रामकथा में गूंजे आस्था के  स्वर "बांका बना रघुरइया

Voices of faith echoed in Ramkatha "Banka became Raghuriya
रामकथा में गूंजे आस्था के  स्वर "बांका बना रघुरइया
अयोध्या  : रामोत्सव" के रंग में रंगी अयोध्या के "रामकथा पार्क" में भजनों,गीतों और नृत्य की बहती रसधार के द्वारा देश के प्रख्यात कलाकार सभी को आकर्षित कर रहे है। अंतरराष्ट्रीय रामायण और वैदिक शोध संस्थान और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में पहली प्रस्तुति वृंदावन धाम के ध्रुपद गायक पंडित राधा गोविन्ददास ने अपने ध्रुपद गायन में आलाप से आरंभ करते हुए रामचंद्र जी के पद सुनकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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उनके साथ पर पंडित हरीशचंद्र और तानपुरा पर रितेश ने संगत की। अगली प्रस्तुति प्रयागराज से आये पंकज कुमार श्रीवास्तव के दल के महेश्वर दयाल और संगीता राय ने "बाँका बना रघुरईया" से अपने गायन की शुरुआत की। इसी क्रम में अनिल कुशवाहा ने "शंकराय मंगलम" और "लगा ले प्यारे राम के भजन से प्रीत" गया तो श्रोता झूम उठे,इस दल के साथ तबले पर पंकज कुमार  और हारमोनियम पर महेश्वर दयाल संगत कर रहे थे।

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लखनऊ से आये किशोर चतुर्वेदी ने अपने दल के साथ मंच से "श्री राम चन्द्र कृपालु भज मन" से अपना गायन शुरू किया और इसके बाद "दशरथ राजकुमार नजर तोहे लग जायेगी" समेत कई रामभजन श्रोताओं को सुनाया तो सभी तालियों से उनका साथ देने लगे,सहगायिका रश्मि चतुर्वेदी ने "पायो जी मैंने राम रतन धन पायो" पूरे वातावरण को राममय कर दिया। ढलती हुई शाम में इसके बाद असम से आए कलाकारों ने "बुद्धिमल चेतिया" के निर्देशन में असम की "सत्रीय नृत्य" शैली में "दशावतार" की कथा प्रस्तुत की। 

रामकथा में गूंजे आस्था के  स्वर

अपनी पोशाक,वाध्ययंत्रो और अंग संचालन से कलाकारो ने जब जब श्रीहरि के अवतारों के अवतरण का दृश्य मंचित किया तो उपस्थित जनसमूह भाव विभोर होकर "जय सियाराम" का उद्घोष पूरी प्रस्तुति के समय करते रहे। इसके बाद प्रयागराज से आए कलाकारों ने अंजना बनर्जी के निर्देशन में नृत्य नाटिका "रामकथा" प्रस्तुत किया जिसमे राम जन्म से लेकर राम राज्याभिषेक तक के दृश्य को मंचित कर सभी को भावुक कर दिया।शुभजीत बनर्जी और रोशन पांडे ने नेपथ्य से इस नृत्य नाटिका में अपना सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी और दूरदर्शन के उद्घोषक अखिलेश पाण्डेय और देश दीपक मिश्र ने किया। कार्यक्रम के दौरान अंतरराष्ट्रीय रामायण और वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डा.लवकुश द्विवेदी,संगीत नाटक अकादमी के प्रशांत समेत तमाम संत,विशिष्ट जन और दर्शक उपस्थित रहे।

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