Havan ke fayde हवन के धुएं से ही मिट जाते है कई virus ,research के खुलासे से सनातन संस्कृति पर लगी मुहर

 

हवन के फायदे

आम की लकड़ी से हवन के फायदे जानकर वैज्ञानिक भी हैरान ,हवन सामग्री के धुएं से किन बीमारियों में होती है कमी 


आम की लकड़ी से ही ज्यादा से ज्यादा हवन क्यों किये जाते हैं इस बारे में जब रिसर्च किये गए तो जो परिणाम आये तो वह लोगों को चौंकाने वाले हो सकते हैं लेकिन भारत  के लिए यह कतई चौंकाने वाली बात नहीं है लेकिन जिस तरीके से रिसर्च में हवन के बारे में बताया गया और विदेशों में रहने वाले लोग इस बारे में रुचि ले रहे हैं यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है एक रिसर्च हुआ है उसमें हवन के बारे में दिखाया गया  है कि  आम की लकड़ी से हवन किया गया उसके पहले बैक्टीरिया चेक किया गया और हवन करनेके बाद में बैक्टीरिया चेक किया गया तो उसमें 90 प्रतिशत तक कि कमी पाई गई ।

हवन
फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला कि हवन मुख्यतः #आम की लकड़ी पर किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती  है तो फ़ॉर्मिक_एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है जोकि खतरनाक #बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।

हवन के धुएं से फायदे 


टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गई अपनी रिसर्च में ये पाया कि यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का संपर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।

हवन में हवन सामग्री की बड़ी भूमिका 


हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय #वनस्पति_अनुसन्धान_संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की कि क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्द होता है और जीवाणु नाश होता है अथवा नही! उन्होंने #ग्रंथो में वर्णित हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया की ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा की सिर्फ आम की लकड़ी एक किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गई एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बॅक्टेरिया का स्तर 94% कम हो गया। यही नहीं, उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया की कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के  24 घंटे बाद भी जीवाणुओ का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। बार बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ की इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था। यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र (resarch journal of Ethnopharmacology 2007) में भी दिसंबर 2007  में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न सिर्फ #मनुष्य बल्कि #वनस्पतियों फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का #नाश होता है। जिससे फसलों में #रासायनिक_खाद का प्रयोग कम हो सकता है।

समिधा किसे कहते हैं ?


समिधा के रूप में आम की लकड़ी सर्वमान्य है परन्तु अन्य समिधाएँ भी विभिन्न कार्यों हेतु प्रयुक्त होती हैं। सूर्य की समिधा मदार की, चन्द्रमा की पलाश की, मङ्गल की खैर की, बुध की चिड़चिडा की, बृहस्पति की पीपल की, शुक्र की गूलर की, शनि की शमी की, राहु दूर्वा की और केतु की कुशा की समिधा कही गई है।

 समिधा में किस लकड़ी का प्रयोग करें ?
मदार की समिधा रोग को नाश करती है, पलाश की सब कार्य सिद्ध करने वाली, पीपल की प्रजा (सन्तति) काम कराने वाली, गूलर की स्वर्ग देने वाली, शमी की पाप नाश करने वाली, दूर्वा की दीर्घायु देने वाली और कुशा की समिधा सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली होती है।

हवन से क्या होता है ?
प्रत्येक ऋतु में आकाश में भिन्न-भिन्न प्रकार के वायुमण्डल रहते हैं। सर्दी, गर्मी, नमी, वायु का भारीपन, हलकापन, धूल, धुँआ, बर्फ आदि का भरा होना। विभिन्न प्रकार के कीटणुओं की उत्पत्ति, वृद्धि एवं समाप्ति का क्रम चलता रहता है। इसलिए कई बार वायुमण्डल स्वास्थ्यकर होता है। कई बार अस्वास्थ्यकर हो जाता है। इस प्रकार की विकृतियों को दूर करने और अनुकूल वातावरण उत्पन्न करने के लिए हवन में ऐसी औषधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं, जो इस उद्देश्य को भली प्रकार पूरा कर सकती हैं।

हवन कैसे करते हैं ?
होम-द्रव्य अथवा हवन सामग्री वह जल सकने वाला पदार्थ है जिसे यज्ञ (हवन/होम) की अग्नि में मन्त्रों के साथ डाला जाता है।
(1) सुगंधित : केशर, अगर, तगर, चन्दन, इलायची, जायफल, जावित्री, छड़ीला, कपूर, कचरी, बालछड़, पानड़ी आदि।
(2) पुष्टिकारक : घृत, गुग्गुल, सूखे फल, जौ, तिल, चावल, शहद, नारियल आदि।
(3) मिष्ट - शक्कर, छूहारा, दाख आदि।
(4) रोग नाशक - गिलोय, जायफल, सोमवल्ली, ब्राह्मी, तुलसी, अगर, तगर, तिल, इंद्रा, जव, आमला, मालकांगनी, हरताल, तेजपत्र, प्रियंगु, केसर, सफ़ेद, चंदन, जटामांसी आदि।
उपरोक्त चारों प्रकार की वस्तुएँ हवन में प्रयोग होनी चाहिये। अन्नों के हवन से मेघ-मालाएँ अधिक अन्न उपजाने वाली वर्षा करती हैं। सुगंधित द्रव्यों से विचारों शुद्ध होते हैं, मिष्ट पदार्थ स्वास्थ्य को पुष्ट एवं शरीर को आरोग्य प्रदान करते हैं इसलिये चारों प्रकार के पदार्थों को समान महत्व दिया जाना चाहिये। यदि अन्य वस्तुएँ उपलब्ध न हों तो जो मिले उसी से अथवा केवल तिल, जौ, चावल से भी काम चल सकता है।

हवन

हवन सामग्री बनाने की विधि 


तिल, जौं, सफेद चंदन का चूरा, अगर, तगर, गुग्गुल, जायफल, दालचीनी, तालीसपत्र, पानड़ी, लौंग, बड़ी 
इलायची, गोला, छुहारे नागर मौथा, इन्द्र जौ, कपूर कचरी, आँवला, गिलोय, जायफल, ब्राह्मी।
Credit Bhagwat shukla

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