चन्द्र ग्रह को इस तरह से सही करें तो कई मुश्किलें हो सकती हैं दूर

चन्द्र ग्रह को इस तरह से सही करें तो कई मुश्किलें हो सकती हैं दूर

Jyotish Desk -चन्द्र एक चन्द्र देवता हैं। चंद्र (चांद) को सोम के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें वैदिक चंद्र देवता सोम के साथ पहचाना जाता है। उन्हें जवान, सुंदर, गौर, द्विबाहु के रूप में वर्णित किया गया है और उनके हाथों में एक मुगदर और एक कमल रहता है। वे हर रात पूरे आकाश में अपना रथ (चांद) चलाते हैं, जिसे दस सफेद घोड़े या मृग द्वारा खींचा जाता है। वह ओस से जुड़े हुए हैं और जनन क्षमता के देवताओं में से एक हैं।

उन्हें निषादिपति भी कहा जाता है (निशा=रात; आदिपति=देवता) शुपारक (जो रात्रि को आलोकित करे) सोम के रूप में वे, सोमवारम या सोमवार के स्वामी हैं। वे सत्व गुण वाले हैं और मन, माता की रानी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चंद्रमा दोष से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर जुखाम रहता है या पेट से संबंधित परेशानियाँ होती रहती है, घर के जानवर या मवेशी की तबियत खराब रहना, बिना किसी कारण शत्रुओं की बढती संख्या और छोटे से छोटे काम में भी धन की हानि हो रही है तो समझ लें की उस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष है।

ज्योतिष विज्ञान और विद्वानों के अनुसार हर एक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है। जिंदगी में समस्याएं आने का यह भी यही कारण होता है। नवग्रह में यानी की नौ ग्रहों में से अगर आप किसी भी ग्रह दोष से प्रभावित है तो आपका दैनिक जीवन सुखमय नहीं रहेगा। परेशानियाँ रहेंगी, जिन्दगी में तूफ़ान बना रहेगा, चाहे घर में कलेश हो या आपके बनते बनते काम बिगड़ जाए, आपका शत्रु आपको परेशान कर रहा हो, मान सम्मान की हानि हो रही हो, सेहत आपके साथ ना हो तो समझ लीजिये की किसी न किसी ग्रह का प्रकोप आपके ऊपर है।

चन्द्रमा देव माँ और मन का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह जातक में भावुकता, चंचलता, विवेक, बुद्धि आदि का प्रतीक हैं। मन पर ही व्यक्ति की न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्थिति भी निर्भर करती है, कहा भी गया है ’’मन एव मनुष्याणां बन्ध कारणं मोक्षः।‘‘

वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा उपरोक्त के साथ-साथ माता, मौसी, कफ-विकार, नाक-कान-गला, आंख के विकार, पानी के विकार, फेफड़े, पेट, कन्धे के रोग, रक्तचाप, दुर्घटना, जिगर, तिल्ली के दोष, याददाश्त, आयु आदि का प्रतीक हैं। यदि जातक का जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तक होता है तो जातक में उपरोक्त वर्णिंत परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं, ऐसे जातकों को अष्टमी, पूर्णिमा और अमावस्या के आसपास मानसिक उद्धेग उत्पन्न हो सकता है।

यदि किसी जातक की हस्तरेखा में चन्द्रपर्वत दबा हुआ हो तो ,या उस पर आपस में काटती हुई रेखायें हों, अथवा बिन्दु/जाली हो तो जातक में उपरोक्त वर्णित सुखों का अभाव हो सकता हैै।

यदि किसी व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होती जा रही हो तो भी चन्द्र दोष निवारण हेतु निम्न में से एकाधिक उपाय किये जा सकते हैं।

इस लेख में ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी आपको नवग्रहों में से एक ग्रह चंद्र के बारे में बता रहे है। अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष है तो क्या क्या परेशानियाँ हो सकती है और चंद्र दोष का निवारण कैसे किया जा सकता है???

ज्योतिष अनुसार चंद्रमा ---

जब कुंडली में चन्द्रमा यदि 4, 8 या 12वें भाव में हो तो निर्बल होते हैं, चतुर्थ चन्द्रमा माता के लिये और आठवें भाव का चन्द्रमा स्वयं के लिये अशुभ है।

यदि राशियों की दृष्टि से देखे तो मंगल और शनि की राशियां चन्द्रमा के लिये अशुभ हैं।

चन्द्रमा को कुण्डली में सूर्य से कम से कम दो भाव पृथक होना चाहिये, सूर्य और चन्द्रमा के बीच जितनी दूरी होगी उतना ही शुभ होगा, ऐसे जातक मानसिक रूप से सबल होते हैं, सूर्य व चन्द्रमा की पृथकता स्वास्थ्य के साथ आर्थिक सबलता भी प्रदान करती है।
कुंडली में यदि चन्द्रमा पापग्रस्त हों तो जातक में रोग निरोधक क्षमता का ह्रास होता है।
जब जन्म कुंडली में चन्द्रमा राहु के साथ हों तो भी मानसिक कष्ट देेते हैं।

चन्द्रमा का मंत्र:---

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते चंद्रप्रभु तीर्थंकराय विजय यक्ष |
ज्‍वालामालिनी यक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: सोम महाग्रह |
मम दुष्‍टग्रह, रोग कष्‍ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप करें ||

तान्त्रिक मंत्र –
ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम: ||
11000 जाप करें ||

चंद्रमा ग्रह दोष के उपाय:--

इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी चंद्र दोष दूर करने के लिए आपको कुछ उपाय बताने जा रहे है अगर पीड़ित व्यक्ति सच्चे मन से इनका प्रयोग करेंगे तो चंद्र दोष की समस्या दूर हो जाएगी। चंद्र दोष से होने वाली परेशानियों से भी आराम मिल जाएगा।

भगवान शिव की आराधना करें
ऊं नम शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 माला जाप करें।

बड़े बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें।

सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें।

अनुभवी ओर योग्य आचार्य से परामर्श लेकर चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को जाएं हाथ अनामिका में धारण करें।

सस्ते विकल्प के तोर पर चांदी का छल्ला धारण किया जा सकता है।

हर पूर्णिमा या पूर्णमासी को चन्द्रमा की रोशनी में बैठना चाहिये व चन्द्र-मंत्र का जाप करना चाहिये।

यथा सम्भव चांदी के बर्तन में दूध, खीर, मीठे चावल या मिठाई का सेवन करना चाहिये।

पीपल के फल, सूखा गूलर, गूलर की जड़ घर में संभाल कर रखें।

शिव पूजन व दूध का दान करने से चन्द्र अनुकूल होते हैं।

घर में पानी के पौधे, बेल या मछली का एक्वेरियम रखें

शीशे की गिलास में दूध, पानी पीने से परेहज करें।

28 वर्ष के बाद विवाह का निर्णय लें।
लाल रंग का रूमाल हमेशा जेब में रखें।
माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ मिलता हैं।

घर से बाहर जाने से पूर्व पानी पीकर जाना चाहिए।

चावल, चीनी, देशी घी से भरा नया बर्तन, छोटी इलायची, काजू, दूध, चांदी, सफेद वस्त्र अपनी सामर्थ्यनुसार उपरोक्त में से कोई एक या अनेक चीजें माह में, सप्ताह में दान दें और खायें। दिन-सोमवार, पुर्णमासी में दिन तथा सांयकाल के समय अपनी सुविधानुसार चुन लें।

चंद्रमा ग्रह प्रभाव के लक्षण---

जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी ।
घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका ।
अकारण शत्रुओं का बढ़ना, धन का हानि ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र दोष से प्रायः हर कोई पीड़ित हो जाता है।

चन्द्र दोष से पीड़ित होने पर व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचने लगती है। वह आशंकित रहने लगता है, भयभीत हो जाता है, लगातार हो रही हानियों से तनावग्रस्त हो जाता है।

यहां तक पारिवारिक जीवन भी असंतोष से भरने लगता है। कई बार तो जीवन साथी के साथ मतभेद इतने बढ़ जाते हैं कि अलगाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए चंद्र दोष से बचाव के उपाय जरुर करने चाहिए।

चंद्र दोष से बचाव के लिए पीड़ित को चंद्रमा के अधिदेवता भगवान शिवशंकर की पूजा करनी चाहिए साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शिव कवच का पाठ भी चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है।

इनके अलावा चंद्रमा का प्रतिनिधि देव जल को माना गया है और जल तत्व के स्वामी भगवान गणेश हैं। इसलिए भगवान गणेश की उपासना से भी चंद्र दोष दूर होता है।

विशेषकर तब जब चंद्रमा के साथ केतु युक्ति कर रहा हो। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ, गौरी, काली, ललिता और भैरव की उपासना से भी राहत मिलती है।

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