बैद्यनाथ मंदिर में पूर्णिमा को होता है ये अद्भुत चमत्कार, बताते हैं पंडित

बैद्यनाथ मंदिर के इस चमत्कार के बारे में सबको नहीं पता
बैद्यनाथ मंदिर में पूर्णिमा को होता है ये अद्भुत चमत्कार, बताते हैं पंडित
यह ज्योतिर्लिंग मनोकामना की पूर्ति के लिए खास है।

Vaidyanath jyotirlinga: भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जहां के चमत्कार के बारे में सुनने को मिलता है। भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक बैद्यनाथ शिव लिंग है। जो कि झारखंड राज्य के देवघर में अवस्थित है। कहते हैं कि यह ज्योतिर्लिंग मनोकामना की पूर्ति के लिए खास है। भक्तों की मनोकामना पूरी करने के कारण यह कामना लिंग कहा जाता है। आगे जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में...

बैद्यनाथ मंदिर (देवघर, झारखंड) Vaidyanath jyotirlinga jharkhand के बारे में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें इस शिव मंदिर (shiva temple in india) के कई रहस्यों के बारे में वर्णन मिलता है। कहते हैं कि इस शिवलिंग को रावण ने खुद स्थापित किया था। इस बारे में कथा है कि जब रावण शिव को अपनी भक्ति से प्रसन्न कर उन्हें अपने साथ ले जाने लगा तो रास्ते में उसे आह्यय लघुशंका (पेशाब) लगी और उसने शिवलिंग को पास ही एक गाय चराने वाले को थामा कर लघुशंका के लिए चला गया। जब वह लघुशंका से निवृत होकर आया तबतक शिवलिंग स्थापित हो चुका था। इससे पहले शिवभक्त रावण को ऐसा स्वप्न आया था कि शिवलिंग को जहाँ भी रखा जाएगा स्थापित हो जाएगा।


दूसरी किंवदंती है कि इस मंदिर को अबतक कई बार जीर्णोद्धार करने की कोशिश की गई पर ऐसा नहीं हुआ। खासकर मुख्य मंदिर के दरवाजे को औऱ अधिक बड़ा करने का प्रयास किया गया। इसके लिए बड़े बड़े इंजीनियर आये, कोशिश किये लेकिन एक इंच भी नहीं हिला। इन रहस्य के बारे में लोगों का और वहां के पंडा (शिव पुजारी) समाज का कहना है कि इस मंदिर को खुद विश्कर्मा जी ने बनाया था। 

बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ा एक रहस्य और भी है। देवघर के पंडा बाबा लोग ऐसा बताते हैं कि मुख्य मंदिर के अंदर शिवलिंग के ठीक ऊपर लगा कलश रहस्यमयी है। इस अद्भुत रहस्य के बारे में पुजारी बताते हैं कि उक्त कलश से हर पूर्णिमा की रात केवल एक बूंद पानी सीधा शिवलिंग पर गिरता है। 

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र (dwadash jyotirlinga stotra)


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥

परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥

वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥

कहाँ-कहाँ है बारह ज्योतिर्लिंग (Where is  twelve Jyotirlinga) 


सोमनाथ- गुजरात 

मल्लिकार्जुन- आंध्रप्रदेश

महाकालेश्वर- मध्यप्रदेश

ओंकारेश्वर- मध्यप्रदेश

केदारनाथ- उत्तराखंड

भीमाशंकर- महाराष्ट्र

काशी विश्वनाथ- उत्तरप्रदेश

त्रयंबकेश्वर- महाराष्ट्र

बैद्यनाथ- झारखंड 

नागेश्वर- गुजरात

रामेश्वर- तमिलनाडु

घृष्णेश्वर- महाराष्ट्र

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