Vrishabh Sankranti 2024 : हिंदू धर्म में त्योहारों में एक वृषभ संक्रांति का अलग ही धार्मिक महत्व है जानिए 

Vrishabh Sankranti 2024: Vrishabh Sankranti has a different religious significance among the festivals in Hindu religion. Know
What is Vrishabha Sankranti?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य एक से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उस तिथि को संक्रांति कहते हैं. जिस राशि में सूर्य प्रवेश करता है, संक्रांति का नाम भी उसी राशि के आधार पर होता है. वृषभ संक्रांति में सूर्य मकर से वृष राशि में प्रवेश करता है.  

Vrishabh Sankranti 2024: हिंदू धर्म में त्योहारों में एक वृषभ संक्रांति का अलग ही धार्मिक महत्व है. दरअसल इस तिथि के दिन होने वाले ग्रहों के बदलाव को उत्सव की तरह मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार संक्रांति प्रत्येक सौर मास की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य देव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो उस तिथि को वृषभ राशि के नाम से जाता है. ग्रहों के इस बदलाव से सौर मास की शुरुआत होती है. इस दिन सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा होती है. भारत के कई भागों वृषभ संक्रांति अलग-अलग रीतियों से मनाई जाती है. 

वृषभ संक्रांति 2024 का मुहूर्त 

Vrishabh Sankranti 2024 Muhurt: वृषभ संक्रांति 2024 हर वर्ष 14 मई को मनाई जाती है. साल 2024 में इसका मुहूर्त 14 मई की सुबह 5:40 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी कि 15 मई की सुबह 5:33 पर समाप्त होगा। हालांकि 2024 की वृषभ संक्रांति के लिए पूरे 24 घंटे का अबूझ मुहूर्त होगा, जिसके लिए शास्त्रीजी से मुहूर्त देखने आवश्यकता नहीं पड़ेगी। लेकिन कुछ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त जरूर हैं... स्नान मुहूर्त- सुबह 5:40 से सुबह 6:27 तक, पूजा मुहूर्त सुबह 10:15 से सुबह 11:49 तक और पारिवारिक अनुष्ठान मुहूर्त दोपहर 3:42 से लेकर 5:16 तक होगा। 

वृषभ संक्रांति का महत्व

 Vrishabh Sankranti Ka Mahatwa: वृषभ संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषिगत महत्व होता है. सूर्य भगवान को प्रकाश, ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. उनका राशि परिवर्तन शुभ माना जाता है, जो नई उम्मीदों और सकारात्मकता का संचार करता है. सनातन धर्म में वृषभ संक्रांति की तिथि भगवान भोलेनाथ का भी प्रतीक मानी जाती है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।  कृषि के क्षेत्र में वृषभ संक्रांति के समय फसल कटाई के मौसम का प्रारंभ होता है. किसान इस दिन भगवान इंद्र की पूजा करते हैं और अच्छी फसल के लिए उनसे कामना करते हैं. 

वृषभ संक्रांति की पूजा कैसे करें, क्या फल मिलता है? 

Vrishabh Sankranti Pooja Vidhi, Daan: वृषभ संक्रांति के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व स्नान करके भगवान शिव और सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान शिव के रूद्र स्वरुप को पूजा जाता है. वृषभ संक्रांति में व्रत रखने वाले व्यक्ति को रात्रि में जमीन पर सोना चाहिए। संक्रांति मुहूर्त के पहले आने वाली 16 घड़ियों को अति शुभ माना जाता है. इस समय दान करना भी बहुत शुभ होता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जातक की राशि में सूर्य का योग अच्छा बनता है. ध्यान रहे सूर्य को अर्घ्य देते समय तांबे के बर्तन में जल लें. साथ ही इन मंत्रों का जाप करें -ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों, तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकरः।। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहाः।।

वृषभ संक्रांति पर खास योग 

साल 2024 की वृषभ संक्रांति के दिन दोपहर 12:20 बजे तक गुरुमहिम योग बन रहा है, जो ज्ञान, विद्या और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस समय पूजा पाठ के साथ आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 

वृषभ संक्रांति और पर्यावरण में संबंध 

 वृषभ संक्रांति रबी फसलों की कटाई के समय ही मनाई जाती है. इस पर्व पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए। रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक कृषि को अपनाएं, जल संरक्षण के उपाय करें और पौधरोपण करें। यह संक्रांति प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उसकी रक्षा का अवसर प्रदान करती है.  

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