समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना अध्यात्म से ही संभव

Adhyatm
 
आर एल पाण्डेय
हरदोई।शिव सत्संग मण्डल के अध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि ईश्वर साक्षात्कार करना है और नहीं।
 मण्डल द्वारा आयोजित वार्षिक धर्मोत्सव में उन्होंने कहा कि सत्य का साथ एवं असत्य व अन्ध विश्वास का निवारण सत्संग कहलाता है|परमात्मा ने मनुष्य को विशेष बुद्धि दी है | जिससे वह सत्य एवं असत्य का निर्णय कर सकता है|इसीलिए मनुष्य समस्त जीवों में महान कहा गया है|मनुष्य को चाहिए बुद्धिपूर्वक कार्य करे, अन्धश्रद्धा से नहीं|मनमें संदेह होने पर संतों, महापुरुषों,धर्म ग्रंथों व पढ़ाई का सहारा लिया जा सकता  है। सर्वोच्च तो बुद्धि ही है|आचार्य ने कहा कि सत्य और शिव अनुसरण करके ही समाज व राष्ट्र का कल्याण किया जा सकता है।
लखनऊ मण्डल के अध्यक्ष राजेश पाण्डेय ने कहा कि मनुष्य का अंतिम ध्येय तो ईश्वर प्राप्ति है ओर उसी में लीन हो जाना है।आध्यात्मिक प्रकृति के इस ज्ञान का अर्जन ही विद्या है।उन्होंने बताया कि संसार के सभी बड़े धर्मों के अनेक धर्म ग्रंथ हैं।परंतु उनमें भी कोई एक सर्व मान्य ग्रंथ है।जिससे उस धर्म विशेष की व्यवस्था चलती है| सनातन हिंदू धर्म में भी अनेकानेक धर्म ग्रंथ होने पर भी वेदों को मूल धर्म ग्रंथ माना गया है|यह सनातन काल से इस धरापर  विद्यमान है। कालान्तर में इसी से सभी धर्मों का उदगम हुआ,ऐसा लगता है।अतः सत्यान्वेषण हेतु वेद मनुष्यों का मार्गदर्शन करते चले आए हैं तथा उस विद्या को विद्वानों ने पाठ्यपुस्तकों में सरलता से सम्मलित किया है| लखीमपुर के जिला प्रमुख जमुना प्रसाद ने ईशतत्व की चर्चा करते हुए कहा कि वह परमेश्वर जिसने सूरज चाँद तारे पशु पक्षी वनस्पति आदि समस्त संसार बनाया है वही हमारी स्तुति के योग्य है अन्य नहीं | अतः हमें बुद्धिपूर्वक विचार पूरी गम्भीरता के साथ करना होगा तभी हम ईशतत्व को समझ सकेंगे अन्यथा नहीं |शिवत्व की प्राप्ति से ही अमत्व की प्राप्ति की जा सकती है।
हरदोई के प्रचार प्रमुख महावीर सिंह ने कहा कि उस एक परमेश्वर की अनादिकाल से विद्वान मनुष्य उपासना करते आये हैं। वही समस्त मनुष्यों का वंदनीय है| सभी सत्पुरुषों ने उसी परमेश्वर की उपासना कर महानता पायी है आैर हमारे लिए प्रतीक रूप मन्दिर वनवाये जिनका नाम शिवालय रखा|
शाहजहांपुर के जिलाध्यक्ष डॉ कालिका प्रसाद ने कहा कि हम शिव नाम से उस परमात्मा को याद करें। अपनें पूजाघरों में साकार रूप में अविनाशी परमतत्व के गुणस्वरूप रूपक शंकर भगवान की मूर्ति या चित्र लगायें, सम्भव हो तो परिवार के साथ अन्यथा अकेले ही आरती करें ।रात्रिकालमें सोने से पूर्व तथा प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौचादि से निवृत्त होकर सीधे बैठकर प्रकाश स्वरूप से ध्यान करें|परमात्माकी दया से आपका अन्तर जगमगा उठेगा|भगवान शिव की दया से आपका जीवन दिव़्य हो जायेगा, धन्य हो जायेगा।इस दिव़्य जीवन को आप धारण करें।
हरदोई के जिला महामंत्री रवि लाल ने अंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों के चक्रव्यूह से बाहर निकलने के उपाय बताए।वरिष्ठ सत्संगी रामअवतार ने दान और सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला।
व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद ने कहा कि व्यक्ति सत्संग के माध्यम से ही अच्छे संस्कार पा सकता है।समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना अध्यात्म से ही संभव है।
हरदोई के जिलाध्यक्ष एवं प्रचारक प्रेम भाई ने बताया कि शिवोपासना से ही समग्र जीवन का कल्याण संभव है।संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना एवं मोहित राजपूत के संचालन में हुए धर्मोत्सव का शुभारम्भ पूर्व ब्लाक प्रमुख मनोज कुमार वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं श्रुति ने सामूहिक ईश प्रार्थना से किया।योग प्रशिक्षक सत्यम,राम चन्द्र राजपूत,भैयालाल,बहिन खुशबू,नेहा,मीनाक्षी, आकांक्षा ने प्रेरणादायी भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर लिया।
महात्मा राम सागर,राज कुमार,देव सिंह,स्वामी दयाल,विनोद एवं मुनेश्वर दयाल वर्मा, प्रधान आदि सत्संगी जनों ने धर्मोत्सव को भव्य बनाने में विशेष योगदान दिया।

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