पूजा पाठ करने की सही विधि ,इस तरह पूजा करें तभी मिलेगा पूरा लाभ 

Ganesh ji
 

पूजा में पालन करें ये नियम और करें भगवान् को प्रसन्न

 

सनातन हिन्दू धर्म में देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनका आह्वान व पूजन परम आवश्यक है और सभी घरों में सामान्यतः ऐसा होता भी है किंतु अधिकतर लोगों को पूजा की सही विधि और उसे शुद्ध रूप से करने की जानकारी न होने के कारण वे अनजाने में उस पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं कर पाते !

      यहाँ हम आपको वैदिक पूजन पद्धति के अनुसार पूजन की उस विधि का वर्णन करेंगे जिससे हर व्यक्ति अपनी पूजा का आधिकारिक फल प्राप्त कर सके !

       पूजा में यदि हम निम्नलिखित नियमों का शुद्ध अंतःकरण से पालन करते हैं तो हमारे इष्ट देवता भी प्रसन्न होते हैं और साथ ही हमें अभीष्ट फल भी प्राप्त होता है

      धार्मिक मान्यता के अनुसार विष्णु,शिव,दुर्गा,सूर्यगणेश ये पञ्च देव कहलाते हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में खासकर गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए.इससे धन,लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है।

 

नीचे दी गयी विधियों को समझ कर आप अपनी पूजा का पूर्ण लाभ ले सकते हैं:-

  

1.      भारतीय सनातन संस्कृति को मानने वाले हर परिवार में तुलसी का एक पौधा जरुर होता है क्योंकि धर्मशास्त्रों के अनुसार घर में तुलसी लगाने से सुख-शांति के साथ ही तुलसी से मिलने वाली आक्सीजन से हमारे स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है ! मान्यता है कि यदि आपके घर- परिवार या स्वयं आप पर भी कोई विपदा आने वाली होती है तो सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी का  पौधा सूखने लगता है । तुलसी का पौधा एक ऐसा अद्भुत पौधा है जो आपको पहले ही सूचना दे देता है कि आप पर या आपके घर परिवार पर कोई परेशानी आने वाली है 

2.       भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी दल के बिना अधूरा माना जाता है। शास्त्रों का कथन है कि बिना तुलसी दल के श्रीहरि: भोग को ग्रहण नहीं करते । पुराणों और शास्त्रों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि माता लक्ष्मी दरिद्रताअशांति और क्लेश के बीच निवास नहीं करती हैं !

3.      तुलसी दल कभी भी बिना स्नान किये,गंदे हाथों के द्वारा या चप्पल-जूता पहनकर नहीं तोड़ना चाहिए !

4.      जो लोग बिना स्नान किये तुलसी दल को तोड़ते हैं,उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं !

5.      तुलसी दल कभी भी सूर्यास्त के पश्चात नहीं तोड़ना चाहिए किन्तु यदि बहुत ज्यादा आवश्यकता पड़ जाये तो तुलसी माता से हाथ जोड़कर क्षमा याचना करते हुए तुलसी दल को तोड़ना चाहिए !

6.      तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक गंगा जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

 

7.      रविवारमंगलवार,एकादशीद्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।

8.      दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।

9.      गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।

10.  सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।

11.  दूर्वा (दूब) रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए।

12.  केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए।

13.  कमल का फूल पांच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

14.  बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

15.  हाथों में रख कर हाथों से देवताओं को फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।

16.  पूजा में दीपक से दीपक को नहीं जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक जलाते हैं वे सदा अस्वस्थ रहते हैं ।

17.  देवी-देवताओं को सदैव गाढ़ा चन्दन और रोली कुमकुम ही चढ़ाना चाहिए।

18.  प्रतिदिन की पूजा में अपनी इच्छा पूर्ति हेतु भगवान से की गयी प्रार्थना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा चढाते समय अपने दोषदुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प अवश्य लेना चाहिए !

19.  पूजा में गंगाजल सोना-चाँदी-तांबे या पीतल के बर्तन में ही रखें,लोहे,स्टील अथवा प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए।

20.  शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों और शूद्रों का शंख बजाना वर्जित है यदि वे शंख बजाते हैं तो लक्ष्मी उस घर से चली जाती हैं !

21.  धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के आरती में पञ्च पूजन पद्धति का प्रयोग किया जाता है अर्थात दिन में पांच बार पूजा-आरती करनी चाहिए। !

22.   आरती पांच प्रकार की होती हैं मंगला आरतीश्रृंगार आरतीभोग आरतीसंध्या आरतीऔर शयन आरती।

23.  प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में से बजे मंगला आरती होती है,प्रात: से 9  तक श्रंगार आरती होती हैमध्याह्र में भोग आरती होने के बाद  देवताओं का शयन होता है,संध्या समय 5 से 6 बजे तक संध्या आरती होती है रात्रि में से बजे तक शयन आरती और फिर भगवान् को शयन करा दिया जाना चाहिए ।

24.  गृहस्थ परिवारों में प्रतिदिन सिर्फ मंगला आरती और संध्या आरती से ही भगवान् प्रसन्न हो जाते हैं !

25.  आरती का थाल धातु का बना होता हैजो प्रायः पीतलतांबाचांदी या सोना का हो सकता है। इसमें एक गुंधे हुए आटे काधातु कागीली मिट्टी आदि का दीपक रखा जाता है ! ये दीपक गोलया पंचमुखीसप्तमुखीअधिक विषम संख्या मुखी  का बना सकते हैं । इसे तेल या शुद्ध घी द्वारा रुई की बत्ती से जलाना चाहिए । प्रायः तेल का प्रयोग रक्षा दीपकों में ही किया जाता है आरती दीपकों  में घी का ही प्रयोग करते हैं।

26.  शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल पूजा के प्रधान अंग हैं। देवताओं की पूजा-आरती को शंख और घंटा घड़ियाल बजाए बिना संपन्न नहीं करना चाहिए 

27.  आरती करने वाले जातक को पहले देवी-देवताओं के चरणों की चार बारनाभि की दो बार और मुख की एक या तीन बार और समस्त अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए।

28.  पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिएहो सके तो सुबह से बजे के बीच में करें।

29.  पूजा जमीन पर कुशा आसन या ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिएपूजा गृह में सुबह एवं शाम को एक घी का और एक तेल का दीपक अवश्य रखें।इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है !

30.  पूजा अर्चना करने के बाद अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमाएं करें।

31.  पूजाघर में मूर्तियां 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिएइससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जीसरस्वतीजीलक्ष्मीजीकी मूर्तियां घर में नहीं रखनी चाहिए।

32.  गणेश या देवी की प्रतिमा तीन तीनशिवलिंग दोशालिग्राम दोसूर्य प्रतिमा दोगोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहारकांचलकड़ी एवं फाईबर इत्यादि की मूर्तियां न रखें साथ ही खण्डितजलीकटी फोटो और टूटे कांच को भी मंदिर से अवश्य  हटा देंयह अमंगलकारक होने के साथ ही विपत्ति का प्रवेश द्वार होता है।

33.  मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्रपुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें इन्हें मंदिर के सबसे नीचे के स्थान या किसी अन्य साफ सुथरे स्थान पर रखें,मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है !

34.  अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों जैसे मृतक बाबा-दादी-माता-पिता इत्यादि का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें।

35.  विष्णु की चारगणेश की तीनसूर्य की सातदुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं।

36.  घर में झाड़ू कभी खड़ा करके न रखें झाड़ू लांघनापांव से कुचलना भी दरिद्रता व रोगों को निमंत्रण देना है !

37.  घर में दो झाड़ू को कभी एक ही स्थान पर न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं।

38.  घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा।

39.  कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिएजिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।

40.  दक्षिणावर्ती शंख जिस घर में होता हैउसमें साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहां मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिए।

41.  चरणामृत का आचमन करने के पश्चात जूठा हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोंछे बल्कि इसे हाथों में ही मल लेना चाहिए !

42.  घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व पगड़ी पहननी चाहिए या फिर कोई भी कपड़ा अवश्य रखना चाहिए किन्तु काला या सफेद रुमाल शुभ नहीं माना जाता है।

 

लेखक- पं.अनुराग मिश्र “अनु”

आध्यात्मिक लेखक व कवि

                                 

नोट-ये लेखक की मौलिक रचना है,इस लेख के सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं

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