंगा हुआ और बाबरी मस्जिद के 2 गुंबद तोड़ दिए गए। यह दौर अभी अंग्रेजी हुकूमत का ही था इसलिए अंग्रेज़ों ने टूटे हुए दोनों गुंबदों को पुनः एक मुस्लिम कांट्रेक्टर द्वारा बनवा दिया। इसके बाद कहानी फिर आगे बढ़ती है और देश आज़ाद होता है अंग्रेज़ों से।

दिसंबर 1949 का रहस्य

सन 1949 में 22-23 दिसंबर की रात अचानक कुछ ऐसा होता है जिसपर शायद हर कोई विश्वास ना करे। कहा जाता है भगवान राम की एक मूर्ति रहस्यमय तरीके से अचानक मस्जिद के कैंपस में पहुँच जाती है। यह किसने किया, कैसे हुआ आज तक ज्ञात नहीं है; हालांकि इसे पीछे साजिश बतायी जाती रही है जो सम्भवतः मुमकिन भी हो किन्तु सच्चाई किसी को नहीं पता। इस घटना से पुनः हिन्दू मुस्लिम के बीच आक्रांता की स्थिति उत्पन्न हो गयी जिसे देखते हुए पूरे परिसर को सील कर दिया गया।

1950 में महंत रामचंद्र दास

महंत रामचंद्र दास जी, फिर फैज़ाबाद (वर्तमान में अयोध्या) कोर्ट जा पहुँचते हैं। रामचंद्र दास जी कोर्ट में यह कहते हैं की हिन्दू समाज को पूजा करने की आज्ञा दी जाय उस राम मूर्ति की जो मस्जिद के अंदर है। इसके बाद राम मंदिर विवाद ज्यादा गहरा गया और देखते ही देखते यह देश का सबसे बड़ा मुक़दमा बन गया।

9 साल बाद निर्मोही अखाड़ा भी इस विवाद में आया जिसका कहना था की यह जमीन उसे दी जाय। 1961 में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड भी इस मामले में आगे आया और कोर्ट में जाकर ये बोला की इस पूरे केस को खारिज किया जाय और मस्जिद के पास की सारी ज़मीन उसे दी जाय। किन्तु राजनीतिक कारणों से सन 1986 में फ़ैज़ाबाद कोर्ट ने वहां पूजा करने की इज़ाज़त दे दी।

राजनीति और राम मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण रोचक तथ्य

यहाँ तक आते-आते राम मंदिर का मामला आस्था से ज्यादा राजनीति से प्रेरित हो गया। राम मंदिर सेक्युलर एवं कम्युनल राजनीति का अखाड़ा बना जिसने कई सरकारें गिरायी भी और बनायी भी।

मंडल कमीशन के आने के बाद बीजेपी ने भी अपने नाराज वोट बैंक को लुभाने के लिए "रथ यात्रा" का शुभारंभ किया जिसकी अगुआई लालकृष्ण आडवाणी ने की।

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर सेक्युलर और कम्युनल राजनीति जोर पकड़ने लगी। यह दौर था 1990 का जब देश के प्रधानमंत्री थे वीपी सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे मुलायम सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री थे लालू प्रसाद यादव।

प्रधानमंत्री वीपी सिंह, मुलायम सिंह को पसंद नहीं किया करते थे अतः आडवाणी की रथ यात्रा को रोकने का लाभ वे मुलायम सिंह को नहीं देना चाहते थे। क्योंकि वीपी सिंह जी का मानना था कि जो भी नेता आडवाणी की रथ यात्रा को रोकेगा वह हिंदुस्तान में सेक्युलर राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बन जायेगा। अतः उन्होंने यह सुनहरा मौका लालू प्रसाद यादव को देना उचित समझा।

3 अक्टूबर 1990 को लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करके दुमका ले जाया गया। आडवाणी के गिरफ्तार हो जाने के बाद भी आरएसएस कारसेवक अयोध्या की तरफ बिना रुके जाते रहे। सेक्युलर राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनने की चाह लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं। इसमें 16 कारसेवक मारे गए, कोठारी ब्रदर्स की कहानी शायद आपने सुनी हो।

कारसेवकों पर गोली चलाने का परिणाम सन 1991 में देखने को मिला। इस साल हुए आम चुनावों में बीजेपी दूसरा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत पर आयी और मुख्यमंत्री बनाये गए कल्याण सिंह।

6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश में जो हुआ वो आप भी जानते होंगे। बाबरी मस्जिद का विवादित ढाँचा गिरा दिया गया। इसके बाद 2002 से इसकी सुनवाई इलाहबाद हाई कोर्ट में शुरू हुई और आठ साल की सुनवाई के बाद विवादित ढाँचे के 3 हिस्से कर दिए गए। बाबरी मस्जिद की ज़मीन निर्मोही अखाड़ा, हिन्दू और मुसलमान में बाँट दी गयी।

2011 में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी। फिर एक लंबी सुनवाई के बाद 6 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायलय ने अपना फैसला सुनाया और बाबरी, राम चबूतरा की सारी ज़मीन, राम मंदिर बनाने वाले ट्रस्ट को दे दी। कोर्ट ने यह भी कहा की अयोध्या शहर में ही 5 एकड़ ज़मीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी जाय ताकि मस्जिद का भी निर्माण हो सके।

राम मंदिर निर्माण से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हिंदू संगठनों ने 200 साल पहले ही यह कहा था कि जहां पर बाबरी मस्जिद बनी है वहां पर पहले राम मंदिर था, यहाँ हमारे भगवान श्री राम का ही भव्य मंदिर बनेगा।

सन 1992 में हिंदू संगठन एवं शिवसेना ने मिलकर बाबरी मस्जिद के गुंबद को गिरा दिया था जिसपर हिंदू और मुसलमान का बहुत बड़ा दंगा हुआ था जिसमें लगभग 2000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों की दलीलें सुनने के बाद पांच सदस्य संविधान बेंच ने इस 400 साल पुराने मामले को सुलझाया सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इस पांच सदस्सीय बेंच के अध्यक्ष के रूप में रंजन गोगोई ने यह फैसला सुनाया जिसमें कहा कि पुरातात्विक विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पहले यहां पर राम मंदिर के निशान मिले हैं इसीलिए यहां पर राम मंदिर ही बनेगा।

अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट ने एक मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया है जिसमें मंदिर के पांच बड़े गुंबद होंगे।

इस मंदिर को ऐसा बनाया जा रहा है कि इसके 4 दरवाजे होंगे जो चारों दिशाओं की ओर खुलेंगे।

इस मंदिर के मॉडल में यह भी पता चला है कि यह मंदिर तीन मंजिला बनेगा।

इस मंदिर को 45 एकड़ में बनाया जा रहा है इसमें मंदिर परिसर के अलावा धर्मशाला और गौशाला भी बनाया जाएगा।

राम मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान से पत्थर लाकर उसको तराशा जा चुका है यह तराशने का काम दिल्ली की एक निजी कंपनी को दिया गया है।

मंदिर को ऐसा बनाया जा रहा है कि उसमें 318 स्तंभ होंगे जिसपर पूरे मंदिर के गुंबद का आधार होगा मंदिर के प्रत्येक मंजिल में 106 स्तंभ होंगे जो अपने आप में बड़ा आकर्षक का केंद्र होगा।

मंदिर बनाने में लगभग 100 करोड़ से अधिक का खर्चा आएगा इसके लिए राम मंदिर ट्रस्ट और हिंदू संगठन तथा कुछ दान से प्राप्त रुपए में शामिल होंगे।

इस मंदिर के निर्माण में लगभग 3 साल 6 महीने का समय लगेगा इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना भव्य और विशाल होगा इसमें सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप आदि भी शामिल होंगे ताकि राम मंदिर में होने वाले कार्यक्रम में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो तथा रंगमंडल में होने वाले कार्यक्रम सुचारु रुप से चल सकें। यहां पर श्रद्धालुओं के लिए विचरण करने और विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विशाल जगह भी बनाए जाएंगे।

5 अगस्त 2020 को दोपहर के समय 12 बचकर 44 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बचकर 44 मिनट और 40 सेकंड के बीच का ही मुहूर्त है। केवल शुभ मुहूर्त 32 सेकंड का ही तहत। इसी 32 सेकंड के बीच ही राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया। बता दें कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित शुभ मुहूर्त पर राम मंदिर की भूमि का पूजन किया गया।

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