राहु ग्रह खुश हो जाये तो दे सकता है बहुत कुछ नही तो लगता रहे अड़ंगा

राहु ग्रह खुश हो जाये तो दे सकता है बहुत कुछ नही तो लगता रहे अड़ंगा

Jyotish Desk -यह ऐसा ग्रह है राहु (Rahu) जो खुश कर दे तो बहुत कुछ दे सकता है और अगर नाराज हो तो बहुत कुछ होने की उम्मीद के बावजूद भी वो लाभ नही मिल पाता है और अड़ंगे लगते रहते हैं काम बनते बनते बिगड़े रहते हैं ।

राहु जिस पर मेहरबान हो जाये हो तो उसे सारे सुख और वैभव मिलता रहता है । यह ठीक इसी तरह है जैसे कोई माफिया किसी का समर्थन कर दे तो उसका काम आसान हो जाता है कम से कम वह अड़ंगे नही डालता

मायावी ग्रह इस नाते क्योंकि ऐसे विषय या ऐसी हस्तियां जैसे कि राजनेता अदाकार क्रिकेटर इस तरह के विषयों से जुड़े लोग जिनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेताब रहते हैं इन सब का कारक राहु है , यानी उन सब लोगों की जन्म कुण्डली में राहु शुभ प्रभाव दे रहा होता है । ज्योतिष अनुसार राहु को कन्या राशि का स्वामी माना जाता है, और मिथुन राशि में राहु उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि धनु राशि में राहु नीच बल को प्राप्त होता है । इस के इलावा ज्योतिष अनुसार राहु बदनामी का कारक है, छल का कारक है, जुआ सट्टा शेयर बाजार लाटरी या अन्य किसी भी रूप में अचानक धन दौलत की प्राप्ति चाहे डकैती हो यह सब भी राहु के कारक विषय हैं, राहु के अशुभ प्रभाव मिल रहे हों तो व्यक्ति बिना मेहनत किये ही धन प्राप्ति करने का इच्छुक होता है ।

राहु ग्रह एक तरह से virtual दुनिया है जिसका अहसास और आभास होता है लेकिन जल्दी मिलता नही है ।

राहु की ही प्राप्ति के बारे में आप सोचने लगते हो , लेकिन चाह कर भी तुम उसके करीब ना हो रहे हो । जैसे कि जन्म कुंडली के पहले भाव में राहु की स्थिति हो तो ऐसा जातक ऐसे कार्यो की तलाश में रहेगा जिनको करने से उसकी प्रतिष्ठा एक दम से बढ़ जाए, उसकी रुचि ऐसे कार्यो को करने में होती है जिसके लिए उसके माता पिता अनुमति नहीं देते , कोई ऐसा कैरियर का विषय हो सकता है या फिर विदेश जाना हो सकता है या फिर कोई प्रेम संबंध हो सकता है जिसकी वजह से वह जातक खुद तो परेशान रहता ही है साथ ही माता पिता के साथ भी उसके संबंध मधुर नहीं रहते ।

इसी तरह द्वितीय भाव में राहु की स्थिति हो तो अपनी जरूरतों को लेकर, आय के साधन को लेकर या फिर परिवार की ही धन संपदा को लेकर परिवार के ही सदस्यों के साथ विवाद की स्थिति बन जाती है ।

इसी तरह तृतीय भाव में राहु भाइयों और मित्रों की वजह से , पड़ोसियों की वजह से व्यक्ति को परेशानी होती है ।

इसी तरह चतुर्थ भाव में राहु की स्थिति होने पर व्यक्ति की माता या जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब रहता है, प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े की स्थिति होती है ।

इसी तरह पंचम भाव में राहु की स्थिति हो तो खुद के ही लिए गए फैसलों की वजह से बदनामी जैसे कि प्रेम विवाह या फिर खुद के व्यवसाय में आर्थिक नुकसान की स्थिति बनी होती है , शेयर बाजार से भी ऐसे लोगों को नुकसान होता है । इसी तरह छठे भाव में राहु की स्थिति हो तो प्रेमी प्रेमिका जीवनसाथी , साँझीदारी में तकरार , कर्ज़ और कोर्ट कचहरी की परेशानी होती है ।

इसी तरह सप्तम भाव में राहु की स्थिति होने पर प्रेम संबंध साँझीदारी में धोखा होता है । इसी तरह अष्टम भाव में राहु की स्थिति मूत्र अंगों से जुड़े रोग, सेक्स में दिलचस्पी, ज्योतिष और टोने टोटके का दुरुपयोग करने की भावना दूसरों के धन की इच्छा होती है ।

इसी तरह नवम भाव में राहु की स्थिति पिता और बुजुर्गों से विवाद दान पुण्य रीत रिवाज़ों की आलोचना ऐसा व्यक्ति करता है ।

इसी तरह दसम भाव राहु से व्यक्ति कपटी, छल करने वाला, निंदा और आलोचना करने वाला होता है । इसी तरह एकादश भाव का राहु बड़े भाई बहनों से कष्ट, तरक्की में रुकावट, संतान से परेशानी होती है ।

इसी तरह बाहरवें भाव में राहु की स्थिति व्यक्ति के ग्रहस्थ सुख को खराब करती है, सपने में सांप दिखाई देते हैं, प्रॉपर्टी के सुख खराब होते हैं, कर्ज़ , रोग, शत्रु , अनावश्यक खर्च परेशान करते हैं । जबकि साधारण तौर पर हर किसी में अशुभ राहु के ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं जैसे कि पिता और भाइयों से विवाद, आंखों से जुड़े रोग , मति भरम, प्रतिष्ठा की कमी होती है । लेकिन यहां जानकारी के लिए बता दें कि राहु केतु खुद से कभी भी शुभ या अशुभ प्रभाव नहीं देते, बल्कि जिस राशि में विराजमान होते हैं उस राशि के स्वामी ग्रह अनुसार इनका व्यवहार होता है यदि वह ग्रह योगकारक है तो राहु केतु भी योगकारक होंगे, लेकिन यदि वह ग्रह मारकेश है तो राहु केतु भी मारकेश की तरह फल देंगे ।

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