Saraswati puja 2021 date: किस भगवान से जुड़ी है बसंत पंचमी की कथा? जानें शुभ मुहूर्त

Saraswati puja 2021 date: किस भगवान से जुड़ी है बसंत पंचमी की कथा? जानें शुभ मुहूर्त

Saraswati puja 2021 date: वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी।

Vasant panchmi 2021 in India: ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।




बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था।

माना जाता है कि इस दिन के साथ ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन नए कार्य को शुरू करना बेहद शुभ माना जाता है।

इस साल बसंत पंचमी 2021(मंगलवार) को है। इस दिन को श्री पंचमी या सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और मान्यता-

बसंत पंचमी 2021 शुभ मुहूर्त

Vasant panchmi 2021 Muhurt: 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी, जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। इस साल बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त करीब साढ़े पांच घंटे तक रहेगा। नई दिल्ली में पूजा मुहूर्त- 16 फरवरी की सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है।

बसंत पंचमी पूजा विधि -

Vasant panchmi 2021 Puja Vidhi: 1. मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।

2. अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।

3. अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें।

4. मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें।

बसंत पंचमी का महत्व -

बसंत पंचमी के खास दिन को ज्ञान और शिक्षा से जोड़ते हैं। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान श्री कृष्णा से जुड़ी कथा (Katha Related to God Krishna)

वसंत पंचमी के दिन मंदिरों में भगवान की प्रतिमा पर वसंती वस्त्रों व पुष्पा का श्रंगार होता है। गाने बजाने व पूरे हर्षोल्लास के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को इस उत्सव के अधिदेव कहा जाता है। इसलिए पूरे प्रदेश में राधा कृष्ण की यात्रा पूरे आनंद के साथ निकाली जाती है। वृंदावन, बरसाना में होली के रंग गुलाल शुरू हो जाते हैं। पंचमी के अवसर पर सभी मंदिरों में ठाकुर जी के विशेष श्रंगार, उत्सव और अनोखे दर्शनों का आयोजन किया जाता है। वृंदावन में विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी के चरण दर्शन करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। यह अवसर पूरे साल भर में सिर्फ वसंत पंचमी के दिन ही संभव होता है।

भगवान श्री राम से जुड़ी कथा (Katha Related to God Rama)

वसंत पंचमी त्रेता युग की देन है। श्री राम सीता हरण के बाद जब रावण की खोज में दक्षिण में गए थे तब दंडकारण्य वन वर्तमान में गुजरात मध्यप्रदेश में है माना जाता है, उस दिन भगवान श्री राम जी शबरी की कुटिया में गए थे। वह दिन वसंत पंचमी का ही दिन था जिस दिन शीला पर श्री राम बैठे थे। उनकी पूजा आज के दिन ही होती है। इसलिए मां सरस्वती की पूजा रोली, पीले फूल, गुलाल, पीले रंग की मिठाई एवं आम की मंजरी से करनी चाहिए।

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