Navratri 2021 नवरात्रि में पूजा का लाभ कैसे मिलेगा पूजा समय और विधि 

Navratri 2021 date नवरात्रि में राशि अनुसार कैसे करें पूजन ,कलश स्थापना पूजन विधि 
नवरात्रि 2021

नवरात्रि मे करें मौलिक शक्ति की आराधना

(राजेन्द्र तिवारी)

आचार्य प्रदीप तिवारी ने कहा कि प्रकृति की मौलिक शक्ति की आराधना का पवित्र पक्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुवात 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। इस समय सनातन धर्म के साथ कई अन्य धर्मों के लोग भी महिष मर्दिनी दुर्गा जी की विशेष कृपा प्राप्ती कै लिएआराधना करते हैं । इस पक्ष में मां दुर्गा की आराधना से अनेक शक्तियों की प्राप्ति तो होती ही है मनोवांछित फल भी मिलता है जिससे जरूरी है कि मनोकामना की पूर्ति के लिए इस पक्ष में पूजन अर्चन कर लाभ पाएं

यह रहेगा कलश  स्थापना का शुभ मुहूर्त

इस बार कलश स्थापना में अनेक प्रकार के विघ्न बताए जा रहे हैं शास्त्रों के अनुसार  
वैधृतो पुत्रनाश: स्याच्चित्रायां धननाशनम् । तस्मात्र स्यापयेत्कुम्भं चित्रायां वैधृतौ तथा ।। वैधृति योग और चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना करने से पुत्र धन का नाश होता है। इस बार यह दोनों नवरात्र के प्रथम दिन में हैं 5:35  शुक्रवार का प्रातः तक वैधृति योग और गुरुवार देर रात्रि चित्रा नक्षत्र 12:06 तक रहेगा ।भविष्य पुराण में और निर्णय सिंधु के अनुसार इसका परिहार बताया गया है । सम्पूर्णा प्रतिपद्येव चित्रायुक्ता यदा भवेत। वैधृत्या वापि युत्ता स्यात्तदा मध्यन्दिने रवौ।। अभिजित्तु मुहूर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यत।।अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहिए। वहीं चित्रा नक्षत्र दो पाद त्याग कर अभिजात मुहूर्त में दिन में मध्य 11:36 से 12:24 के बीच में रहेगा
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नवरात्रि में करना चाहिए कन्या पूजन

नवरात्रि में कन्या पूजन का बड़ा ही महत्व बताया गया है देवी पुराण में कुमारी पूजन का विवरण दिया गया है जिसमें नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन कुमारी पूजन का बड़ा ही महत्व बताया गया है ।स्कंद आदिपुराणौ के अनुसार एक एक कन्या का  प्रतिदिन बढ़ाकर पूजन करें। क्योंकि सकाम {कामना युक्त }अनुष्ठान में 9 की संख्या का विशेष महत्व है क्योंकि यह संख्या पूर्णांक के रूप में मानी जाती है जो पूर्ण है वही सभी कामनाओं को पूर्ण कर सकता है ऐसा 9 दिन करना चाहिए ऐसे में यह संख्या 45 हो जाएगी इस बार नवरात्र पंचमी और षष्ठी एक ही दिन होने से इन दिनों की कन्या की संख्या जोड़ कर पूजन करें अंत में कन्या की संख्या 45 हो जाएगी 4+5=9हो जाएगा वैसे संख्या पूर्ण होने से मनोकामना भी पूर्ण हो जाएगी।

सदैव सर्वत्र पूजनीय हैं कन्या समस्त जातियों की ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में उल्लेख प्राप्त होता है नाना प्रकार के मनोवांछित कामनाओं की सिद्धिदात्री है यह कन्या
कन्या पूजन से क्या है लाभ। ब्राह्मणीं सर्वकार्येषु जयार्थे नृपवंशजाम्। लाभार्थे वैश्यवंशोत्थां सुतार्थे शद्रवंशजाम्।।
दारूणे चान्त्यजातानां पूजयेद्विधिना नरः ।।

ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाली कन्या के पूजन से सभी कार्य सिद्ध होते हैं वही क्षत्रिय कुल में जन्म लेने वाली कन्या के पूजन से विजय की प्राप्ति होती है।वैश्य मे जन्म लेने वाली कन्या के पूजन से व्यापार वृद्धि धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के लिए शूद्र वंश में जन्म लेने वाले कन्याओं का पूजन करना श्रेष्ठ कर माना गया है । उपरोक्त कथन के अनुसार नारी सर्वत्र पूजनीय है कभी कन्या के रूप में कभी मातृ शक्ति के रूप में यह सनातन धर्म की विशेषता है।
नवरात्रि मे करें मौलिक शक्ति की आराधना

कन्याओं का करें इस तरह पूजान। १-ऊँ ह्रीं कल्याण्यै नमः २-ऊँ ह्रीं कौमार्य्यौ नमः३-ऊँ ह्रीं त्रिपुरायै नमः ४-  -ऊँ ह्रीं रोहिण्यै नमः ५-ऊँ ह्रीं कामिन्यै नमः ६-ऊँ ह्रीं चण्डिकायै नमः ७-ऊँ ह्रीं शांकर्य्यै नमः ८- ओम दुर्गायै नमः  ९ ऊँ सुभद्रायै नमः
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ऐसी है मान्यता
दुर्गा 1
रोहिणी  2
कुमारिका  3
कल्याणी   4
चण्डीका।  5
शाम्भवी।  6
त्रिमूर्ति।  7
काली  8
सुभद्रा।  -9+32+5+24+18+27+2=108: पूर्णांक  9
45:4+5 =9 हिंदी वर्णमाला के अनुसार जिस पंक्ति पर जो अक्षर आया है उस अक्षर की गिनती कर जोड़ने पर उपरोक्त अंक प्राप्त होते हैं।
 

विशेष फल प्राप्ति के लिए विशेष पूजन

मेष राशि वाले पूर्व मुखी देवी का स्थापन कर लाल वस्त्र धारण कर गुड़हल के फूलों के द्वारा पूजन करना शुभ है  वृष राशि वाले पूर्व मुखी देवी की स्थापना कर गुलाब पुष्पों के साथ गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजन करना शुभ है ।
मिथुन राशि वाले पश्चिमी मुखी देवी की स्थापना कर विचित्र रंग के वस्त्र के साथ केसर  पुष्पों के साथ पूजन करना शुभ है 
कर्क राशि वाले पूर्व मुखी देवी का पूजन करें सफेद वस्त्र व सफेद पुष्पों के साथ पायस सफेद दूध की बनी  भोज अर्पण करें।
सिंह राशि वाले सिंदूरी रंग का वस्त्र धारण करके लाल पुष्पों से माता का पूजन पूर्व मुख होकर करें 
कन्या राशि वाले कन्या राशि वाले देवी के साधना पश्चिमी मुखी कर नाना प्रकार के पुष्पों के द्वारा पूजन करना श्रेष्ठ कहा गया है 
तुला राशि वाले दक्षिणमुखी देवी का पूजन करें गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजन करें 
वृश्चिक राशि वाले दक्षिण मुखी देवी का पूजन करना और आकाश रंग का वस्त्र धारण कर गुलाब के पुष्पों से पूजन करें।
धनु राशि वाले विचित्र रंग का वस्त्र धारण कर दक्षिण मुखी देवी का पूजन करना चाहिए 

मकर राशि वाले पश्चिमी मुखी देवी की स्थापना कर दो रंग के वस्त्र धारण कर शमी पुष्प पत्र से पूजन करना लाभकारी रहेगा 
कुंभ राशि वाले भी पश्चिमी मुखी देवी का ही पूजन करना श्रेष्ठ कर रहेगा यह श्याम रंग के वस्त्र धारण कर कमल पुष्प और शमी पुष्प पत्र से पूजन करना उनके लिए शुभकारी होगा ।
मीन राशि वाले पीला वस्त्र धारण कर दक्षिणमुखी देविका पीले पुष्पों के द्वारा पूजन करना शुभकारी रहेगा। उत्तर मुखी देवी की स्थापना कदापि नहीं करनी चाहिए ऐसा देवी पुराण में वर्णित है।।
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किस फूल से करें पूजन

कामनाओं के अनुसार वाहन चाहने वालों को गुलाब के पुष्पों से देवी का  अर्चन करना चाहिए 
विद्या चाहने वालों को सफेद पुष्पों सफेद रंग की वस्तुओं से पूजन करें
विशेषकर मूल नक्षत्र में पूजन करना इनके लिए श्रेष्ठ कर रहेगा।
लक्ष्मी जाने वाले लाल पुष्प विशेषकर गुड़हल और कमल के साथ देवी अर्चन धन-संपत्ति के लिए लाभकारी है।
सभी सुखों को चाहने वाले कमल पुष्प से देवी जी का पूजन दर्शन करें ।
वहीं पर विजय प्राप्ति के लिए अपराजिता के पुष्पों के साथ पूजन करना चाहिए

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