Narasimha Chaturdashi 2024: नरसिंह चतुर्दशी व्रत कब है, जानें तिथि और महत्व

Narasingh Chaturdashi Ka Kya Mahatva Hai?
 
narasimha chaturdashi 2024 date

Narasimha Chaturdashi 2024

नरसिंह चतुर्दशी क्या है?

Narasimha Jayanti Kab Hai?


Narasimha Chaturdashi 2024: सनातन धर्म में नरसिंह जयंती का खास महत्व है. भगवान श्री नारायण के चौथे अवतार नरसिंह भगवान का जन्मोत्सव वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस वर्ष नरसिंह जयंती 21 मई 2024 को पड़ रही है. आइए जानते हैं भगवान नरसिंह के धरती पर अवतरण, महत्व, पूजा विधि के बारे में…

नरसिंह भगवान का अवतार क्यों हुआ?

Narasimha Avatar: सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था. वह बहुत ही अत्याचारी था. वह चाहता था कि उसके राज्य कि प्रजा उसको भगवान मानकर उसकी पूजा करें। उसके पुत्र प्रह्लाद को यह बात मंजूर नहीं थी. वह पहले से भगवान विष्णु के भक्त थे, जो हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का विरोध करते थे. राजा ने प्रह्लाद को मारने के लिए कई उपाय किए, लेकिन वह हर बार असफल हो जाता था. क्योंकि प्रह्लाद के ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद रहता। अंत में राजा ने उसे स्वयं मारने का निर्णय लिया।

नरसिंह चतुर्दशी का मुहूर्त

Narasimha Chaturdashi 2024 Muhurt: चतुर्दशी प्रारंभ- 21 मई दिन बुधवार, व्रत संकल्प मुहूर्त-सुबह 11:4 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक. संध्याकाल में पूजा मुहूर्त-शाम 4:5 बजे से शाम 6:35 बजे तक. तिथि समाप्ति-22 मई शाम 6:47 बजे. व्रत का पारण- 22 मई शाम 6:50 बजे.

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हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे न कोई दिन में या रात में मार सकता, न ही उसे कोई हथियार या निहत्था उसे मार सकता था, इतना ही नहीं उसे कोई नर-नारी या जानवर भी नहीं मार सकता था. एक बार हिरण्यकश्यप शाम के समय सूरज ढलने के तुरंत बाद ही अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए उसे अपनी गोद में उठाकर बाहर फेंकने के लिए ले जा रहा था तभी वह एक स्तंभ से टकरा गया. उस स्तंभ से भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह जी निकले और उन्होंने हिरण्यकश्यप को अपने घुटनों पर लिटाकर नाख़ून से उसका वध कर दिया।

भगवान ने नरसिंह अवतार क्यों लिया?

पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप को भगवान ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसे न कोई दिन में या रात में मार सकता, न ही उसे कोई हथियार या निहत्था उसे मार सकता था, इतना ही नहीं उसे कोई नर-नारी या जानवर भी नहीं मार सकता था. इसी वजह से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया, जिसमें आधा नर और आधा सिंह (शेर). साथ उन्होंने उसे प्राप्त हुए वरदान के मुताबिक हथियार की की जगह अपने नाखूनों से फाड़ दिया।

नरसिंह चतुर्दशी का महत्व

Narasimha Chaturdashi Ka Mahatwa: नरसिंह चतुर्दशी भगवान विष्णु की पूजा भक्ति का पर्व है. इससे भगवान सीख दे रहे हैं कि वे सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. साथ ही बुराई का नाश करते हैं. इस दिन मंदिर में विशेष पूजा, भजन-कीर्तन और प्रभात फेरी निकाली जाती है. लोग व्रत रखते हैं और दान-पुण्य का करते हैं. नरसिंह जयंती का त्योहार लोगों को धर्म के मार्ग पर चलना सिखाता है. भगवान नरसिंह विष्णु जी के चौथे अवतार हैं इस दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसलिए विष्णु जी की पूजा की जाती है.

नरसिंह जयंती की पूजा विधि

Narasimha Chaturdashi Ki Pooja Vidhi: इस तिथि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में नरसिंह भगवान की मूर्ति को स्नान कराएं और फूल, तुलसी और फल अर्पित करें। नारियल और घी के दीपक से उनकी आरती करें। व्रत रखने वालों को किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही उनके मंत्रों का जाप करें। भगवान नरसिंह का मंत्र- ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं ज्वलितं हविर्मयम। नृसिंहं भासुरं भयकरं नमस्तेस्ते विजयहेतवे।।

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