Success Mantra -कहीं केतु ग्रह तो नही करा रहा है आपको असफल ,जानिए उपाय

Success Mantra -कहीं केतु ग्रह तो नही करा रहा है आपको असफल ,जानिए उपाय

Dharm Desk -केतु एक ऐसा ग्रह है जो भड़काने का प्रयास करता है अगर आपको सफलता मिलते मिलते और रह जा रही है तो हो सकता है आपकी कुंडली में केतु ग्रह का बहुत बड़ा योगदान होगा और कई बार कि तू ऐसे ग्रह के साथ में बैठ जाता है कि अगर कोई ग्रह आपको फल देना चाहता है तो कि तू ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देता है कि आपका काम बनते हुए भी बिगड़ जाता है और सफलता नहीं मिल पाती है कई बार ऐसा भी देखा गया है कि योग्य व्यक्ति होने के बावजूद वह उस स्तर तक सफल नहीं हो पाता है जिस स्तर पर उसको पहुंचना चाहिए कहीं ना कहीं अगर कुंडली का विश्लेषण करें तो जो जानकार लोग हैं उनका कहना है कि यह सारी स्थितियां केतु ग्रह के कारण होती है तो ऐसे में अगर कहीं कुंडली में यह सारी चीजें आ रही हैं और कुंडली में कहीं भी खास करके बुध के साथ में केतु अगर पहुंच गया है तो कि तू हमेशा ऐसे परिस्थितियां उत्पन्न करता है कि बुद्ध जहां सफलता वाणी से संबंधित लेखन से संबंधित जहां सफलता दिलाने का प्रयास करता है वही के तू उसको खराब करने का प्रयास करता है और ऐसे में सफलता नहीं मिल पाती है तो इसके लिए केवल यही किया जा सकता है कि केतु का जो भी उपाय है उसको योग्य जानकार लोगों से पूछ कर केतु का उपयोग उपाय करने के बाद में स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं कि सफलता मिल सके.

बुध केतु युति बुध जो बुद्धिमत्ता का ग्रह है वाणी संवाद लेखन, तर्क शक्ति, और व्यवसायिक चातुर्य भी बुध के ही अधिपत्य में आते है। व्यक्ति अगर बुद्धि चातुर्य के साथ साथ अच्छा लेखक है , बहुत अच्छा वक्ता है और साथ ही उसकी भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ है , तो वो अपनी इन क्षमताओं का उपयोग अच्छे व्यक्तिगत और व्यवसायिक सम्बन्ध बनाने में कर सकता है।

बुध प्रधान व्यक्ति हाजिर जवाब होने के साथ साथ अच्छा मित्र भी होता है क्योंकि वो सम्बन्धो को निभाना जानता है। केतु एक विभाजित करने वाला ग्रह , एक संत की तरह जो अकेले रहता है , सुख सुविधाओं और भोग -विलास से पूर्णतः दूर , रिश्तों और उनमे संवाद की जंहा कोई आवश्यकता नहीं। केतु का स्वभाव बुध से पूर्णतः विपरीत है , केतु जब भी किसी ग्रह के साथ होता है तो उसे उसके फल देने से भटकाता है ,बुध का प्रमुख फल बुद्दि (मति) प्रदान करना है , इसलिए बुध – केतु योग को मति भ्रम योग कहते है। केतु और बुध की युति का भी फल इसी प्रकार बुद्धि को भ्रमित करने वाला होता है , हालांकि किस राशि और कुंडली के किस भाव में ये योग बना है इस बात पर भी फल निर्भर करता है।

इस योग में बुध के प्रभाव दूषित हो जाते है जैसे बुध की प्रबल होने की परिस्थिति में कोई व्यक्ति बहुत अच्छा वक्ता है तो केतु के साथ आने की परिस्थिति में अर्थ हीन , डींगे हांकने वाला और आवश्यकता से अधिक बोलने वाला हो सकता है , कई बार उसके व्यक्तव्य उसी के लिए परेशानी खड़ी करने वाले हो सकते है (वाणी पर नियंत्रण होना) , यही हाल उसकी वाणिज्यिक योजनाओं का हो सकता है , उसके समीकरण और योजनाएं सत्य से परे हो सकते है जो उसके लिए परेशानी का कारन बन सकते है, या कहे बुद्धि की भ्रमित होने की परिस्थिति का निर्मित होना । उदहारण के लिए आर्थिक परिस्थिति को जांचे बिना व्यापारिक योजना बनाना और आर्थिक स्थिति का ध्वस्त होना ।

विचारधारा का संकुचित होना पर सोचा का अत्यधिक संवेदनशील होना , हमेशा अज्ञात भय रहना और वाणी पर नियंत्रण न होना बुध केतु योग में बुध बहुत कमजोर हो तो व्यक्ति कम बोलने वाला , संकोची और अपने पक्ष या मन की बात को स्पष्ट रूप से नहीं रख पाने वाला होगा। ऐसे लोग बड़े एकाकी होते है , आपसी रिश्तों में संवाद की कमी के चलते और संकोच के कारन अपनी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं कर पाते साथ ही व्यापारिक का क्रियान्वयन भी नहीं हो पता। रिश्तों में कई बार धोखा होने की सम्भावना बनी रहती है , विशेषकर व्यवसायिक। बुध केतु युति में आर्थिक उतार चढाव बहुत बार देखा गया है , जिसका कारण बिना परिस्थितियों को समझे निवेश या खर्च करना होता है और व्यापारिक दृष्टिकोण का आभाव। कई बार ये लोग मीत व्ययी और कई बार अति व्ययी हो जाते है , बहुत सी परिस्थितियों में जब बुध अत्यन्त ही कमजोर और दुःस्थान में हो तब ये योग गम्भीर एकाकीपन गम्भीर मानसिक अवसाद जेल योग (या लम्बे समय तक हास्पिटल /सुधार ग्रह तक में रहने की नौबत ला देता है। इस योग की वजह से व्यक्ति दूसरों की बात और सलाह को स्वीकार करने या समझने की परिस्थिति से अत्यन्त दूर होता है जो उसकी आर्थिक परेशानी और एकाकीपन का कारन भी बनता है। इस दुर्योग से बचने के बहुत से तरीके हो सकते है परन्तु मेरी सोच में सबसे सटीक उपाय है , अधिक से अधिक सामाजिक होने की चेष्टा करना और दूसरों की सलाह ले कर आगे बढ़ना , साथ ही धन के निवेश या कोई भी योजना बनते समय सतर्क रहना। बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश की आराधना इस दुर्योग से बचाने का कार्य करती है, अतः विघ्न हर्ता बुद्धि के दाता श्रीगणेश की आराधना करते रहे।

केतु शांत करने के लिए सबसे आसान उपाय है कि कुत्ते को रोटी खिलाते रहे हैं गाय का सम्मान करें गाय को भोजन कराते रहें और साथ ही अगर कहीं बहते हुए नदी में काले कोयले को प्रवाहित करें तो इससे भी उनके तू शांत होता है केतु ग्रह सबसे बड़ी चीज यह है कि व्यक्ति को वह ऐसी चीजों में ऐसी परिस्थितियों में डाल देता है जिसको आप शुद्ध भाषा में इल्यूजन कह सकते हैं और ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति जो स्थितियां होती नहीं उससे काफी अलग हटकर सोचता है और एक तरीके से वह ऐसे विचार में रहता है जिसकी सफलता की बहुत ही कम आशाएं होती है तो ऐसे में कहा जाता है कि केवल सपने देखता रहता है और सपने सच भी नहीं होते हैं केवल केतु को शांत करना है और अपने पुरुषार्थ को जगाना है साथ ही गणेश जी की पूजा करते रहना है इससे केतु शांत होगा और आपको जो भी मनवांछित सफलता है वह मिलेगी लेकिन इन सब चीजों के साथ में यह भी है कि आप जो भी काम करें उसको बहुत ही प्रोफेशनली उस चीज को एनालाइज करते हुए उसमें किस तरीके से सफलता मिल सकती है कहां कमियां है और क्या अच्छाई है इन सारी चीजों पर सारे एस्पेक्ट को देखते हुए काम किए जाएंगे ईश्वर की आराधना की जाएगी तो सफलता भी लेकर बहुत ज्यादा चांसेस हो जाते हैं.

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