Shani Jayanti 2024: कौन हैं शनि देव, क्यों कहा जाता है इन्हें न्याय का देवता? 
 

Shani Jayanti 2024: शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. कहा जाता है कि वे आदमी को उसके कर्मों के अनुसार उसे फल देते हैं. हाल ही में 6 जून को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग बड़ी धूमधाम से शनि देव का जन्मोत्सव मनाएंगे।
Shani Dev Jayanti 2024

Shani Jayanti 2024: शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. कहा जाता है कि वे आदमी को उसके कर्मों के अनुसार उसे फल देते हैं. हाल ही में 6 जून को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग बड़ी धूमधाम से शनि देव का जन्मोत्सव मनाएंगे। शनिदेव को खुश करने के लिए लोग कई तरह से प्रयास करते हैं. इस वजह से नहीं कि उन्हें शनि देव की भक्ति में इतना लगाव है, बल्कि लोग उनके प्रकोप से डरते हैं. आइए जानते हैं शनिदेव के बारे में. 

शनिदेव कौन हैं? 

Kaun Hain Shanidev: शनि देव को कर्मफल अर्थात न्याय का देवता कहा जाता है. वे धरती पर रहने वाले सभी जीवों को उनके कर्मो के आधार पर फल देते हैं यदि कोई बुरा कर्म करेगा तो उसे शनि का प्रकोप झेलना पड़ता है. इसके अलावा जो अच्छे कर्म करेगा उसे अच्छे फलों की प्राप्ति होगी। पुराणों के अनुसार शनिदेव माता छाया और सूर्यदेव के पुत्र हैं. (Shanidev Ke Mata Pita kaun Hain) ये एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा भक्ति भाव से नहीं बल्कि डर के कारण की जाती। ऐसा इसलिए क्योंकि शनिदेव को न्यायधीश की संज्ञा दी गई है। इसलिए लोग उनसे डरते हैं, कि कहीं शनिदेव का प्रकोप उन पर तो नहीं पड़ेगा।  

पत्नी का श्राप बना लोगों के डर का कारण 

Shanidev Ko Kya Shrap Mila Tha: शास्त्रों के अनुसार उनकी पत्नी परम सती (Shanidev Ki Patni Kaun Hain) ने श्राप दिया था, कि वे एक क्रूर ग्रह बनेंगे। इसके पीछे की कहानी ये हैं कि, शनि देव बचपन से श्रीकृष्ण के भक्त रहे. वे युवा हुए तो उनके पिता ने उनका ब्याह चित्ररथ की पुत्री से करवा दिया। एक बार शनि की पत्नी ने उनसे पुत्र प्राप्ति की बात कही. लेकिन शनिदेव सबकुछ छोड़कर श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन थे. उनकी पत्नी परम सती लंबे समय तक उनका इंतजार करती रहीं लेकिन शनिदेव नहीं आए. एक दिन उनकी पत्नी ने क्रोध में आकर उन्हें श्राप दे दिया कि जिस किसी भी व्यक्ति की तरफ वे देखेंगे वह वहीं पर जलकर नष्ट हो जाएगा। 

शनि देव का ध्यान टूटा, उन्होंने इसके लिएदेवी परम सती से क्षमा मांगी। उनकी पत्नी भी अपने द्वारा दिए गए श्राप से दुखी थीं, लेकिन वे अपनी गलती को वापस नहीं ले सकती थीं. इस वजह से शनिदेव सिर झुककर चलने लगे ताकि उनकी नजरों से किसी को नुकसान न हो. इसलिए जब शनिदेव रोहिणी नक्षत्र में जाते हैं तो उसका नकारात्मक असर 12 वर्षों तक पृथ्वी के जीवों पर होता है. जिसकी वजह से जीवों के जीवन में कई बाधाएं आती हैं.

कैसे न्यायाधीश की उपाधि मिली शनि देव को? 

How did Shanidev become a judge: पुराणों के अनुसार बताया गया है कि एक बार जब सूर्यदेव अपनी पत्नी छाया के पास आए तो उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली. इसी वजह शनि देव जब पैदा हुए तो उनका रंग काला था. जब शनिदेव थोड़ी बड़े हुए तो इस बात को जानकर वे क्रोधित हो गए. इसके बाद छायापुत्र ने शिव जी की तपस्या की. उनकी कठोर तपस्या से उन्होंने अपना पूरा शरीर जला लिया। उनकी भक्ति को देखकर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने के लिए पूछा। तभी शनिदेव ने कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरी पूजा मेरे पिता से ज्यादा हो ताकि उनका अहंकार टूट जाए. शंकर जी उनकी बात से सहमत हुए और उन्होंने कहा कि धरती पर तुम न्यायधीश के रूप में पूजे जाओगे। इसके अलावा तुम सभी ग्रहों में श्रेष्ठ कहलाओगे। तुम धरती पर रह रहे जीवों को उनके कर्मों के अनुसार फल दोगे। इसलिए आज भी शनि देव की पूजा कर्मफल के देवता के रूप में की जाती है. साथ ही उन्हें सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है. 



 

  

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