सोने से पहले किन ज़रूरी बातों का रखना चाहिए ध्यान? वरना होगा नुकसान

सोने से पहले किन ज़रूरी बातों का रखना चाहिए ध्यान? वरना होगा नुकसान

अब नींद से पूरे होंगे सारे सपने. अब नींद से जाग जाएगी आपकी किस्मत क्योंकि आज हम आपको नींद के नियम के बारे में बताने जा रहे हैं. याकें मानिये अगर आपने अगर ये नियम अपनाया तो ये आपकी दशा और दिशा दोनों को बदल सकते हैं.

श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को आयु रक्षा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. अगर आप ये कहेंगे कि ब्रह्म मुहूर्त में क्यों उठना चाहिए. सुबह काल चार बजे से लेकर सूर्योदय समय तक ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है. और ब्रह्म मुहुर्त में ही सनातन धर्म में उठने का, नहाने का, पूजा-पाठ करने का विधान बताया गया है. आखिर ऐसा क्यों? सच ये है कि आप अगर कभी प्रयागराज गए होंगे तो आपने गंगा और यमुना का मिलन देखा होगा. जहाँ प्रयाग में गंगा और यमुना मिलती हैं वहां पश्चिम तरफ से हरे रंग का पानी आता है. और उत्तर पूर्व की तरफ से सफ़ेद रंग का पानी आता है गंगा का और दोनों जल जहाँ मिलते हैं वहां एक तीसरा रंग बन जाता है. माने गंगा यमुना जहाँ मिलीं वहां तीसरी है जो सरस्वती प्रकट हो गई है. इसी तरह से हमारे नाक में दो छेद हैं बायीं नाक से चलने वाली स्वांस को गंगा कहते हैं और दाहिनी स्वांस से चलने वाली स्वांस को यमुना नाडी कहते हैं.

लेकिन जब दोनों एक साथ प्रवाहित होती हैं तो उसको शिव नाडी भी कहते हैं और सुषुम्ना भी कहते हैं. सुषुम्ना एक ऐसी नाडी है जब ये चलती है तो व्यक्ति ध्यानस्त हो जाता है. व्यक्ति अदृश्य और अलौकिक शक्तियों पर पहुँच बना लेता है. व्यक्ति किसी को कुछ भी आशीर्वाद दे दे तो वो फलित हो जाता है. और किसी को कुछ भी शाप दे दे खटित हो जाता है. तो ब्रह्म मुहूर्त में जो पूजा का समय है वो सिर्फ इस बात के लिए कि चार बजे प्रातः से लेकर के छः बजे सुबह तक हर व्यक्ति की सुषुम्ना नाडी चलती है. कितने मिनट के लिए? चार मिनट के लिए. तो अगर इन दो घंटों का अभ्यास आपका रहेगा. तो चार मिनट समाधि में जाने का शुभ अवसर आपको प्राप्त होगा. और ये चार चार मिनट कर के कुछ दिनों के बाद ऐसी स्थिति आ जाएगी की आप ऋषि और मुनि की कटेगरी में आ जाएंगे. यही सुषुम्ना नाडी दोपहर में चलती है. पौने बारह बजे से सवा बारह बजे के बीच में. सूर्यास्त में चलती है, सूर्यास्त के पंद्रह मिनट पहले पंद्रह मिनट बाद तक और मध्य रात्रि में चलती है. इस समय में न तो यात्रा करनी चाहिए न तो गर्भधारण करना चाहिए न तो कोई नया कार्य करना चाहिए. इस समय में जो भी कार्य किए जाते हैं वो सर्वनाश हो जाते हैं. इसलिए मध्यरात्रि में दोपहर के समय में, सायं काल और एकदम सूर्योदय के आगे पीछे इन कार्यों को करने से रोकना चाहिए.

जानते हैं कि सुषुम्ना नाडी का प्रवाह जिस व्यक्ति का शुरू होता है वह व्यक्ति अगर चाहे तो सूखे हुए पेड़ को हरा कर सकता है और हरे पेड़ को सूखा कर सकता है. इतनी सामर्थ्य होती है. लेकिन पहचानने की बात है कि हमारी सुषुम्ना नाडी चल कब रही है? अधिक क्रोध करने पर भी सुषुम्ना चलने लगती है और अत्यधिक प्रसन्न होने पर भी सुषुम्ना चल जाती है. देवताओं ने अगर किसी को आशीर्वाद दिया तो अत्यंत प्रसन्न होकर तो सुषुम्ना चल गई और देवताओं ने आशीर्वाद दे दिया. और अगर दुर्वाषा ने किसी को शाप दिया अत्यधिक क्रोधी होकर तो सुषुम्ना नाडी चल गई. जो बोला वही श्राप हो गई. कहने का आशय ये है कि पद्मपुराण के अनुसार बिलकुल अँधेरे कमरे में तो सोना ही नहीं चाहिए.

साथ ही जहाँ आग और हवन की अग्नि है उसके पास भी भूलकर के भी नहीं सोना चाहिए. या अगर कुछ लोग करकट, कूड़ा-कचड़ा जलाकर के अगर आग जहां निकालें हों उसके भी आसपास नहीं सोना चाहिए. क्योंकि ऐसी जगहों पर अनिष्ट शक्तियां, दूषित आत्माएं आकर के व्यक्ति के जीवन पे अपना प्रभाव डालती है. लकडियाँ जहाँ लगी हों, लकड़ी के लट्ठ पर जहाँ फर्श और छत टिका हो उसके नीचे भी नहीं सोना चाहिए. रात में पेड़ों को हाथ लगाने या पेड़ों के नीचे सोने से भी बचना चाहिए. जूठा हाथ लेकर बिस्तर पर न ही बैठना चाहिए और न ही सोना चाहिए.

नए कपडे पहनकर भी सोना शास्त्रों में वर्जित माना गया है. यदि आपको नींद जरुरत से ज्यादा आती है तब तो आपको कुछ पौष्टिक तत्व लेना चाहिए. और अपने भोजन की मात्रा कम कर देना चाहिए. और यदि नींद नहीं आती है जिसके कारण आप अपने को पूरे दिन अपने को परेशान महसूस करते हैं. आपके चेहरे का रंगत खराब होता है तब आप योग निद्रा को प्रसन्न कारण के लिए रात्रि सूक्त का पाठ करें. रात्रि सूक्त का अगर पांच बार रोज पाठ किया करें और पांच बार आप महाकाली का ध्यान किया करें तो चाहे जैसे भी आपकी नींद उडी हो, फिर से आप नींद लेने लगेंगे.

नींद के नियम: सबसे पहले बता दें कि नींद वो चीज है जाहे जिसके ऊपर हावी हो सकती है. कहते हैं कि भगवान श्री विष्णु पर जब योगनिद्रा हावी हो गई जो पूरे संसार के रचयिता हैं तो हम मां किस खेत की मूली हैं. जब ब्रह्मा के हर उपाय करने के बाद भी श्री हरि विष्णु अपने योगनिद्रा से नहीं उठे तो ब्रह्मदेव ने निद्रा देवी की स्तुति की है. महाभारत में भी एक बात कही गई कि टूटी खाट पर और जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए. गौतमधर्म सूत्र के अनुसार नग्न होकर के नहीं सोना चाहिए. सोए हुए व्यक्ति को या सोए हुए बच्चे को कभी लांघना नहीं चाहिए. सोते समय अपने बाएँ सिरहाने पानी रखकर जरूर सोना चाहिए. अगर आप स्वस्थ हैं तो दिन में नहीं सोना चाहिए. लें ज्येष्ठ का महीना जो होता है जून का उसमें दोपहर के समय 48 मिनट के लिए सोया जा सकता है. सूर्यास्त के एक प्रहार बाद यानि तीन घंटे बाद ही सोना चाहिए. बाईं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए हितकर है.

किस तरफ पैर करके सोना सबसे अशुभ मन जाता है? क्या है सोने का सही तरीका और अच्छी नींद के लिए सोने से पहले हमें क्या करना चाहिए? चलिए इसे जानते हैं.

सोने का सही तरीका ये है कि हम प्रकृति के अनुरूप आचरण करें. दक्षिण दिशा में पैर कर के कभी नहीं सोना चाहिए. दक्षिण दिशा में यम और दुष्टदेवों का निवास होता है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण ये है कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से कान में हवा भारती है. मस्तिष्क में रक्त का संचार कम हो जाता है जिससे याददास्त पर बुरा प्रभाव पड़ता है और बीमारियाँ आपको घेर लेती है. ह्रदय पर हाथ रखकर, पेट के बल और पाँव पर पाँव चढ़ाकर नहीं सोना चाहिए. बिस्तर पर बैठकर खाना-पीना बहुत अशुभ होता है. बिस्तर पर लेटकर कर कभी भी लेटकर नहीं पढ़ना चाहिए. माथे पर तिलक लगाकर भूलकर भी नहीं सोना चाहिए. रात में अच्छी नींद आए इसके लिए रात्रि सूक्त का पाठ आवश्यक है.

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