जिले भर में वट सावित्री का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है
 

The festival of Vat Savitri is being celebrated with great pomp throughout the district.
The festival of Vat Savitri is being celebrated with great pomp throughout the district.
हरदोई(अंबरीष कुमार सक्सेना) आज जिले भर में वट सावित्री का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।गुरुवार को वट सावित्री की पूजा के लिए सुबह से ही सुहागन महिलायें अपने पति की लंबी आयु के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं। हरदोई में सुबह से ही बरगद के पेड़ पर सुहागिनों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। सुहागिनों ने वट के पेड़ के नीचे बैठकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। बढ़ती आबादी के बीच आजकल वट के वृक्ष विलुप्त होते जा रहे हैं। ऐसे में जिन महिलाओं को वट के वृक्ष नहीं मिल पा रहे हैं वह बाजार से वट या बरगद की टहनी खरीद कर गमले में लगाकर उनकी पूजा अर्चना कर रही हैं। 



महिलाएं वट की पूजा में अलग-अलग तरह से विधि विधान के साथ पूजा कर रही हैं। इस पूजा के पीछे ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार वट के पेड़ की आयु काफी लंबी होती है ऐसे में महिलाएं इस पेड़ की आयु जैसी अपने पति की आयु के  लिए वट के पेड़ से प्रार्थना करती हैं। इसके पीछे पुराणों में एक कहानी भी प्रचलित है। सुबह से ही महिलाएं बिना कुछ खाए पिये इस पूजन को करती हैं। कुछ महिलाएं इस व्रत को निर्जला करती हैं।

वट की पूजा करने से ऐसी मान्यता है कि जीवन की सभी प्रकार की बधाये दूर होती हैं। ऐसा कहा जाता है की वट के वृक्ष में साक्षात ईश्वर विराजमान रहते हैं।महिलाएं सुबह ही नहाकर नए वस्त्र पहन श्रृंगार करती हैं। मंदिरों में पांच तरह के फल और पकवान थाली में सजा कर पहुंची। वट वृक्ष पर पांच या सात बार हाथ में कलावा लेकर वृक्ष को लपेटते हुए परिक्रमा की जाती है। वटवृक्ष को जल प्रदान करके रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प से पूजा करके सत्यवान और सावित्री जी की कथा मनोयोग से सुनी और सुनाई जाती है। सुहागनें भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनके पति की आयु लंबी हो। वे सदैव सुखी और आनंद से रहें। पूजा के बाद खरबूजे आदि फल कन्याओं को भेंट किए जाते है। मंदिरों में भी दान-पुण्य किया जाता है।
वट सावित्री की पूजा में महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करती हैं। पूजा के दौरान वट वृक्ष के साथ या 11 बार महिलाएं परिक्रमा करते हुए पेड़ के चारों ओर कच्चा सूत लपेटते हैं यदि कच्चा सूत उपलब्ध नहीं होता तो कलावा भी कुछ महिलाएं प्रयोग करती नजर आ जाती हैं। इसके बाद वट वृक्ष या बरगद के पेड़ पर महिलाएं जल चढ़ाती हैं।

Share this story