Tulsi and Peepal puja on Sunday: रविवार को तुलसी और पीपल की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए? जानें इसके मुख्य कारण 

Tulsi and Peepal puja on Sunday: सनातन धर्म में तुलसी और पीपल को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. लेकिन इनकी पूजा से जुड़े कुछ दोष भी हैं, जिनसे बचना चाहिए।
Tulsi and Peepal puja

Tulsi and Peepal puja on Sunday: सनातन धर्म में तुलसी और पीपल को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. लेकिन इनकी पूजा से जुड़े कुछ दोष भी हैं, जिनसे बचना चाहिए। कहा जाता है कि रविवार के दिन पीपल और तुलसी की पूजा नहीं करनी चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों कहा गया है? आइए जानते हैं इसके बारे में

पीपल और तुलसी पूजा क्यों करनी चाहिए? 

Tulsi and Peepal Puja: सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें पशु, पक्षी, पेड़ आदि प्रकृति से जुड़े उन सभी जीवों की पूजा की जाती है, जिन्हें पुराणों में महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसे ही हैं पीपल और तुलसी। इन दोनों को सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान दिया है. ये पूजनीय पौधों के रूप में जाने जाते हैं. दोनों पौधों का काम जन्म से मृत्यु तक होता है. कहा जाता है कि यदि किसी की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है तो उसके लिए पीपल और तुलसी पूजा अवश्य करनी चाहिए। इतना ही नहीं यदि कोई व्यक्ति शारीरक कष्टों से परेशान है तो उसके लिए सबसे शानदार उपाय है कि वह प्रतिदिन पीपल और तुलसी के लिए दीपक जलाए। इससे उसके सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. 

 रविवार को क्यों नहीं करनी चाहिए तुलसी और पीपल की पूजा? 

Ravivar Ko Kyon Nahin Karni Chahiye Tulsi Aur Peepal Puja:  ज्योतिषियों का कहना है कि रविवार के दिन तुलसी और पीपल की पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास हो जाता है, साथ ही कई प्रकार के शारीरिक कष्टों से गुजरना पड़ता है. इसलिए इस दिन दोनों की पूजा नहीं करनी चाहिए। पुराणों के अनुसार रविवार के दिन माता तुलसी भगवान विष्णु का व्रत रखती हैं. साथ इस दिन वे विश्राम की मुद्रा में रहती हैं. इसलिए रविवार के दिन न तो तुलसी दल तोड़ना चाहिए और न ही उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। पीपल के लिए पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उससे लक्ष्मी और अलक्ष्मी नाम की दो बहनें उत्पन्न हुईं, कुछ समय बाद दोनों बहनों के विवाह की बात चली. भगवान विष्णु ने दोनों बहनों के सामने विवाह के प्रस्ताव रखे. लेकिन अलक्ष्मी की इच्छा थी कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विवाह करे, जो पूजा-पाठ और शास्त्र से दूरी बना के रखता हो. भगवान विष्णु ने उसकी विवाह एक ऐसे ऋषि से करवा दिया, जो बिलकुल उसकी इच्छा के अनुसार था. अलक्ष्मी और उसके पति ने भगवान विष्णु से अपने लिए निवास स्थान मांगा तो, श्रीहरि ने कहा कि तुम दोनों सिर्फ रविवार के दिन पीपल के वृक्ष पर निवास कर सकते हो बाकी दिनों ऋषि-मुनियों के स्थान के आस-पास बिलकुल नहीं रहना। तभी से दोनों रविवार के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करने लगे। 

तुलसी पूजा का महत्व

Tulsi Puja Ka Mahtwa: पदम् पुराण में कहा गया है कि तुलसी एक ऐसा पौधा है, जिस पर स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं. साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि किसी प्रसाद में तुलसी नहीं होती तो उसे भगवान कभी स्वीकार नहीं करते हैं.कहा जाता है कि तुलसी का उपयोग शुभ और अशुभ दोनों कार्यों में किया जाता है. तुलसी का दर्शन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है. श्राद्धकर्म और देवपूजा में तुलसी का बहुत महत्व होता है. तुलसी पूजा से यज्ञ, तप, हवन आदि का पुण्य मिलता है. 

पीपल पूजा का महत्व

Peepal Puja Ka Mahatwa: शास्त्रों के अनुसार पीपल को स्वयं भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है. इस वृक्ष में सभी देवताओं का वास होता है. सभी महात्मा इसकी सेवा करते हैं. पीपल की पूजा से शनि के साढ़े साती और पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है इसकी परिक्रमा से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन पीपल को जल अर्पित करता है तो उसके पितृ स्वयं उसको धन-धान्य से संपन्न होने का आशीर्वाद देते हैं. कहा जाता है कि यदि पितरों को मुक्ति दिलानी हो तो उसके लिए पितृपक्ष में 15 दिनों तक पीपल को जल अर्पित करना चाहिए। 


 

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