Vastu Tips For Toilet In Hindi : वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय की दिशा
Interior Vastu Tips
घर किस दिशा में बनाना चाहिए
Vastu Shastra Latrine Bathroom
vastu tips for home : आज के समय में बन रहे अधिकांश घरों में स्थानाभाव, शहरी संस्कृति और शास्त्रों के कम ज्ञान की वजह से ज्यादातर शौचालय और स्नानघर एक साथ ही बने होते है लेकिन यह बिलकुल भी सही नहीं है इससे घर में वास्तुदोष होता है। हम सभी जानते हैं कि किसी भी मकान या भवन में शौचालय और स्नानघर अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। इसको भी वास्तु सम्मत बनाना ही श्रेयकर है वरना वहाँ के निवासियों को जीवन भर अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
घर का मुख किस दिशा में करना सबसे अच्छा है?
घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना आम बात है लेकिन वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है। इस दोष की वजह से घर में रहने वाले लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीँ पति-पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव और वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है। आपको हमेशा शौचालय को ऐसी जगह बनाना चाहिए जहाँ से सकारात्मक ऊर्जा आने के स्त्रोत न हों, और साथ ही ऐसा स्थान चुनें जो खराब ऊर्जा वाला क्षेत्र हो। साथ ही घर के मुख्य दरवाजे के सामने शौचालय का दरवाजा कभी नहीं होना चाहिए, क्यूंकि ऐसी स्थिति होने से उस घर में हानिकारक ऊर्जा का संचार होगा।
वास्तु शास्त्र का ख़ास ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश में बताया गया. कि 'पूर्वम स्नान मंदिरम' यानि की भवन के पूर्व दिशा में ही स्नानगृह होना चाहिए। वहीँ शौचालय की दिशा के विषय में विश्वकर्मा कहते हैं 'या नैऋत्य मध्ये पुरीष त्याग मंदिरम' अर्थात दक्षिण और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के मध्य में पुरीष यानी मल त्याग का स्थान होना चाहिए। बाथरूम और टॉयलेट एक दिशा में होने पर वास्तु का यह नियम भंग होता है। वास्तु के अनुसार, पानी का बहाव उत्तर-पूर्व में रखें। ध्यान दीजिये, जिन घरों में बाथरूम में गीजर आदि की व्यवस्था है, उनके लिए यह जरूरी है कि वे अपना बाथरूम आग्नेय कोण में ही रखें, क्योंकि गीजर का संबंध अग्नि से है।
बाथरूम कौन सी दिशा में होना चाहिए?
आजकल अधिकांश नवनिर्मित मकानों में, बेडरूम में अटैच बाथरूम का चलन बढ़ता जा रहा है और यह गलत भी है। इससे बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जाओं के टकराव से हमारा स्वास्थ्य शीघ्र ही प्रभावित होता है । इससे बचने के लिए या तो बेडरूम में अटैच बाथरूम के बीच एक चेंज रूम अवश्य बनाया जाना चाहिए अथवा बाथरूम पर एक मोटा पर्दा डाला जाय और इस बात का भी ख्याल रहे कि बाथरूम का द्वार उपयोग के पश्चात बंद करके ही रखा जाय। ऐसे बाथरूम में खिड़की उत्तर या पूर्व में देना उचित है, इसे पश्चिम में भी बना सकते है लेकिन इसे दक्षिण और नैत्रत्य कोण में बिलकुल भी नहीं बनवाना चाहिए ।
इसमें एग्जास्ट फैन को पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार पर लगवाना चाहिए। शौचालय में सीट इस प्रकार हो कि उस पर बैठते समय आपका मुख दक्षिण या उत्तर की ओर होना चाहिए। सोते वक्त शौचालय का द्वार आपके मुख की ओर नहीं होना चाहिए। शौचालय अलग-अलग न बनवाते हुए एक के ऊपर एक होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है तथा शौचालय में राहू का। यदि किसी घर में स्नानगृह और शौचालय एक साथ हैं तो चंद्रमा और राहू एक साथ होने से चंद्रमा को राहू से ग्रहण लग जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण हो जाता है।
घर की दिशा का पता कैसे लगाएं?
चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा मन और जल का कारक है और राहु विष का। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है। जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और दूसरा उसके शरीर पर। हमारे शास्त्रों में चन्द्रमा को सोम अर्थात अमृत कहा गया है और राहु को विष। अमृत और विष एक साथ होना उसी प्रकार है जैसे अग्नि और जल। दोनों ही विपरीत तत्व हैं। इसलिए बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने पर परिवार में अलगाव होता है। लोगों में सहनशीलता की कमी आती है। मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष की भावना बानी रहती हैं।
ध्यान रखें, शौचालय का द्वार उस घर के मंदिर, किचन आदि के सामने न खुलता हो। इस प्रकार हम छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर सकारात्मक ऊर्जा पा सकते हैं व नकारात्मक ऊर्जा से दूर रह सकते हैं। लेकिन दोनों को एक साथ संयुक्त रूप से बनाने पर उन्हें पश्चिमी और उत्तरी वायव्य कोण में बनाना श्रेष्ठ है। इसके अतिरिक्त यह पश्चिम, दक्षिण और नैऋत्य के बीच भी बनाये जा सकते है।