What is the 9th incarnation of Vishnu? भगवान विष्णु का नौवा अवतार क्या था जानिए 

What is the 9th incarnation of Vishnu? Know what was the ninth incarnation of Lord Vishnu
भगवान विष्णु
भगवान विष्णु के नौ अवतारों में से नौवां अवतार बुद्ध का अवतार है। महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। उनका जन्म 563 ईसा पूर्व को लुंबिनी के नेपाल में हुआ था। बुद्ध ने संसार को दुख से मुक्ति का मार्ग दिखाया। उन्होंने अहिंसा, करुणा और प्रेम का पाठ पढ़ाया। बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है।

महात्मा बुद्ध दुनिया भर के लोगों को मानवता के उद्धार के लिए संदेश दिया 

एक बार जब भगवान विष्णु ने देखा कि दुनिया में अधर्म और पाप का बोलबाला हो रहा है तो उन्होंने बुद्ध अवतार लिया। उन्होंने मनुष्य रूप में जन्म लिया और संसार को दुख से मुक्ति का मार्ग दिखाया। बुद्ध ने अहिंसा, करुणा और प्रेम का पाठ पढ़ाया। उन्होंने लोगों को बताया कि दुख का कारण मोह है और मोह से मुक्ति पाने के लिए हमें अहिंसा, करुणा और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए।

सिद्धार्थ गौतम ने देखा

महात्मा बुद्ध को धर्म के प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की जो आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। बुद्ध ने अहिंसा, करुणा और प्रेम के मार्ग पर चलकर दुख से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया। उनके उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है।  महात्मा बुद्ध को दुखों के निवारक भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि दुख का कारण मोह है और मोह से मुक्ति पाने के लिए हमें अहिंसा, करुणा और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए। बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को दुखों से मुक्ति पाने में मदद की है।

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महात्मा बुद्ध को सत्य और ज्ञान के प्रकाशक भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि सत्य और ज्ञान ही हमें दुखों से मुक्ति दिला सकता है। बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को सत्य और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। महात्मा बुद्ध को मानवता के उद्धारक भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि सभी मनुष्य समान हैं और उन्हें समान अधिकार प्राप्त हैं। बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को मानवता के उद्धार के लिए प्रेरित किया है। बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है। बौद्ध धर्म आज भी दुनिया का एक प्रमुख धर्म है। बुद्ध के उपदेशों को आज भी लोग मानते हैं और उनका पालन करते हैं।

सिद्धार्थ गौतम कैसे बनें बुद्ध 

एक दिन, जब सिद्धार्थ गौतम 29 वर्ष के थे अपने राज्य से बाहर निकलकर नगर में घूमने निकले थे  सिद्धार्थ गौतम ने देखा की नगर में घूमते हुए उन्होंने एक बीमार व्यक्ति, एक वृद्ध व्यक्ति, एक मृत व्यक्ति और एक संन्यासी को देखा। इन चारों दृश्यों ने उन्हें बहुत आहत किया। उन्होंने सोचा कि जीवन में दुख ही दुख है।

सिद्धार्थ गौतम ने देखा

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इसके बाद, सिद्धार्थ गौतम ने जीवन के दुखों से मुक्ति पाने के लिए तपस्या का मार्ग अपनाया। उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। एक दिन, उन्होंने तपस्या छोड़ दी और एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाने लगे। ध्यान लगाते हुए सिद्धार्थ गौतम को सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने जाना कि दुख का कारण मोह है और मोह से मुक्ति पाने के लिए हमें अहिंसा, करुणा और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए। इस ज्ञान की प्राप्ति के बाद उन्हें बुद्ध कहा गया, बुद्ध ने अपने ज्ञान को लोगों के साथ साझा किया और उन्हें दुख से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया। उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की जो आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।
 

 

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