Maharishi Narada Jayanti: पहले पत्रकार महर्षि नारद जयंती कब है?

Maharishi Narada Jayanti
हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष देवऋषि नारद मुनि को विष्णु जी का परम भक्त माना जाता है. देवर्षि नारद मुनि तीनों लोकों पृथ्वी, आकाश और पाताल में यात्रा कर देवी-देवताओं और असुरों तक संदेश पहुंचाते थे, इन्हें संसार का पहला पत्रकार माना जाता है. नारद जी एक ऐसे पौराणिक चरित्र हैं, जो तत्वज्ञान में परिपूर्ण हैं. कई शास्त्र इन्हें विष्णु का अवतार भी मानते हैं.
नारद जी को देवर्षि क्यों कहा जाता है?
श्रीमद्भगवत के दसवें अध्याय के 26वें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने नारद जी के लिए कहा है कि देवर्षिणाम च नारदः। यानी मैं देवर्षियों में नारद हूं. पौराणिक कथाओं के अनुसार नारद जी ने देवताओं के साथ-साथ असुरों का भी सही मार्गदर्शन किया। यही वजह है कि सभी लोकों में उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था. देवर्षि नारद ऋषि वेदव्यास, वाल्मीकि, शुकदेव के गुरु थे. राजा अम्बरीष, प्रह्लाद, ध्रुव जैसे महान भक्तों को नारद जी ने ज्ञान और प्रेरणा देकर भक्ति मार्ग में चलने के लिए प्रेरित किया, यही कारण है कि नारद जी को देवर्षि का पद मिला।
नारद मुनि की पूजा कैसे करें? नारद जयंती के दिन सूर्य उदय होने से पहले संकल्प लें और व्रत रखें। नारद मुनि को पूजा में चंदन, तुलसी दल, धूप-दीप, पुष्प आदि चढ़ाएं। इस दिन आपको सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान कर उनकी मदद करनी चाहिए। इस दिन विधि-विधान से नारद मुनि की पूजा करने से करियर में सफलता मिलती है.
नारद ऋषि द्वारा विष्णु जी को क्या श्राप मिला था?
Vishnu jee ko Kya Shraap Mila tha: श्री हरि विष्णु के वरदान से नारद मुनि को वैकुण्ठ सहित तीनों लोकों में बिना किसी रोक-टोक के विचरण करने का वरदान प्राप्त किया था लेकिन ऐसा क्या हुआ कि अपने सबसे प्रिय विष्णु जी को उन्होंने श्राप दे दिया था. रामायण के एक प्रसंग में लिखा है कि नारद जी को अहंकार हो गया था कि उन्होंने काम पर विजय प्राप्त कर ली है. श्री हरि ने उनका अभिमान तोड़ने के लिए अपनी माया से एक नगर का निर्माण किया, जिसमें सुंदर राजकन्या का स्वयंवर चल रहा था. उस स्वयंवर में नारद जी भी पहुंच गए और कन्या को देखकर अपनी मंत्रमुग्ध हो गए. कन्या से शादी करने के लिए नारद ने विष्णु जी से सुंदर रूप मांगे।
विष्णु जी ने उन्हें बंदर का रूप दे दिया। इसके बाद नारद मुनि जब स्वयंवर में पहुंचे तो उन्हें देख सब हंसने लगे. महर्षि नारद को तब तक यह सब नहीं पता था कि उनके साथ क्या हुआ. इसके बाद उन्होंने जब जल में अपना स्वरुप देखा तो क्रोधित हो गए और वैकुण्ठ जाकर विष्णु जी श्राप देते हुए बोले कि आपने बंदरों का उपहास किया है. इन्हीं बंदरों की सहायता आपको मांगनी पड़ेगी। उसी श्राप का पश्चाताप श्री राम का अवतार लेने के बाद विष्णु जी ने किया।
नारद मुनि की जन्म कथा
Narad Muni ki Janm Katha: नारद मुनि का पिछला जन्म 'उपबर्हण' नाम के गंधर्व के रूप में हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी स्वर्ग में अप्सराओं के गंधर्व गीत और नृत्य में लीन थे. तभी नारद जी वहां पहुंच गए और खुद रासलीला में लीन हो गए. तभी ब्रह्मा जी ने गुस्से में उन्हें शूद्र योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया था. नारद जी का जन्म शुद्र दासी के यहां हुआ था लेकिन उन्होंने कड़ी तपस्या के बाद ब्रह्मा के मानस पुत्र होने का वरदान प्राप्त कर लिया था.
महर्षि नारद जयंती मुहूर्त
Maharishi Narad Jayanti Muhurt: इस बार महर्षि नारद जयंती 24 मई को है. इसका शुभ मुहूर्त सुबह 7:22 बजे से शाम 5:33 बजे तक है.