Sundarkand paath ke fayde सुंदरकांड पाठ का लाभ क्या है ?और कब करना चाहिए सुंदरकांड का पाठ
शुभ मौके पर क्यों किये जाते हैं सुंदरकांड का पाठ ? सुंदरकांड पाठ के फायदे ,सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए ?
1 :- सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया ?
हनुमानजी, सीताजी
की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ।पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था !
दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें । तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी । इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ।
इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी , इसलिए इसका नाम सुंदरकाणड रखा गया है ।
सुंदरकांड पूरे रामचरित मानस में ऐसा भाग है जिसमे हनुमान जी के वीरता और विपरीत परिस्थितियों में काम करने की कला अपना आत्मविश्वास किस तरह से विपरीत परिस्थितियों में बनाये रखा जाता है यह सारे वर्णन सुंदरकांड में किये गए हैं ।
सुंदर पर्वत पर ही अशोक वाटिका में सीतामाता थी और वहीं पहली बार हनुमान जी ने माता सीता के दर्शन किये थे ई
2 :- शुभ अवसरों पर ही सुंदरकाणड का पाठ क्यों ?
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाणड का पाठ किया जाता हैं ! शुभ कार्यों की शुरूआत सें पहलें सुंदरकाणड का पाठ करनें का विशेष महत्व माना गया है !
जबकि किसी व्यक्ति कें जीवन में ज्यादा परेशानीयाँ हो , कोई काम नहीं बन पा रहा हैं, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो , सुंदरकाणड कें पाठ सें शुभ फल प्राप्त होने लग जाते है, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकाणड करनें की सलाह देते हैं !
3 :- जानिए सुंदरकांड का पाठ विषेश रूप सें क्यों किया जाता हैं ?
माना जाता हैं कि सुंदरकाणड कें पाठ सें हनुमानजी प्रशन्न होतें है !
सुंदरकाणड कें पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती हैं !
जो लोग नियमित रूप सें सुंदरकाणड का पाठ करतें हैं , उनके सभी दुख दुर हो जातें हैं , इस काण्ड में हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल सें सीता की खोज की हैं !
इसी वजह सें सुंदरकाणड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता हैं !
4 :- सुंदरकांड पाठ सें मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ
वास्तव में श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाणड की कथा सबसे अलग हैं , संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम कें गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती हैं , सुंदरकाणड ऐक मात्र ऐसा अध्याय हैं जो श्रीराम कें भक्त हनुमान की विजय का काण्ड हैं !
मनोवैज्ञानिक नजरिए सें देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड हैं , सुंदरकाणड कें पाठ सें व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं , किसी भी कार्य को पुर्ण करनें कें लिए आत्मविश्वास मिलता हैं !
5 :- सुंदरकाणड सें मिलता है धार्मिक लाभ ?
सुंदरकाणड कें लाम सें मिलता हैं धार्मिक लाभ हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पुर्ण करनें वालीं मानी गई हैं , बजरंगबली बहुत जल्दी प्रशन्न होने वालें देवता हैं , शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताएं गए हैं , इन्हीं उपायों में सें ऐक उपाय सुंदरकाणड का पाठ करना हैं , सुंदरकाणड कें पाठ सें हनुमानजी कें साथ ही श्रीराम की भी विषेश कृपा प्राप्त होती हैं !
किसी भी प्रकार की परेशानी हो सुंदरकाणड कें पाठ सें दुर हो जाती हैं , यह ऐक श्रेष्ठ और सरल उपाय है , इसी वजह सें काफी लोग सुंदरकाणड का पाठ नियमित रूप सें करते हैं , हनुमानजी जो कि वानर थें , वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए वहां सीता की खोज की , लंका को जलाया सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए , यह ऐक भक्त की जीत का काण्ड हैं , जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है , सुंदरकाणड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं , इसलिए पुरी रामायण में सुंदरकाणड को सबसें श्रेष्ठ माना जाता हैं , क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता हैं , इसी वजह सें सुंदरकाणड का पाठ विषेश रूप सें किया जाता हैं ।
सुंदरकांड का पाठ कब करें ?
सुंदरकांड पाठ का सबसे अच्छा समय ब्रम्ह मुहूर्त होता है माना जाता है कि इस समय सुंदरकांड पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और सुंदरकांड के फायदे होते हैं । जिस भी मनोकामना से पाठ किया जाता है उसका पूरा लाभ मिलता है ।
दूसरा समय होता है जब सुंदरकांड का पाठ किया जाता है वह है शाम की गोधूलि बेला कहा जाता है कि अगर सामूहिक पाठ किया जा रहा है तो शाम को किया जा सकता है ।
सुंदरकांड पाठ करने से क्या लाभ ?
जब भी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है और ऐसा लगता है कि कोई भी काम अब होने वाला नहीं है उस समय सुंदरकांड का महत्व और भी बढ़ जाता है और जो भी व्यक्ति सुंदरकांड का पाठ करता है उससे उसके आत्मविश्वास में काफी बढ़ोतरी होती है और सेल्फ कॉन्फिडेंस (self confidence by sundarkand paath) उनके कारण उसके सारे काम सफल होने लगते हैं इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह पूरे अपने मनोयोग से काम को कर ले रखा है जिससे काम के सफलता के उम्मीद और भी बढ़ जाते हैं.
सुंदरकांड में कितनी चौपाइयां ?
सुंदरकांड में 60 चौपाइयां होती हैं और इनका पाठ करने में 45 मिनट के आसपास लगते हैं ।लेकिन जब कोई भी इसका पाठ लगातार कुछ दिनों तक करने लगता है तब यही समय 30 से 35 मिनट लगने लगता है ।