Saturn retrograde 2021: क्या होता है 'शनि- वक्री' ? shani vakri का कुंडली के भाव में प्रभाव जानिए

Saturn retrograde 2021: शनि वक्री का प्रभाव हमेशा नहीं गलत, जानिए कुंडली के 12 भावों में प्रभाव
Shani
Saturn retrograde effect on horoscope 2021: ज्योतिष शास्त्र में शनि वक्री का खास महत्व बताया गया है। शनि वक्री को लेकर आम धारणा है कि इसका प्रभाव हमेशा कष्टदायक होता है। परंतु ऐसा नहीं है। शनि वक्री का शुभ प्रभाव इंसान को शिखर तक पहुंचाता है। 

Saturn retrograde effect on horoscope 2021: ज्योतिष शास्त्र में शनि वक्री का खास महत्व बताया गया है। शनि वक्री को लेकर आम धारणा है कि इसका प्रभाव हमेशा कष्टदायक होता है। परंतु ऐसा नहीं है। शनि वक्री का शुभ प्रभाव इंसान को शिखर तक पहुंचाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक शनि वक्री (Saturn retrograde 2021) का अलग-अलग स्थिति में खास प्रभाव पड़ता है। (what is shani vakri/what is Saturn retrograde) आगे जानिए इस बारे में...

कुंडली में शनि शुभ प्रभाव (Saturn retrograde effect in horoscope)

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि का कुंडली में खास महत्व है। शनि वक्री का प्रभाव अगर कुंडली में अच्छा है तो इंसान न्याय के साथ चलने वाला होता है। साथ ही इंसान की तारक्की क्रमशः होती जाती है। इसके अलावा व्यक्ति अपने काम के प्रति लगनशील और धैर्यवान होता है। जातक अपनी इसी लगनशीलता और धीरता के कारण जीवन में बड़े मुकाम हासिल करता है। 

वक्री शनि का कुंडली में अशुभ प्रभाव (Saturn retrograde bad effect in horoscope) 

कुंडली में शनि का जब अशुभ प्रभाव होता है तो जातक कई प्रकार के झंझटों में फंस जाता है। इंसान की निर्णय क्षमता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। साथ ही सामाजिक क्षति भी होने लगती है। इसके अलावा गलत फैसले लेकर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार लेता है।

वक्री शनि का कुंडली के अलग-अलग भाव में प्रभाव

पहला भाव - वक्री शनि का कुंडली का पहले भाव में होना शुभ माना गया है। कुंडली का पहला भाव लग्न होता है। ऐसे में यहां अगर शनि वक्री है तो इंसान जिंदगी में राजा के जैसा सुख प्राप्त करता है। वहीं जब शनि वक्री का अशुभ प्रभाव होता है तो इंसान को हार्ट से संबंधी समस्या उत्पन्न होती है। 

दूसरा भाव- यहां शनि-वक्री की अच्छी स्थिति इंसान को धार्मिक प्रवृत्ति का बनाता है। इसके अलावा जातक दयालु और ईमानदार होता है।

तीसरा भाव- यहां वक्री शनि यदि शुभ अवस्था में है तो इंसान पराक्रमी होता है। वहीं जब शनि वक्री अशुभ प्रभाव देता है तो व्यक्ति सफलता मिलने में दिक्कतें आती हैं। 

चौथा भाव- यहां वक्री शनि के अशुभ प्रभाव से जातक को मानसिक स्थिति असामान्य हो जाती है। क्योंकि जातक घर के बड़े सदस्य या माता-पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहता है।

पांचवां भाव- यहां वक्री शनि के अशुभ प्रभाव से जातक परिवार के प्रति गंभीर नहीं होता है। लव लाइफ में जातक को सफलता मिलती है।

छठा भाव- यहां शनि वक्री इंसान को आर्थिक उन्नति कराता है। साथ ही संतान सुख का भी आनंद लेता है।

सातवां भाव- यहां शनि वक्री का होना जातक को लाभ दिलाता है। पारिवारिक जीवन खुशहाल रहता है। मशीनरी के कार्यों में सफलता मिलती है।

आठवां भाव- यहां वक्री शनि जातक को लंबी आयु प्रदान करता है। जबकि पिता की आयु कम होती है। इसके अलावा भाई-बहन से आपसी मनमुटाव होता रहता है।

नौवां भाव- यहां शनि वक्री से इंसान को सुख में वृद्धि होती है। साथ ही जातक ट्रेवल से जुड़े व्यवसाय में अच्छी उन्नति करता है। 

दसवां भाव- यहां शनि की वक्री स्थिति जातक को चतुर और निर्भीक बनाता है। साथ ही व्यक्ति धन अर्जन करने में सफल होता है। इसके अलावा इंसान को सरकार की योजना से भी लाभ मिलता है। 

11 वां भाव- यहां शनि की वक्री स्थिति से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इंसान को लंबी आयु का वरदान भी मिलता है।

12 वां भाव- यहां शनि का वक्री होना जातक के लिए शुभ माना गया है। वक्री शनि के प्रभाव से जातक का फैमिली लाइफ खुशहाल रहता है। इसके अलावा इंसान को आर्थिक समस्या नहीं रहती है।

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