शनि दिलाता है राजा जैसा सुख, क्या आपकी कुंडली में है ये योग 

rajyog in kundli: शनि दिलाता है राजा जैसा सुख, क्या आपकी कुंडली में है ये योग 
Rajyog
ज्योतिष के मुताबिक जब कुंडली में शनि बहुत अच्छी स्थिति में हो तो जातक को राजसुख का आनंद मिलता है। 

Kundli me rajyog: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि नवग्रहों में सेवक होता है। इसलिए सेवा यानी नौकरी के पीछे का कारक ग्रह शनि है। ये मनुष्य के कर्म और उसके फल से सीधा संबंध रखता है। शनि की दो राशियां- मकर और कुम्भ हैं जिसमें सबसे प्रिय कुम्भ राशि है। शनि की सबसे मजबूत राशि तुला है जिसमें शनि सबसे अधिक मजबूत होते हैं। वहीं जब शनि कुंडली में राजयोग दे तो लंबे समय तक इसका लाभ मिलता है। हालांकि इसका फायदा जातक को तभी मिलता है जब वह परिश्रम करता है। बिना परिश्रम के शनि का राजयोग कभी फायदा नहीं देता है। 

कुंडली में शनि का पहला राजयोग (kundli me rajyog kaise dekhe)

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो शनि कुंडली में जिस स्थान (भाव या घर) पर बैठे उसे मजबूत करता है। इसके साथ ही शनि जिस राशि में बैठे उसके गुणों में वृद्धि करता है। मान लीजिए यदि शनि चौथे भाव में बैठा है तो संपत्ति में इजाफा करेगा। क्योंकि चौथा घर संपत्ति का होता है। इसमें भी अगर शनि कुंडली तीसरे, छठवें या ग्यारहवें भाव में बैठ जाए तो विशेष लाभ देता है। वहीं शनि यदि अपने स्थान पर मजबूत स्थिति में है तो इंसान अत्यंत पराक्रमी होता है। साथ ही साथ कठिन से कठिन स्थितियों में भी आगे बढ़ जाता है। 

कुंडली में शनि का दूसरा राजयोग (kya hota hai rajyog) 

शश योग (shash yog in kundli) शनि का दूसरा राजयोग होता है। जिसे ज्योतिष में पंचमहायोग कहा गया है। इस पंचमहायोग में मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि शामिल है। जब शनि मकर, कुम्भ या तुला राशि में बैठे तो शश योग बनता है। ये योग केंद्र या त्रिकोण में परम शक्तिशाली होता है। और व्यक्ति को जीवन में कम प्रयास में ही खूब सफलता दिलाता है। इतना ही नहीं व्यक्ति छोटे स्थान से भी बुलंदियों को छूता है। अगर कुंडली में एकमात्र शश योग है तो व्यक्ति को राजा के समान सुख मिलता है। कुंडली में अकेला शश योग है भी तो जातक को मेनहत करना पड़ेगा, नहीं तो शश योग होते हुए भी कोई लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही साथ दूसरों की सहायता करने का भी प्रयास जातक को करना चाहिए। 
 
कुंडली के अन्य राजयोग (neech raj bhang yog)

अगर कुंडली में नीच राजभंग योग (neech raj bhang yog) है तो व्यक्ति सेना में उच्च पद प्राप्त करता है। शनि यदि गुरु की राशि में बैठा है तो व्यक्ति को धन का अभाव नहीं होता है। साथ ही साथ आध्यात्मिकता के लिए भी शनि एक स्थान रखता है। इसके अलावा शनि और चंद्रमा के योग से व्यक्ति साधक या तपस्वी बन जाता है। हालांकि शनि और चंद्रमा का संबंद व्यक्ति को कभी कभी मानसिक तौर पर बीमार बना देता है। 

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