Happy life tips सारे काम खुद बनने लगेंगे ,इस मंत्र के साढ़े तीन करोड़ जाप से ही जानिए मंत्रों का प्रभाव 

Gita press gorakhpur pustak kalyan kaise ho

मंत्र का क्या है प्रभाव ?

कलिसन्तराणोनिषद में बताए गए इस मंत्र के बारे में धार्मिक पुस्तकों में कहा गया है कि इस मंत्र को जपने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और इसे किसी भी अवस्था में जपा जा सकता है।

"हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।"

गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तक कल्याण कैसे हो में बताया गया है कि किस तरह से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है ।

कहा जाता है कि इस मंत्र का साढ़े तीन करोड़ बार जप करने से परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है और इस मंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंत्र को किसी भी अवस्था में जपा जा सकता है ।
जैसा कि सभी को मालूम है कि वैदिक मंत्र जो सनातन धर्म में बताए गए हैं उसकी एक प्रक्रिया है और पवित्र होकर भी उन मंत्रों का जाप किया जा सकता है जबकि यह मंत्र जो है यह षोडश मंत्र कहलाता है और इस मंत्र का जाप किसी भी अवस्था में किया जा सकता है इस बारे में जो धार्मिक पुस्तकों में कहा गया है कि ब्रह्माजी ने नारदजी को यह कहा था कि कलयुग में इस नाम का उद्देश्य करके कल्याण करो क्योंकि यह कलयुग यानी कलिकाल ही है इसलिए उसके नाम की अधिक महिमा है जैसा कि धार्मिक पुस्तकों में वर्णन किया गया है कि 3:30 करोड़ मंत्र जपने से भगवान की प्राप्ति हो जाती है लेकिन यह भी साथ में कहा गया है कि ऐसे मंत्रों का जाप किसी भी लाभ के लिए नहीं कहना चाहिए और ऐसे मंत्रों का जाप भगवान की कृपा पाने के लिए करना चाहिए।

मंत्रों का जाप किस तरह से करें?

मंत्रों के जाप करने के बारे में मनुस्मृति में बताया गया है कि मंत्रों को जोर जोर से बोल के उच्चारण करके जाप नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका जाप मानसिक रूप से करना चाहिए यानी कि मन में बोलकर करना चाहिए इसलिए ऊपर बताए गए मंत्र को 3:30 करोड़ की जगह अगर 3:30 लाख मंत्र का ही जाप कर लिया जाए तो मनुस्मृति के अनुसार इसका लाभ उतना ही होता है।

मंत्रों का जाप कैसे करें ?

ग्रुप के बारे में 2 तरीके से कहा गया है कि मंत्रों का जाप होते तो बोल बोल कर भी किया जा सकता है और दूसरा मानसिक रूप से भी किया जा सकता है उनकी इस मंत्र को जिसका आपके द्वारा जाप किया जा रहे हो किसी अन्य को ना सुनाई दे और इसी प्रकार के जाप के लिए अधिक से अधिक बताया गया है और इसका लाभ भी बताया जाता है कि अन्य तरीके से किए गए जाप से अधिक होता है।

मंत्रों के जाप का प्रभाव 

मंत्रों के जाप का प्रभाव की अगर बात करें तो कहा गया है कि मंत्रों के जाप को निष्काम भाव से करना चाहिए कि हनी किसी भी चीज को पाने की इच्छा ना रखकर निष्काम भाव से किया गया पूजा पाठ ज्यादा फलित होता है और अगर किसी फायदे के लिए किया जाता है तो ऐसा कहा गया है कि आप अपने कर्म करते रहिए और फल की चिंता मत करिए क्योंकि फल आपके हाथ में है नहीं और अगर किसी फल प्राप्ति के लिए आपके द्वारा पूजा पाठ किया गया मंत्रों का जाप किया गया है और आपको अगर उसका लाभ नहीं मिल रहा है तो धीरे-धीरे आपकी आस्था पर भी कम होने लगेगा इसलिए मंत्रों का जाप या पूजा-पाठ आप निष्काम भाव से करते रहे और आप देखेंगे कि आपको कुछ मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी आपके अपने काम धीरे-धीरे अपने आप बनने लगेंगे क्योंकि आपको मानसिक शांति मंत्रों के जाप से मिलती है मंत्रों में ऐसी शक्ति होती कि खुद जो आप सोचते हैं वह काम होते चले जाते हैं और ऐसी अवस्था आती है कि आप को कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं होती है फिर आप देने की व्यवस्था में हो जाते हैं और हमेशा आप प्रभु को इसके लिए धन्यवाद देते हैं ईश्वर को धन्यवाद देते हैं समाज के लिए काम करते हैं जैसा कि आपने देखा होगा कि समाज में वही लोग उन्हीं का योगदान होता है जिनके पास में बहुत कुछ होता है और यह तभी होता है क्योंकि उन्होंने अपने काम को महत्व दिया कर्म को महत्व दिया और आज वह स्थिति में है कि वह कुछ देने की स्थिति में है और ईश्वर द्वारा उनको लाभ की स्थिति में पहुंचा दिया गया है ।

मंत्र कितने प्रकार के होते हैं?

जैसा कि बताया जाता है कि मंत्र दो प्रकार के होते हैं वैदिक मंत्र होते हैं शुद्धता बहुत ही जरूरी होती है और पूरी तरीके से शुद्ध होकर स्नान ध्यान करके साफ-सुथरे वस्तुओं को ग्रहण करते ही वैदिक मंत्रों का जाप किया जा सकता है जबकि दूसरी तरफ षोडश नाम का मंत्र किसी भी अवस्था में जपा जा सकता है और इस बारे में जैसा कि बताया जा रहा है कि ब्रह्मा जी ने नारद जी को यह कहा कि कलिकाल में तुम लोगों को इस नाम का उद्देश्य करके कल्याण करो यह कलिकाल है इसलिए इस समय 

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ,हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। 
इस मंत्र का जाप करे निधकाम भाव से करें और फल ईश्वर के ऊपर छोड़ दे।

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