जानिए गुरुवार को क्या करें और क्या ना करें
Aug 2, 2018, 06:38 IST
गुरूवार को पीली चने की दाल की सब्जी बनाकर जीवनसाथी को खिलाने से दांम्पत्य जीवन में प्रेमबढता है।
डेस्क-गुरूवार हफ्ते में धर्म का दिन माना जाता है। इस दिन देव गुरु बृहस्पति और भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि ब्रह्मांड के सभी नौ ग्रहों में से गुरु (बृहस्पति) सबसे भारी ग्रह है।
गुरुवार से जुड़े हमारे ग्रंथो में कई तरह की मान्यताये दी गयी है। गुरु धर्म व शिक्षा का कारक ग्रह है। गुरु ग्रह को कमजोर होने से शिक्षा में असफलता मिलती है। साथ ही धार्मिक कार्यों में रूचि कम होती है।हमारे जीवन में गुरुवार का बहुत महत्व है।
आइये जाने गुरूग्रह और का सम्बंध
भगवान् विष्णु की कथा अनुसार ऐसे कोई कार्य नहीं करने चाहिए जिससे आपके जीवन में दुःख ,और परेशानिया आये। इस दिन ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कि शरीर या घर में हल्कापन आता हो। ऐसे कामों को करने से इसलिए मना किया जाता है क्योंकि ऐसा कार्यो को करने से गुरु ग्रह का शुभ परिणाम कम हो जाता है । यानी कि गुरु के प्रभाव में आने वाले कारक तत्वों का प्रभाव कम हो जाता है।जिससे आपको इसके अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते है।
- भगवान बृहस्पति का दिन है गुरुवार, ये दिन व्यक्ति के जीवन में शुभता लाता है ।
- इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए ।
- गुरुवार के दिन इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदा जा सकता है।
- प्रॉपर्टी से जुड़े कामों में फायदा होता है ।
ध्यान रखें
- इस दिन पूजा –पाठ से जुड़ा सामान नहीं खरीदना चाहिए ।
- आंखों से जुड़ी कोई भी वस्तु, कोई शार्प ऑब्जेक्ट जैसे चाकू, कैंची, बर्तन आदि इस दिन नहीं खरीदना चाहिए ।
क्या रखें सावधानियां गुरुवार को ताकि देवगुरू वृहस्पति हमेशा रहें प्रसन्न
- हर गुरूवार को गुरू के प्रथम चौघडीये में और गुरू की होरा में ,सूयोॅदय के प्रथम घंटे के अंदर नाखून काटने से उस सप्ताह में लाभ मिलता है
- हर गुरूवार को सूयोॅदय के प्रथम घंटे में मस्तक पर हल्दी का साधारण लेप करके स्नान करने तक रखनेसे अवश्य लाभ होता है।
- ये ग्रह का शुभत्व इतना है कि हर शुभकायॅ में उसका बलाबल देखा जाता है।
- गुरू का द्रव्य केसर हर प्रकार के मनोविकार दूर करता है।इसलिये हमारे मस्तक पर केसर का तिलक लगाते है।
- हर गुरूवार को पीली चने की दाल की सब्जी बनाकर जीवनसाथी को खिलाने से दांम्पत्य जीवन में प्रेमबढता है।
- गुरू ज्ञान का कारक होने के कारण केसर का तिलक विधाथीॅओं के विधाभ्यास में ज्ञान और बुद्धि को बढावा देता है।
- गुरू पीला रंग का कारक ग्रह है, पीला रंग देखने से आलस दूर होती है, याददाश्त तेज होती है ।
- गुरूवार को घर से राई का दाना खा कर निकलना चाहीये।ये शकुन माना जाता है।
- गुरूवार के दिन घर में भारी वजन वाला कायॅ ना करे जैसे कि बॅडसीट,पदेॅ धोना,भारी सामान हटाना,भारी साफसफाई करना वगैरा ।
- क्यूं कि ऐसा करने से गुरू वजन में हलका होता है ईसलिये निबॅल बनता है।और हमारी कुंडली में बहुत से खाते वो संभाले हुऐ है ।
ईशान कोण
- ईशान कोण का मालिक गुरु है और गुरु हलका होने से विद्याथीॅ के अभ्यास में हानि होती है।
- मतलब इस कोने में भारी वज़न रखने से गुरु अशुभ फल देने लगता है ।
- वजनदार सामान यहां ना रखें ।
- निबॅल गुरु को बलवान करने के लिए साधु और सौभाग्यवती स्त्री को पीले वस्त्र का दान गुरूवार को करें ।
- गुरु को बलवान बनाने के लिए सोना(gold) पानी में रखकर स्नान करें ।
- आपकी संतान की जल्दी शादी करने के लिए पानी में हल्दी डालकर स्नान करवाये ।
- गुरुवार को एक अच्छे आकार की पीली कोडी लेकर शुद्ध पानी से धोकर पीले रेशमी वस्त्र में रखकर तिजोरी में रखें।
- धन की वृद्धि होती है|
- पीले पर्स का उपयोग धन के लिए अच्छा है ।
- गुरुवार के दिन चने की दाल का भोजन में स्थान देने से परिवार में प्रेम बढ़ता है ।
- स्त्री को पीली चुड़ीयाॅ धारण करने से जीवनसाथी के प्रेम में बढ़ोत्तरी होती हैं ।
- गुरुवार के दिन विजय मुहूतॅ सूर्यास्त के बाद लेना चाहिए ।
- गुरुवार को यात्रा स्वास्थ्यप्रद और क्षेमकुशल रहती है ।
- नया वस्त्र गुरुवार को पहनने से ज्ञान की वृद्धि होती है ।
- गुरुवार का दिन विवाह के लिए श्रेष्ठ है।
- देव गुरु होने के नाते बृहस्पति धर्म और शिक्षा का कारक भी माने जाते है।
- और इसके कमजोर होने से शिक्षा में असफलता और धार्मिक कार्यों में रूचि कम होने लगती है।
- इसीलिए इस दिन कुछ कार्यों को करने की सख्त मनाही है।
भगवान् विष्णु की जाती है पूजा
- गुरूवार (वृहस्पतिवार) का दिन हफ्ते में धर्म का दिन माना जाता है।
- इस दिन देव गुरु बृहस्पति और भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है।
- ब्रह्मांड के सभी नौ ग्रहों में से गुरु (बृहस्पति) सबसे भारी ग्रह है।
- इसीलिए इस दिन हर उस काम को करने से मना किया जाता है जिससे शरीर या घर में हल्का महसूस हो।
- क्योंकि ऐसा करने से ग्रह भी हल्का हो जाता है जिसका दुष्प्रभाव परिवार और शरीर को ही झेलना पड़ता है।
- देव गुरु होने के नाते बृहस्पति धर्म और शिक्षा का कारक भी माने जाते है|