Jyotish shashtra क्या होती है ग्रहों की स्थिति कौन सा ग्रह किस घर को देखता है ? कुंडली के भाव कैसे देखें 

Kundli ke bhav
  • कुण्डली के भावों का विवेचन ग्रहों राशियों तथा नक्षत्रों --

  • ज्योतिष क्या है ?

इसका थोड़ा परिचय आपने प्राप्त किया कि किस प्रकार इसमें से प्रत्येक ज्योतिष का अंग किसी न किसी वस्तु का प्रतीक है। जैसे आकाश में राशि पथ के 12 भाग मेष, वृषभ, मिथुन आदि है उसी प्रकार पृथ्वी के 12 भाग लग्न से आरम्भ कर दिए गए हैं। कुण्डली के बारह भावों से भी यही वस्तुएं देखी जाती हैं। कौन से भाव से किस वस्तु सम्बन्धी धातु आदि ज्ञान होता है.
कुंडली मे ग्रहों की स्थिति कैसे जाने
कुंडली के भाव कैसे देखे ?
कुंडली के 12 भाव 
 वह इस प्रकार है-- प्रथम भाव से जन्म के समय की बातें, वर्ण (Caste) रंग-रूप, कद,

जन्म स्थान, शरीर, शरीर के विशेष अंग, धन, यश, मान, आयु, सिर, निज

(Self). आजीविका आदि का विचार करना चाहिए। फलित ज्योतिष पत्रिका के अनुसार 
कुंडली के भाव की जानकारी 
द्वितीय भाव से मुख, धन, विद्या, कुटुम्ब, मृत्यु, राजकुमार, माता का बड़ा भाई, शासन, कुमार अवस्था, वाणी, आंख आदि का विचार करना चाहिए।

तीसरे भाव से कान, कंधे, सांस की नली, छोटे भाई, साहस, रक्षा विभाग, निज (Self), छोटी यात्रा, बाहु, यौवन अवस्था, मित्र, वायु यात्रा, आयु. वीरता आदि सब बातों का विचार तृतीय भाव से करना चाहिए ।

चतुर्थ भाव से --माता, मन, जायदाद, वाहन, भूमि, सुख-दुःख, उन्नति, फेफड़े, छाती, रक्त, जनता, स्वभावं निवास स्थान, जलीय वस्तुएं आदि बातों का विचार चतुर्थ भाव से करना चाहिए।

पंचम भाव से पुत्र, मन्त्रणा शक्ति, प्रिया (Lady Love) खेल- विनोद के स्थान (सिनेमा क्लब आदि), स्त्री का बड़ा भाई, पेट, बड़े भाई की स्त्री. बड़ी बहन का पति, लाटरी, भाग्य, गर्म, वाणी, बुद्धि आदि का विचार पंचम भाव से करना चाहिए ।

छठे भाव से शत्रु, रोग, रुकावट, चोट, चोरी व्यसन, म्लेच्छ, मां का छोटा भाई, अन्तड़ियां, परत्व (Foreignness) मामा, हिंसा आदि वस्तुओं का विचार छठे भाव से करना चाहिए।

सातवें भाव से स्त्री, गुप्तेन्द्रिय, वीर्य, नपुंसकता, व्यापार व्यसन, भागीदार, मार्ग, काम चेष्टा, विवाह, मृत्यु, राज्य आदि बातों का तिचार सप्तम स्थान से करना चाहिए ।

अष्टम भाव से --मृत्यु, अपमान, जान जोखों के कार्य, विदेश, समुद्र, अण्डकोष, नाश, आयु, माता की बड़ी बहन का पति, माता के बड़े भाई की पत्नी आदि बातों का विचार अष्टम भाव से करना चाहिए ।

नवम भाव से भाग्य, दैवी सहायता, अचानक शुभाशुभ घटनाएं, धर्म, तप, रुचि, विद्या, पिता, स्त्री का छोटा भाई, नितम्ब, छोटे भाई की स्त्री, छोटी बहिन का पति राज्य कृपा, राज्य के बड़े अधिकारी, अपने देश में लम्बी यात्रा आदि बातों का विचार नवम भाव से करना चाहिए।

दशम भाव से राज्य शुभाशुभ कर्म, गवर्नमेंट, ऊंचाई, आसमान,

पदवी, यश, घुटने, सांस छोटे भाई बहन की आयु आदि बातों का विचार दशम भाव से करना चाहिए। एकादश भाव से बड़ा भाई, पुत्रवधू पुत्री का पति, माता की आयु,

बाहु, निज (Sell), चोट, बीमारी, टांग, प्राप्ति, आमदनी, अन्यत्व (Foreignness), चाचा आदि का विचार एकादश भाव से करना चाहिए। द्वादश भाव से पांव, व्यय, पृथकता, भोग विलास, मां की छोटी बहिन

का पति मां के छोटे भाई की स्त्री, रक्षा विभाग, धर्म, मन्दिर, मोक्ष, आंख,

जलीय वस्तुएं, कारागार, हानि आदि का विचार द्वादश भाव से करना चाहिए ।

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