Skanda Shashti Vrat May 2024: मई माह में स्कंद षष्ठी व्रत कब है, जानें इसका मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Skand shashthi vrat katha
Skanda Shashti Vrat May 2024: स्कंद षष्ठी का पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के पुत्र कार्तिकेय की पूजा और उनका व्रत रखा जाता है. कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन, सुब्रमण्या के नाम से भी जाना जाता है.

Skanda Shashti Vrat May 2024: स्कंद षष्ठी दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन, सुब्रमण्या के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद मिलता है, जिसकी वजह से सभी प्रकार के रोग, दुःख और दरिद्रता दूर हो जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के तेज जन्म लेने वाले छह मुखों वाले बालक स्कंद को छह कृतिकाओं द्वारा स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की गई थी. इसीलिए उस बालक का नाम 'कार्तिकेय' रखा गया.

स्कंद षष्ठी तारीख और मुहूर्त

May Month Skanda Shashti Vrat Date and Muhurat: मई माह में स्कंद षष्ठी तारीख 13 मई 2024 है. इसका मुहूर्त 13 मई की देर रात 2 बजकर 3 से शुरू होकर 14 मई की देर रात 2 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसीलिए स्कंद षष्ठी का व्रत 13 मई को रखा जाएगा।

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

Skanda Shashti Vrat Mahatwa: सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ पुराणों में से एक है स्कंद पुराण। इसमें कार्तिकेय का उल्लेख है. शास्त्रों के अनुसार स्कन्द षष्ठी का व्रत रखने से क्रोध, काम, मोह, नशा, घमंड आदि से मुक्ति मिलती है. साथ ही मनुष्य सत्य और नेकी के मार्ग पर चलता है. उसके किसी भी प्रकार का भटकाव नहीं होता है. ज्योतिष के अनुसार भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी माने जाते हैं. उनका निवेश दक्षिण दिशा में है. इसीलिए जिन लोगों की राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें मंगल को मजबूत करने के लिए स्कन्द षष्ठी का व्रत रखना चाहिए। इस तिथि को चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

Skanda Shashti Vrat Pooja Vidhi: स्कंद षष्ठी के दिन प्रातः काल स्नान कर तन मन दोनों शुद्ध रखना चाहिए। साथ ही स्नान के साथ अपने अंदर चल रहे बुरे विचारों को त्याग देना चाहिए। इसके बाद पूजाघर या मंदिर में एक चौकी तैयार कर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और राजकुमार कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रहे कि भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए एक अखंड ज्योत जरूर जलाएं और उसे स्कंद षष्ठी के मुहूर्त की समाप्ति तक जलने दें. इस विधियों को पूरा कर भगवान कार्तिकेय को जल अर्पित करें और पुष्प, मिठाई और मौसमी फल से भोग लगाएं। शाम के समय भगवान कार्तिकेय की पूजा कर उनको भोग-प्रसादी चढ़ाकर व्रत का पारण करें।

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

Bhagwan Kartikey Mandir in Tamilnadu: दक्षिण भारत के पालन हार माने जाने वाले भगवान कार्तिकेय के प्रमुख तीर्थ स्थल तमिलनाडु में हैं. तमिलनाडु को कुमार कार्तिकेय के मंदिरों के लिए जाना जाता है. आइए जानते हैं भगवान स्कंद के प्रमुख मंदिर...
पलनी मुरुगन मंदिर (कोयंबटूर)
स्वामीमलई मुरुगन मंदिर (कुंभकोकण)
तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर (चेन्नई)
श्री सुब्रह्मण्य स्वामी देवस्थानम तिरुचेंदूर (तुतूकुड़ी)
पज्हमुदीरचोलाई मुरुगन मंदिर (मदुरई)
तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मंदिर (मदुरई)    


 

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