Lohri 2021: जानिए, भारत सहित अन्य हिस्सों में कैसे मनाई जाती है लोहड़ी

Lohri 2021: जानिए, भारत सहित अन्य हिस्सों में कैसे मनाई जाती है लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार (Lohri Festival 2021) पूरे भारत में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से एक दिन पूर्व यानि लोहड़ी (Lohri) पर आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) में भोगी त्योहार (Bhogi Festival) मनाता जाता है। इस अवसर पर लोग पुरानी चीजों को बदलते हैं। साथ ही लोग आग जलाने के लिए पुराने फर्नीचर का इस्तेमाल करते हैं। वहीं लोहड़ी (Lohri) पर सिंधी (Sindhi) समुदाय के लोग लाल लोही (Lal Lohi) का त्योहार मनाते हैं। यह लोहड़ी (Lhori) की तरह ही होता है जिसमें लोग आग जलाकर उसमे तिल डालते हैं और पूजा करते हैं। भारत (India) के आलावा ईरान (Iran) में भी लोहड़ी (Lohri) का पर्व मनाया जाता है। वहां लोग लोहड़ी (Lohri) को चहार शम्बे (chahar Shambe) के नाम से मनाते हैं। इस अवसर पर लोग अग्नि देवता को मेवे समर्पित करते हैं। लोहड़ी (Lohri Katha) को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में...

दुल्ला-भट्टी की कहानी

वैसे तो लोहड़ी की कई कथाएं प्रचलित हैं, परंतु सबसे अधिक प्रचलित दुल्ला-भट्टी की कहानी है। दरअसल दुल्ला-भट्टी अकबर के जमाने में एक लुटेरे थे। जो अमीरों का धन लूटकर जरुरतमंदों के बीच बांट देते थे। इसके आलावा दुल्ला-भट्टी लड़कियों को बाजार में बिकने से बचाते थे और योग्य वर से उनकी शादी करवाते थे। मान्यता है कि पंजाब और हरियाणा के लोग उन्हीं के सम्मान में लोहड़ी पर नाचते-गाते और खुशियां मनाते हैं।


सती की कथा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक लोहड़ी की एक कथा माता सती से भी जुडी हुई है। जिसके मुताबिक प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के और उनके पति महादेव का अपमान किया था। राजा ने पूरे विश्व को अपने यज्ञ में आमंत्रित किया, लेकिन शिव और माता सती की अवहेलना की। इसी बात से नाराज होकर सती ने अग्नि कुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया। कहते हैं कि माता सती को सम्मान देने के लिए ये दिन लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित बेटियों को घर बुला कर उन्हें सुहाग की चीजें भेंट दी जाती हैं और उनका सम्मान किया जाता है।

कृष्ण और लोहिता की कहानी

एक अन्य कथा के मुताबिक मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।

Share this story